पूर्वांचल में एक ही सियासी परिवार की दो फायर ब्रांड लेडी लीडर्स… टिक गई सबकी निगाहे 2 चेहरों पर
अनुप्रिया पटेल ने पहले कदम उठाया… फिर पल्लवी पटेल ने वही किया जो अनुप्रिया ने किया…
अनुप्रिया पटेल का बड़ा बयान… निकला संदेश… होने लगे सवाल… क्या एक हो जाएंगी पटेल बहनें ?
2024 में पूर्वांचल की सियासत बदलने वाली है… अपने अपनों के साथ विरोधियों के खिलाफ एक होने वाले हैं



2024 की लड़ाई पर सबकी नजर है… लेकिन यूपी के पूर्वांचल में दो बहनों की सियासत को हर कोई गंभीरता से देख रहा है… ये दो चेहरे एक ही परिवार से है… दोनों सगी बहने हैं… दोनों को ही सियासत की बारीकियां उनके पिता… राजनीति के महारथी सोनलाल पटेल से मिली… दोनों बहनों का नाम अनुप्रिया पटेल हैं… और पल्लवी साथ रहा करती है… अब दोनों की राजनीति जुदा जुदा है… दोनों को सियासी गलियारे में एक दूसरे का कट्टर दुश्मन कहा जाता रहा है… लेकिन ऐसा है क्या… ऊपर से दिखने से ऐसा ही लगता है… लेकिन अंदर से अनुप्रिया और पल्लवी पटेल की ओर से जो फैसले लिए गए उससे तो ऐसा लगता है… जितना कहा जा रहा है… उतनी सियासी अदावत दोनों बहने अनुप्रिया पटेल और पल्लवी पटेल के बीच है नहीं…. वैसे दोनों बहनों के बीच दुश्मनी हो या नहीं… लेकिन इतना तो तय है… 2024 की जंग पूर्वांचल में इस बार जोरदार होने वाली है…जिसके लिए सत्ता पक्ष, विपक्ष जी जान से जुट चुके हैं… लेकिन इनमें एक ही परिवार की दो फायर ब्रांड लेडी लीडर्स… 2 चेहरों पर सबकी निगाहे टिकी हुईं हैं.. वो हैं अनुप्रिया पटेल और पल्लवी पटेल..एक तरफ पल्लवी पटेल पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में बड़ा हल्लाबोल की तैयारी में हैं..वो लखनऊ में वाराणसी के भूमि अधिग्रहण के मामले में किसानों के साथ धरना देती हैं..मोदी सरकार को किसान सबक सिखाएगा ये एलान कर देती हैं तो वहीं एनडीए की झोली में रामपुर की स्वार विधानसभा सीट डालने वाली अनुप्रिया पटेल 2024 में सिर्फ मोदी कहती हैं.. वाराणसी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंची अनुप्रिया पटेल ने 2024 को लेकर बड़ा दावा करती हैं कि ना कोई लेफ्ट ना कोई राइट..यहां उनके गठबंधन से नहीं है किसी की भी फाइट..लेकिन जब इसी बीच फैमिली फाइट को लेकर सवाल पूछा जाता है तो अनुप्रिया बड़ा बयान दे देती है…
हाल में स्वार और छानबे विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव अपना दल (एस) को मिली जीत पर अनुप्रिया पटेल ने कहा कि,
हम जनता के मुद्दे पर लड़ाई लड़ी और जनता ने हमें चुना
वहीं आजम खान के गढ़ स्वार के जीत पर उन्होंने कहा कि,

गढ़ किसी का भी नहीं होता जबतक जनता जीत दिलाती है तो वो गढ़ हो जाती है और जनता जब आपका साथ छोड़ देती है तो वो कहीं का नहीं रह जाता
लेकिन इससे आगे सोनेलाल पटेल की बेटियों के बीच राजनीतिक लड़ाई की ओर रुख करते हैं… तो दोनों बहनों के बीच उतनी जंग नहीं है… जितनी कही जाती है… बताने का प्रयास किया जाता है… याद कीजिए 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान सिराथू के रण में जब पल्लवी पटेल उतरी थी… अनुप्रिया पटेल ने वहां जाकर उनके खिलाफ प्रचार नहीं किया… बहन को हराने और बीजेपी उम्मीदवार केशव प्रसाद मौर्य को जीताने की अपील नहीं की… इस प्रभाव तो पड़ा… पल्लवी पटेल शानदार तरीके से जीत गई… केशव प्रसाद मौर्य बुरी तरह से हार गए… कुछ ऐसा ही कदम पल्लवी पटेल ने भी अपनी बहन अनुप्रिया पटेल की राजनीति के पक्ष में उठाया… स्वार और छानबे में जब विधानसभा उपचुनाव हुआ… अनुप्रिया पटेल के उम्मीदवारों के खिलाफ ना तो प्रचार किया… और ना नही प्रत्याशी उतारे…. अब अनुप्रिया पटेल ने कुछ ऐसा जवाब दिया… जिससे लगा क्या अनुप्रिया ने अपनी मां और बहन को संदेश दिया… कुछ भावनात्मक बाते कह दी… अनुप्रिया पटेल से पूछा गया आपकी मां और बहन स्वार और छानबे उपचुनाव में आपके खिलाफ प्रचार करने नहीं आई, क्या परिवार फिर से एक हो रहा है? इस सवाल पर अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कहा कि,

मेरी तरफ से कभी कुछ नकारात्मक नहीं रहा… 2022 के विधानसभा चुनाव में जब मेरी मां ने एक सीट पर लड़ने की घोषणा की तो मेरी पार्टी ने उस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा… मेरी तरफ से हमेशा अच्छा होता रहेगा बाकी उनकी मर्जी वो क्या फैसला लेती हैं… वैसे पिता जी ने पार्टी स्थापित की थी वो अब राज्य स्तरीय पार्टी हो चुकी है
साफ है… अनुप्रिया अपनी मां और बहन को अपने दिल की बात बता रही है… कह रही है… मैने तो ऐसा नहीं किया… तो सबकुछ भूलकर हम साथ क्यों नहीं हो जाते हैं… अब तो पार्टी भी बड़ी हो गई… पार्टी को मजबूत बनाने के लिए कई चेहरे चाहिए… तो साथ पल्लवी साथ आ जाए… मां कृष्णा पटेल का आशीर्वाद मिल जाए… अनुप्रिया पटेल की बातों से तो ऐसा ही लगता है… इसलिए तो सियासी गलियारे में ये चर्चा होने लगी है… सवाल होने लगे हैं… क्या सोनेलाल पटेल की बेटियों की सियासत एक हो जाएंगी… क्या क्या एक हो जाएंगी पटेल बहनें..