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UP Politics : 2024 में UP में नया सियासी समीकरण बनने वाला है

2024 में यूपी में नया सियासी समीकरण बनने वाला है !
अखिलेश यादव की राहुल गांधी से फिर दोस्ती होने वाली है !
राहुल ने अखिलेश को भेजा ऑफर… मायावती को किया इग्नोर

UP Politics : 2024 में UP में नया सियासी समीकरण बनने वाला है | The Rajneeti



2024 में फिर से 2017 वाली दोस्ती दिखने की संभवाना बढ़ गई है…कहने वाले कह रहे हैं… राहुल-अखिलेश की दोस्ती में लगे ब्रेक अब फिर से खत्म होने वाली है… अखिलेश ने पहले शुरूआत की… अब राहुल ने अपनी ओर से पहल कर दी… अखिलेश को राहुल ने वेकअप क़ॉल कर दिया है… कहने वाले कह तो रहे हैं… राहुल ने अखिलेश को ऑफर दिया है…. और मायावती से इग्नोर कर दिया… अखिलेश के लिए राहुल सहारा बनने वाले हैं… बर्शते अखिलेश उन्हें 2024 की लड़ाई में चेहरा मान ले…ये हम क्यों कह रहे हैं…. बस 2 मिनट में जानिए…. दरअसल कांग्रेस ने गुरुवार को सिद्धारमैया को कर्नाटक (Karnataka) का अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया… जबकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी… अब दोनों 20 मई को दोपहर साढ़े 12 बजे अपने-अपने पद की शपथ लेंगे… इसके लिए जरिए कांग्रेस यूपी में भी नया सियासी समीकरण बनाना शुरू कर दिया है…
असल, 20 मई केशपथ ग्रहण समारोह के लिए कांग्रेस ने यूपीए के करीब सभी दलों को निमंत्रण भेजा है… ऐसे में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को भी निमंत्रण भेजा है… हालांकि कांग्रेस बीएसपी चीफ मायावती से किनारा करती नजर आ रही है… पार्टी ने शपथ ग्रहण में आने के लिए बसपा चीफ को निमंत्रण नहीं भेजा है… इसके जरिए कांग्रेस ने राज्य में नए सियासी समीकरण के पूरे संकेत दे दिए हैं… कांग्रेस ने ये कदम ऐसे वक्त में उठाया है, जब कर्नाटक में पार्टी की जीत के बाद बीजेपी के कई विरोधी दलों का कांग्रेस के प्रति रुख नरम पड़ा है… आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कई दलों ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है… हालांकि अखिलेश यादव पहले यूपी में किसी भी दल से गठबंधन करने से इनकार कर रहे थे… लेकिन कर्नाटक चुनाव के नतीजों ने उनके भी रुख को बदल दिया है…
अब अखिलेश यादव ने अपने ताजा बयान में कांग्रेस को समर्थन देने के संकेत दिए हैं. जबकि इससे पहले उन्होंने कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में लोकसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवार उतारने के संकेत दिए थे… हालांकि दूसरी ओर देखा जाए तो अभी कांग्रेस ने मायावती को लेकर कोई फैसला नहीं किया है… लेकिन सियासी गलियारे में तो चर्चा बस यही है… कांग्रेस मायावती शपथ ग्रहण में आने का निमंत्रण नहीं भेजेगी… यानी कांग्रेस का स्पष्ट संदेश है कि अगर अखिलेश यादव फिर से साथ आते हैं तो पार्टी तैयार है… आपको बता दें कि… 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने गठबंधन किया था… हालांकि पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था… इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बीएसपी एक साथ आए थे… लेकिन चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों ने गठबंधन तोड़ दिया था…

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