कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को जब गोहरी गांव पहुंचकर सामूहिक नरसंहार केपीड़ित परिजनों से मुलाकात की तो वे उन्हें देख भावुक हो गए और पूरा परिवार प्रियंका गांधी के पांव पकड़कर रोने लगा और इंसाफ दिलाने की गुहार लगाने लगा। प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार केसाथ तकरीबन 40 मिनट तक साथ रहीं और सांत्वना देती रहीं। परिजनों ने प्रियंका को बताया कि हत्यारे तीन साल से लगातार प्रताड़ित कर रहे थे।
मृतक के भाई और एसएसबी के जवान किशन और उनकी पत्नी राधा देवी, बहन पूजा, रेखा सहित अन्य परिजनों ने बताया कि हत्यारों की ओर से लगातार उनके भाई और भाई की पत्नी, दोनों बच्चों को लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा। उन्होंने बताया कि जब भी उनके भाई या उनके परिवार के सदस्य थाने जाते तो स्थानीय पुलिस मदद करने के बजाय उल्टे उन्हें ही डराती और धमकाती थी। बाद में जब पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया तो उन पर समझौता करने का दबाव बनाती रही।
उन्होंने बताया कि आरोपियों का मृतक परिवार के मकान के पीछे भट्ठा है। उनके मकान के बगल से रास्ते की मांग को लेकर लगातार दबाव बना रहे थे। भाई किशन ने कांग्रेस महासचिव से सुरक्षा दिलाने की मांग की। कहा कि वे छत्तीसगढ़ में तैनात हैं, स्थानीय पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही है। ऐसे में वह अपनी ड्यूटी देखें कि परिवार की सुरक्षा करें। इस पर प्रियंका ने उन्हें हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया।
बातचीत केदौरान मृतक परिवार के भाई-बहन केअलावा रिश्तेदार, गांव की अन्य महिलाएं और पुरुष, प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण, कांग्रेस की महिला जिलाध्यक्ष अल्पना निषाद सहित कई कांग्रेसी नेता मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ की पुलिस करेगी पीड़ित परिवार की सुरक्षा
सामूहिक नरसंहार के पीड़ितों से बातचीत करने के बाद प्रियंका गांधी ने बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से बात कर ली है और एक-दो दिनों मेें पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया करा दी जाएगी। इसके साथ ही उनको कानूनी मदद भी मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए विधि प्रकोष्ठ के साथियों से बात कर वरिष्ठ अधिवक्ता से मामले की पैरवी कराई जाएगी, ताकि हत्यारों को फांसी की सजा हो सके
प्रियंका के पहुंचने के बाद जमकर हुई धक्कामुक्की
प्रियंका गांधी के गोहरी गांव पहुंचने पर बड़ी संख्या में आसपास केलोग एकत्र हो गए। हर कोई प्रियंका की बात सुनने को बेताब नजर आया। भीड़ अधिक होने से धक्कामुक्की होने लगी। इसका शिकार मीडिया कर्मी व पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह भी हुए। भीड़ की वजह से सुरक्षा बल पूर्व विधायक को पीड़ित परिवार के घर के अंदर नहीं जाने दे रहे थे। बाद में पार्टी के दूसरे नेताओं को इसकी जानकारी हुई तो उन्हें भीतर बुला लिया गया। उसके बाद भी धक्का-मुक्की होती रही। सुरक्षा बलों ने किसी तरह से स्थिति संभाली।
एक साथ उठीं चार अर्थियां, ग्रामीणों की भी आंखें हुईं नम
फाफामऊ के गोहरी में मारे गए दंपति व दो बच्चों के शव अंतिम संस्कार के लिए दोपहर बाद फाफामऊ घाट पर ले जाए गए। इस दौरान एक साथ चार अर्थियां उठीं तो वहां मौजूद गांववालों की भी आंखें नम हो गईं। उधर परिजनों की चीत्कार से गांव में कोहराम मचा रहा। फाफामऊ घाट पर लालचंद ने भाई व अन्य परिजनों की चिताओं को मुखाग्नि दी तो उसकेआंसू छलक उठे। किसी तरह कांपते हाथों से उसने चारों शवों का अंतिम संस्कार किया।
सुबह 10.30 बजे पोस्टमार्टम हाउस से शव घर लाए गए तो वहां चीखपुकार मच गई। शवों को देखते ही परिजन फूट-फूटकर रोने लगे। परिवार की महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल था तो भाइयों व अन्य परिजनों की आंखों में भी आंसू थे। मौके पर जुटे गांववाले भी गमगीन दिखे। दोपहर बाद जब एक साथ चारों अर्थियां उठीं तो एक बार फिर चीखपुकार मच गई। परिजनों का करुण क्रंदन देखकर वहां मौजूद ग्रामीण भी अपने आंसू रोक नहीं पाए।
किसी तरह नम आंखों से ही उन्होंने घरवालों को ढांढस बंधाया और तब जाकर अर्थियों को एंबुलेंस में रखकर फाफामऊ घाट पर ले जाया गया। घाट पर एक साथ परिवार के चार लोगों की चिताएं सजीं तो लोगों का कलेजा मुंह को आ गया। मृतक फूलचंद के बड़े भाई लालचंद ने कांपते हाथों से चिताओं को मुखाग्नि दी
दोपहर से होता रहा इंतजार, शाम को पहुंची प्रियंका
प्रियंका गांधी के आने की खबरें सोशल मीडिया पर बृहस्पतिवार की रात से ही तैरने लगी थीं। सुबह उनके आने का समय दोपहर एक बजे बताया गया। इस वजह से मौके भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत तमाम नेता भी उनका इंतजार एयरपोर्ट पर ही कर रहे थे। गोहरी गांव वह शाम सवा पांच बजे पहुंची।
इसके पहले वह शाम चार बजे लखनऊ से बमरौली एयरपोर्ट पहुंची। वहां से सीधे स्वराज भवन गईं। वहां, उन्होंने कुछ समय भी बिताया। स्वराज भवन के कर्मियों केसाथ बातचीत की और हाल जाना। इसके बाद वह सीधे गोहरी गांव गईं। उनके साथ प्रतिनिधिमंडल में सचिव संदीप सिंह, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, राष्ट्रीय सचिव बाजी राव खाडे, पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह, पूर्व विधायक विजय प्रकाश, भगवती चौधरी, राघवेंद्र सिंह, मकसूद खान, मुकुंद तिवारी, सुरेश यादव, हसीब अहमद, सुरेश पासी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी भी पहुंचे। वह वहां 50 मिनट तक रहीं और उसके बाद सीधे बमरौली एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं।
सामूहिक हत्या पर गरमाई सियासत, दिन भर चला हाई वोल्टज ड्रामा
गोहरी गांव की सामूहिक हत्या को लेकर शुक्रवार को सियासत गरमाई रही। शाम को जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी मौके पर पहुंची हीं थीं, वहीं सुबह से ही स्थानीय नेताओं का जमावड़ा लगा रहा। मौके पर कांग्रेस, सपा, बीएसपी, अपना दल एस, सीपीएम सहित अन्य छोटी पार्टियों केनेता और सामाजिक, दलित और अधिवक्ता संघ के तमाम सदस्य पहुंचकर न केवल घटना पर शोक जताया बल्कि विरोध प्रदर्शन कर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, प्रदेश सरकार केविरोध में जमकर नारेबाजी की।
घर पर शव रखकर प्रदर्शन कर रहे थे ग्रामीण
शुक्रवार की सुबह सामूहिक हत्या में मारे गए सभी लोगों का शव पोस्टमार्टम के बाद घर पहुंचा था। परिजन सभी शवों को दरवाजे पर रखकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। वे पीड़ित परिवार की सुरक्षा सहित अन्य मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे थे। मौकेपर एडीएम वित्त एवं राजस्व जगदंबा सिंह, एसपी क्राइम सतीश कुमार, एसडीएम फूलपुर ज्योति मौर्या, गंगापार एसपी अभिषेक कुमार अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में प्रशासन और पुलिस के लोग भी मौजद थे। दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों के लोगों के आने-जाने का सिलसिल लगा रहा। हर काई घटना पर अफसोस जता रहा था।
अपनी मांगों पर अड़े रहे
यही कह रहा था कि आखिर इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के हिम्मत कैसे हुई। नेताओं के अपने-अपने बयान थे। लेकिन, हत्यारों की गिरफ्तारी, मुआवजा, सुरक्षा दिए जाने की मांग पर सभी सहमत थे। वहां पर अधिवक्ताओं का गुट भी सक्रिय था। जो मृतक केपरिजनों और प्रशासन के बीच बातचीत कर रहा था। उनकी कहना था कि पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाय, सुरक्षा दी जाए, शस्त्र लाइसेंस दिया जाए, नौकरी दी जाए, हत्यारों को फांसी दी जाए। इन्हीं मांगों के लेकर वे भी पीड़ित परिवार के साथ प्रदर्शन में भी शामिल थे। दोपहर एक बजे के बाद दोनों पक्षों में वार्ता हुई।
आश्वासन के बाद माने परिजन
डीएम के निर्देश पर वहां मौजूद एडीएम ने उनकी मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया। इसके बाद शवों को अंतिम संस्कार कराने के लिए भेज दिया गया। हालांकि, वहां मौजूद सियासी दलों केकुछ नेताओं मांगों को पूरा किए जाने के बाद अंतिम संस्कार कराए जाने की बात कहकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। लेकिन, बाद में मृतक के भाइयों ने किशन ने शवों को अंतिम संस्कार कराने के लिए तैयार हो गए। इस पर प्रशासन और पुलिस के अफसर दो एंबुलेंस पर शवों को लादकर फाफामऊ घाट ले गए। शवों के जाने के बाद भीम आर्मी के अखिलेश अंबेडकर पीड़ित परिवार के मकान केसामने सड़क पर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। उन्होंने सौ मीटर तक नारेबाजी केसाथ जुलूस भी निकाला। इस दौरान विपछी पार्टियों के स्थानीय नेताओं का आना-जाना देर रात तक लगा रहा।
सोरांव विधायक का किया विरोध
सियासत के बीच पीड़ित परिवार को सांत्वना देने पहुंचे सोरांव विधायक जमुना प्रसाद सरोज को पीड़ित परिवार केलोगों का विरोध का सामना करना पड़ा। पीड़ित परिवार के सदस्यों ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी और वहां से चले जाने के लिए कह दिया। इस पर विधायक दरवाजे से दूर खड़े हो गए और पार्टी के नेताओं के साथ प्रशासनिक अफसरों से बात करने लगे। वहां भी वह ज्यादा देर तक खड़े नहीं रहे। विरोध को देखते हुए वे मुश्किल से 15 मिनट में ही वे वहां से चले गए।
इसकेपहले विधायक मृतक के दरवाजे पर पहुंचे तो उन्होंने घटना को लेकर कई बाते कहीं, जो पीड़ित परिवार केसदस्यों को नागवार लगी। विधायक शव रखकर हो रहे विरोध प्रदर्शन को खतम करने की बात कह रहे थे। घटना के मामले में उन्होंने कहा कि अब कौन जाने किसने हत्या की है, इस पर परिवार केसदस्य नाराज हो गए और विधायक को वहां से जाने के लिए कह दिया।