अमरोहा:: बावनखेड़ी गांव में अपने परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा । वही राष्ट्रपति ने भी शबनम और सलीम की दया याचिका खारिज कर दी है । इस फैसले के बाद शबनम के चाचा और चाची सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है।

शबनम की चाची कहती हैं कि हमें तो खून का बदला खून ही चाहिए । इसे फांसी जल्द हो जाए । दर्द से सहमी चाची ने ये भी कहा कि उस समय अगर वो भी घर में होते तो वो उन्हें भी मार डाला होता। वो घटना के बाद आधी रात में यहां पहुंचे थे । अब शबनम की चाची याचिका खारिज होने के बाद खुश हैं । वहीं फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद क्या डेडबॉडी लेंगीं? इस सवाल के जवाब में चाची ने कहा कि वो क्यों लेंगे? वो नहीं लेंगे । हम क्या करेंगे ऐसी लड़की की लाश लेकर?

वहीं चाचा ने कहा कि हम उस समय यहां नहीं थे । रात में दो बजे के बाद मौके पर पहुंचे थे, सब कटे हुए पड़े थे. इसने जो किया है, वो ही भरना है । उन्होंने कहा कि दूसरा देश होता तो इसे बहुत पहले ही फांसी हो जाती ।


आपको बता दे कि 14 से 15 अप्रैल 2008 को हसनपुर तहसील के गांव बावनखेड़ी के रहने वाले मास्टर शौकत अली की बेटी शबनम ने गांव के ही प्रेमी सलीम की खातिर अपने माता-पिता समेत परिवार के 7 सदस्यों को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था । बाद में नाटकीय ढंग से रोने लगी।
शबनम गांव के ही स्कूल मे शिक्षा मित्र थी । शबनम पठान बिरादरी से ताल्लुक रखती थी, वहीं उसका प्रेमी सलीम सैफी बिरादरी से था, जिससे शबनम के परिवार को दोनों के प्रेम में बाधा आ रही थी। घटना की काली रात में सोने से पहले शबनम ने अपने परिवार को चाय में नशे के गोलियां खिलाकर उनको सुला दिया ।
घटना का खुलासा होने के बाद से ही शबनम और उसका प्रेमी सलीम मथुरा की जेल की सलाखों के पीछे हैं । इनके मुकदमे की सुनवाई के बाद अमरोहा की जिला अदालत ने 2010 में दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसको उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक ने बरकरार रखा। अब देश के राष्ट्रपति ने भी शबनम और सलीम की दया याचिका ख़ारिज कर दी है. इस सुनवाई से फांसी की सजा से गांव के लोगों में ख़ुशी का माहौल है।