टीकाकरण के बाद लोगों में कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी तो बनी पर समय बीतने के साथ इसका असर कम होता जा रहा है। लोगों में टीका लगवाने के आठ माह बाद एंटीबॉडी का स्तर 84 फीसदी तक कम हुआ है। 

केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के सर्वे में इसकी पुष्टि की गई है। इसे देखते हुए विशेषज्ञों ने टीके की बूस्टर डोज देने की सिफारिश की है। केजीएमयू में टीके का प्रभाव जांचने के लिए लगातार परीक्षण चल रहा है। 

टीकाकरण के बाद एंटीबॉडी का स्तर मापने के लिए पिछले आठ महीने से सैंपल लिए जा रहे हैं। इस सर्वे में पांच सौ लोगों को शामिल कि या गया था। इनको तीन समूहों में बांटा गया था। पहले समूह में पांच महीने पहले टीके की दोनों खुराक ले चुके दो सौ लोगों को शामिल किया गया। 

इसमें देखा गया कि सभी में एंटीबॉडी तो है, लेकिन उसका स्तर 42 फीसदी तक कम हो चुका है। दूसरे समूह में शामिल उन दो सौ लोगों को रखा गया जिन्होंने दोनों डोज सात महीने पहली ली थी। इसमें पता चला कि 12.5 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी का स्तर शून्य के स्तर पर पहुंच चुका था। 

बचे एक सौ लोगों के समूह में आठ माह पहले टीकाकरण पूरा कर चुके लोगों को शामिल किया गया था। इनकी जांच में पाया गया कि 25 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी का स्तर निगेटिव या फिर शून्य तक पहुंच चुका था। बड़ी बात यह थी कि एंटीबॉडी के कुल स्तर में करीब 84 फीसदी तक की कमी पाई गई।
40 हजार से घटकर 50 से नीचे चला गया एटीबॉडी का स्तर
सर्वे में पता चला कि टीकाकरण के बाद व्यक्ति में 40 हजार तक एंटीबॉडी बनी थी। समय के साथ इनमें गिरावट आने लगी। 50 या इससे कम स्तर होने पर उसे निगेटिव माना जाता है। काफी मामलों में देखा गया कि एंटीबॉडी का स्तर 50 भी नहीं पहुंच रहा है। अगर सामान्य रूप से कुल गिरावट की बात करें तो पांच महीने के अंतराल के बाद एंटीबॉडी में 42 फीसदी, सात महीने के अंतराल पर 68 फीसदी और आठ महीने के अंतराल पर करीब 84 फीसदी की कमी आ गई।

कोवीशील्ड वैक्सीन पर हुआ सर्वे
लखनऊ में इस समय कोवीशील्ड, कोवॉक्सीन और स्पूतनिक तीन वैक्सीन लगाई जा रही है। सर्वे में कोवीशील्ड टीका लगाने वालों को ही शामिल किया गया था। इसमें ज्यादातर केजीएमयू के स्वास्थ्यकर्मी ही थे। यह सर्वे आगे भी जारी रहेगा। इसमें बूस्टर डोज लगने के बाद भी एंटीबॉडी का स्तर जांचा जाएगा।

एंटीबॉडी का स्तर कम होना बताता है कि समय बीतने के साथ टीके का असर कम हो रहा है। इसलिए बूस्टर डोज की जरूरत है। बूस्टर डोज लेकर घटी हुई एंटीबॉडी को फिर से बढ़ाया जा सकता है।