cement trader murder case

शाहजहांपुर में सीमेंट व्यापारी मनीष कपूर की शादी करीब दस साल पहले बरेली के बिहारीपुर ढाल की रहने वाली रोली कपूर से हुई थी। शनिवार को पूरे दिन रोली करवाचौथ की तैयारी में लगी रहीं। इसी बीच अचानक मनीष के गोली मारे जाने की सूचना मिली। यह मनहूस खबर मिलते ही रोली बदहवास हो गई। वह परिजन के साथ राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंची तो स्ट्रेचर पर मनीष का शव रखा मिला, जिसे देखकर रोली बिलख पड़ी और बेसुध हो गई। मनीष के कोई संतान नहीं है। इनके अलावा मनीष के परिवार में बुजुर्ग मां मोहिनी कपूर और भतीजे हैं। उनका सीमेंट और सेनेटरी-मार्बल्स, टाइल्स का बड़ा कारोबार है। एक सीमेंट कंपनी की शाहजहांपुर, सीतापुर और हरदोई की एजेंसी परिवार के पास है। इसमें हरदोई की एजेंसी का काम मनीष देखते थे। वह हरदोई में भी सीमेंट की रैक हैंडलिंग का काम देखते थे। मालगाड़ी से आने वाली सीमेंट की अनलोडिंग आदि का कार्य कराते थे। इस चक्कर में हफ्ते में करीब पांच दिन वह हरदोई में ही रहते थे। शनिवार और रविवार को शाहजहांपुर रहना होता था।

होटल में जांच करते हुए

बड़े भाई की कई साल पहले हुई थी हत्या
मनीष के बड़े भाई गोपाल की कई साल पहले हत्या कर दी गई थी। उनकी ससुराल मुरादाबाद में थी। वह एक विवाद निपटाने के लिए मुरादाबाद गए थे। वहां उनकी अपहरण करने के बाद हत्या की गई थी। उनका शव बरेली में रबड़ फैक्टरी के पास कई टुकड़ों में मिला था। तकरीबन तीन दशक पहले चचेरे भाई रज्जू का बीमारी के चलते निधन हो गया था।

पत्नी के साथ मनीष

दिव्यांग है हत्यारोपी मोहब्बत अली
रूबल यादव ने पुलिस के पूछताछ करने पर बताया कि उसने अपने साथी मोहब्बत अली के कहने पर मनीष को गोली मारी थी। आरोपी मोहब्बत अली थाना सदर बाजार क्षेत्र के तारीन बहादुरगंज का रहने वाला है। उसका एक भाई टेलीफोन एक्सचेंज के पास पान की दुकान लगाता है। जहां मोहब्बत अली कॉफी बेचता था। 

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मोहब्बत अली, उसके दो भाई और एक बहन दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। आसपास के लोगों के मुताबिक बड़ा भाई अक्सर मोहब्बत को कोई काम करने के लिए कहता था और अपराधियों की संगत से बचने के लिए समझाता था। बावजूद इसके मोहब्बत आवारागर्दी करता रहता था। वह काम-धंधे पर ध्यान देने की बजाय शराब पीना, जुआ खेलना आदि में गतिविधियों में शामिल रहता था।

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी

फायरिंग की बात बताकर बचने की कोशिश करता रहा रूबल
जब पुलिस ने रूबल से पूछताछ की तो वह बेहद शातिराना ढंग से अपना बचाव करता रहा। उसने कहा कि वह मनीष को नहीं जानता था। विवाद होने पर पहले मनीष की ओर से उस पर फायर किया गया। उसने बचाव में फायर किया, जिससे मनीष की मौत हो गई। उसने अपने पास तमंचा होने की बात स्वीकारी और कहा कि वह तमंचा लगाकर घूमा करता था। हालांकि मनीष के पास से कोई असलहा पुलिस को नहीं मिला था।