प्रदेश में पिछड़े माने जाने वाले बुंदेलखंड में 32 लाख लोग गरीब हैं। 96 लाख की आबादी वाले सातों जिलों में सबसे गरीब जिलों में चित्रकूट और बांदा शामिल किए गए हैं जबकि झांसी में चार लाख और ललितपुर में 4.39 लाख लोग अभावों में जीवन बिता रहे हैं। हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ। करीब 12 संकेतांकों पर आधारित इस रिपोर्ट में हर जिले में गरीबी के स्तर की जानकारी दी गई है।
नीति आयोग ने शुक्रवार को देशभर के राज्यों और जिलों के सर्वे के बाद बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) जारी किया। यह सूचकांक लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के आधार पर जारी किया गया। इसमें पोषण, बाल किशोर मृत्यु दर, प्रसव पूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा, उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते की संख्या को शामिल किया गया।
इसमें सामने आया कि बुंदेलखंड में करीब 33.20 फीसदी लोग गरीब हैं। इसमें सबसे आगे चित्रकूट में 52.86, बांदा में 40.29, ललितपुर में 35.98, महोबा में 35.29, हमीरपुर में 30.92, जालौन में 27.67 और झांसी में 20.27 फीसदी आबादी अभावों में जीवन जी रही है। इससे साफ है कि सतत विकास की दिशा में बुंदेलखंड काफी पिछड़ा हुआ है।
झांसी की 29.26 फीसदी ग्रामीण आबादी गरीब
आयोग ने हर जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र का गरीबी सूचकांक भी जारी किया है। जिसमें झांसी में ग्रामीण क्षेत्र में 29.26 फीसदी और शहर में 8.53 फीसदी आबादी गरीब है। इसके साथ ही बांदा में 44.20 ग्रामीण, 22.54 फीसदी शहरी, चित्रकूट में 55.31 ग्रामीण और 38.39 फीसदी शहरी, हमीरपुर में 36.33 फीसदी ग्रामीण, 9.03 फीसदी शहरी, जालौन में 34.86 फीसदी ग्रामीण, 9.09 फीसदी शहरी, ललितपुर में 42.49 फीसदी ग्रामीण, 10.75 फीसदी शहरी और महोबा में 40.99 फीसदी ग्रामीण, 16.74 फीसदी शहरी आबादी गरीब है।
प्रदेश में टॉप टेन में चित्रकूट
रिपोर्ट के आधार पर गरीबी सूचकांक में प्रदेश में चित्रकूट 10वें स्थान के साथ टॉप टेन में है। जबकि बांदा का 28वां, ललितपुर का 41वां, महोबा का 43वां, हमीरपुर का 56वां, जालौन का 60वां और झांसी का 66वां स्थान है। प्रदेश में श्रावस्ती पहले, बहराइच दूसरे और बलरामपुर तीसरे स्थान पर है।