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अपराजिता: मीनाक्षी…जिसके हौसले के आगे हारी सरकार, पति की हत्या को हादसा बताने वालों के खिलाफ खोला मोर्चा

मीनाक्षी… आजाद नगर में पली बढ़ी एक साधारण सी लड़की। पढ़ने में औसत। सोशल मीडिया और वाद विवाद से थोड़ा दूर। शादी के बाद घर गृहस्थी संभालने वाली महिला। इन्होंने जीवन में कभी सोचा तक नहीं था कि एक दिन उन्हें पुलिस, प्रशासन और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ेगा। मगर पिछले सोमवार को जीवन में ऐसा तूफान आया, जिसने इनके व्यक्तित्व की पहचान ही बदल दी। बीते छह दिनों में इन्होंने अपने हौसले की ऐसी मिशाल पेश की, जो देश दुनिया की हर महिला के लिए प्रेरणादायी बन गई। 

मीनाक्षी बर्रा-3 के रहने वाले मनीष गुप्ता की पत्नी हैं। मनीष की सोमवार को गोरखपुर पुलिस ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। यह ऐसी घटना थी जो किसी भी महिला के हौसले को तोड़कर रख देती है। मीनाक्षी के लिए भी यह घटना उतनी ही असहनीय रही। मगर जब मीनाक्षी को पता चला कि पुलिस पति की हत्या को हादसा बनाने में जुटी है तो इस महिला का ‘शक्ति स्वरूप’ जाग गया। अपने सुहाग, चार साल के बेटे के पिता और अपने ससुर के बुढ़ापे की लाठी मनीष को न्याय दिलाने के लिए अकेले दम पुलिस, प्रशासन और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

घटना से पहले, घटना के दौरान और घटना के बाद के तथ्यों को जुटाया। कड़ी से कड़ी को मिलाया। महज कुछ घंटों में ही साबित कर दिया कि गोरखपुर पुलिस झूठ बोल रही है। मीनाक्षी ने सूझबूझ का परिचय देते हुए वहां के डीएम और एसपी तक को बेनकाब कर दिया। जिले के दोनों आला अफसर मीनाक्षी पर दबाव बना रहे थे कि वह आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज न कराएं। मीनाक्षी के हौसले के आगे आखिरकार सरकार तक दबाव में आ गई और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया

मनीष गुप्ता हत्याकांड।

सरकार को माननी पड़ीं सारी मांगें 
मीनाक्षी को जब लगा कि आरोपियों को फरार करने में गोरखपुर पुलिस का हाथ है तो मुख्यमंत्री से मिले बगैर पति के शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। कानपुर का पुलिस प्रशासन उन्हें मनाने में असफल रहा। आखिरकार मुख्यमंत्री को उनसे मिलने के लिए हामी भरनी पड़ी। ये मीनाक्षी के हौसले और हिम्मत का ही नतीजा है कि उनकी सभी मांगें सरकार को माननी पड़ीं। 

चार साल का बेटा और ससुर मेरी जिम्मेदारी 
मीनाक्षी ने बताया कि पति की मौत की खबर सुनकर वे सुध बुध खो बैठी थीं। कार से कूदकर जान देने की कोशिश की थी। मगर पिता और ससुर ने हिम्मत दी। बेटे ने कहा कि वो खिड़की की तरफ धूप में बैठेगा ताकि मां कूद न सके। तब लगा कि बेटा मेरी फिक्र कर रहा है। उसे इस दुनिया में अकेले छोड़कर नहीं जा सकती। तभी ठान लिया कि मेरे परिवार को उजाड़ने वालों, बेकसूर की बिना वजह हत्या करने वालों को सबक सिखाकर रहूंगी। 
 

सबूत मिट रहे थे, उसे मीडिया में लाना जरूरी था
मीनाक्षी ने बताया कि पुलिस हर सबूत मिटा रही थी। इन्हें मीडिया में लाना जरूरी था। इसलिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। वो जानती थीं कि पति की हत्या किसी साधारण इंसान ने नहीं की है। गोरखपुर से जाने के बाद उनकी बात कहीं सुनी नहीं जाएगी। तभी जीवन में पहली बार मंगलवार सुबह ट्विटर पर एकाउंट खोला। सारे सबूत और अपनी बात उसमें डालती गईं। जनता और मीडिया ने मेरा साथ दिया। 

ये है परिवार 
मीनाक्षी के पिता मदन गोपाल गुप्ता बिजनेस करते थे। अब वृद्धावस्था की वजह से घर पर हैं। मीनाक्षी के बड़े भाई सौरभ दिल्ली में बिजनेस करते हैं। मीनाक्षी की वर्ष 2012 में मनीष से शादी हुई। चार साल का बेटा अभिराज है। मीनाक्षी दो साल पहले तक पति के साथ दिल्ली में रहती थीं। सास की मृत्यु के बाद ये कानपुर में रहने लगीं।

मनीष घर के इकलौते बेटे थे। मनीष के पिता नंदकिशोर गुप्ता हैं। वृद्धावस्था की वजह से ये भी घर पर रहते हैं। मनीष इकलौते कमाने वाले थे। इनकी दो बहनें निशा और शिवानी हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। निशा कानपुर में और शिवानी आगरा में रहती हैं। मीनाक्षी ने आदर्श ज्योति विद्या मंदिर से हाईस्कूल किया। कानपुर विद्या मंदिर से इंटर, डीजी कालेज से बीए और डीएवी कालेज से फाइन आर्ट में एमए किया। 

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