औरैया में सहायल क्षेत्र के गांव बहादुरपुर छौंक में खुदाई के दौरान सोने की 16 मोहरें व चांदी के दो सिक्के मिले हैं। खेत मालिक ने मुहरें ग्रामीणों को दिखाईं तो सूचना पुलिस तक पहुंच गई। पुलिस ने ग्रामीण से मोहरें अपने कब्जे में लेकर पुरातत्व विभाग को सूचना दी है। खेत पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है।

काफी ऊंचाई पर बसे बादशाहपुर छौंक गांव के रामबाबू पाल गुरुवार को अपने खेत से मिट्टी उठवा रहे थे। थोड़ी खुदाई पर ही उन्हें पीली धातु के मोटे सिक्के नजर आए। उन्होंने मिट्टी हटायी तो पीली धातु के 16 व सफेद धातु के दो सिक्के मिले। खेत से सोने के सिक्के निकलने की खबर क्षेत्र में फैल गई। लोग खेत पर पहुंच गए।

गुरुवार रात गांव के चौकीदार ने इसकी सूचना पुलिस को दी। शुक्रवार सुबह सहायल पुलिस गांव पहुंच गई और मुहरें अपने कब्जे में ले लीं। पुलिस उपाधीक्षक सदर सुरेंद्रनाथ यादव ने बताया कि प्राचीन सिक्कों में उर्दू व अरबी में कुछ अंकित है। इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग और संबंधित मजिस्ट्रेट को दी गई है। 

ग्रामीणों से कुछ और लोगों को सिक्के मिलने की जानकारी मिली है, इस पर लोगों से पूछताछ की जा रही है। खेत पर पुलिस तैनात कर दी गई है ताकि सिक्कों को लेकर किसी तरह की अफरातफरी न हो।

औरैया: खेत से निकलीं मुगलकालीन 16 स्वर्ण मोहरें, अरबी-फारसी में लिखा है 29 जुलूस इटावा, ग्रामीणों ने पुलिस को दी जानकारी

मुहरों में इटावा का नाम

अलीगढ़ मुस्लिम विवि में अरब कल्चर के सहायक प्रो. डा. शब्बीर अहमद ने मोहर के फोटो देख बताया कि यह सिक्के नहीं मोहरें हैं। इन पर फारसी में 29 जुलूस-इटावा लिखा है। मुगल काल और उससे कुछ पहले ऐसी मोहरें बनती थीं। 29 जुलूस लिखने का आशय यह हो सकता है कि संबंधित शासक को राज्य करते हुए 29 वर्ष हो चुके हों। हर साल राजदरबारों से बड़े जुलूस आयोजित होते थे। इनकी यादगार में शासक मोहरें ढलवाते थे।

छह मोहरें कहां गायब हो गईं

खेत से निकलने और पुलिस के जब्ती दस्तावेजों के बीच कुछ मोहरें गायब हो गईं। खेत मालिक रामबाबू ने बताया, ‘मैंने खेत में मिले सभी 16 मोहरें व दो चांदी के सिक्के पुलिस को सौंप दिए।’ उधर पुलिस उपाधीक्षक सदर सुरेंद्रनाथ यादव ने बताया कि कुल 12 सिक्के मिले हैं, जिनमें 10 पीली धातु और दो सफेद धातु के हैं।’ आखिर पीली धातु की छह मोहरें कहां चली गईं, यह साफ नहीं हो पा रहा है।

गंगा सिंह-बदन सिंह थे इलाके के सामंत

पहले भी इस क्षेत्र में सिक्के, क्षतिग्रस्त मूर्तियां व अन्य पुरातन महत्व की चीजें खुदाई में मिलती रही हैं। मुगल काल में यह क्षेत्र राजा गंगा सिंह और उनके बाद बदन सिंह के अधीन रहा। औरैया और आसपास जिलों में पुरातात्विक महत्व पर कई वर्षों से काम कर रहे भारत प्रेरणा मंच के अविनाश अग्निहोत्री बताते हैं कि 1190 में सहायल क्षेत्र राजा गंगा सिंह के अधीन था। 

पृथ्वीराज चौहान ने जब महोबा पर चढ़ाई की थी, तब गंगा सिंह व कन्नौज के राजा जयचंद, आल्हा-ऊदल के साथ पृथ्वीराज चौहान से लड़े थे। इस लड़ाई में गंगा सिंह मारे गए थे। उस समय देश में मुगलों का आधिपत्य था और स्थानीय राजा बतौर सामंत मुगलों का कामकाज देखते थे।

पहले भी खेत से मिले हैं सिक्के

बहादुरपुर छौंक के लोगों को पहले भी सोने और चांदी के सिक्के मिले हैं। ग्रामीणों से जानकारी पर पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो गांव के युवक लालता प्रसाद से भी पुलिस को एक सिक्का मिला। लालता प्रसाद को पुलिस अपने साथ थाने ले गई थी, काफी देर पूछताछ के बाद उसने बताया कि करीब एक माह पूर्व उसे खेत से सिक्का मिला था। लालता प्रसाद ने सोने का सिक्का पुलिस को सौंप दिया। कई और लोगों के नाम सामने आए हैं जिनको सिक्के मिले हैं, थानाध्यक्ष राजकुमार का कहना है कि अभी लोगों से पूछताछ की जा रही है।