घूस का केस पकड़ा। फिर घूस पकड़ने वाले ने भी केस दबाने को घूस मांगी। वो भी करीब 69 गुना। दोनों के बीच रकम का लेन-देन हुआ तो सीबीआई ने शिकंजा कस दिया। यह दिलचस्प मामला कानपुर का है, जहां 290 रुपये की घूस छिपाने के लिए कानपुर सेंट्रल के डिप्टी सीआईटी से रेलवे के चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर ने 20 हजार रुपये वसूल लिए थे। शिकायत पर सीबीआई ने दोनों पर एफआईआर दर्ज की है। एक दलाल भी सीबीआई की जांच में फंसा है।

सीबीआई नई दिल्ली की स्पेशल टास्क फोर्स में शिकायत की गई थी कि बीती 16 फरवरी को ट्रेन नंबर 14863 मरुधर एक्सप्रेस में नार्थ सेंट्रल रेलवे के चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर संतोष पांडेय जांच कर रहे थे। उसी दौरान ट्रेन में तैनात डिप्टी सीआईटी पंकज वर्मा के पर्स से उन्हें 290 रुपए ज्यादा मिले।

सीबीआई इंस्पेक्टर संजीव कुमार सिंह के मुताबिक चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर ने पंकज वर्मा को धमकी दी कि 290 रुपये ज्यादा मिलना भ्रष्टाचार का सबूत है। उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी। नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है। मामला खत्म करने के लिए उन्होंने 30 हजार रुपये मांगे। एक घंटे तक मोलभाव के बाद 20 हजार रुपये में मामला रफा-दफा करने पर सहमति बन गई।

पैसा देने के बाद की शिकायत, खुद भी फंसे

चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर संतोष पांडेय को आनलाइन घूस देने के बाद डिप्टी सीआईटी पंकज वर्मा ने सीबीआई से शिकायत कर दी। सीबीआई टास्क फोर्स के इंस्पेक्टर संजीव सिंह को जांच सौंपी गई। उन्होंने घूस लेने वाले अफसर के साथ-साथ घूस देने वाले को भी बराबर का आरोपित पाया। 25 अप्रैल को सीबीआई ने तीनों पर रिपोर्ट कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

यूपीआई एप से दी रिश्वत की रकम

घूस की रकम दस-दस हजार रुपये की दो किस्तों में देने पर सहमति बनी। एफआईआर के मुताबिक डिप्टी सीआईटी ने दस हजार की पहली किस्त इंडियन बैंक के खाते से यूपीआई एप से संतोष पांडेय के खाते में ट्रांसफर की। दस हजार की दूसरी किस्त दलाल सुभाष चंद्र यादव के इंडियन बैंक के खाते से संतोष पांडेय के खाते में ट्रांसफर की गई।