लखीमपुर बवाल में कुल आठ लोग मारे गए हैं। इसमें चार किसान थे और एक पत्रकार। साथ ही दो भाजपा के कार्यकर्ता और एक केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का ड्राइवर भी था। पर फिक्र सिर्फ पांच लोगों की हुई। खीरी जिले के दोनों किसानों व पत्रकार के परिवार को 45 लाख मुआवजे के चेक दिए गए। पर बाकी तीनों का कोई पुरसाहाल नहीं है। सोशल मीडिया में भाजपा के भीतर से ये आवाज उठने लगी है। लोग सवाल कर रहे हैं, वहीं नेताओं के इसका जवाब नहीं है।

मृतक चार किसानों में दो खीरी जिले के थे लवप्रीत और नक्षत्र सिंह। इन दोनों के परिवार को सरकार ने वादे के मुताबिक मंगलवार की रात को ही 45 लाख रुपए के मुआवजे की चेक भिजवा दिया। चेक लेकर खुद डीएम और सीडीओ गए। उधर, मृतक पत्रकार रमन के घर भी बुधवार को एसडीएम निघासन चेक लेकर पहुंच गए। इस पूरे कांड में वे तीन लोग हर तस्वीर से गायब हैं, जिनको भाजपा अपना बता रही थी। इनमें सिंगाही के सिंगहा कला निवासी श्याम सुंदर, फरधान निवासी हरिओम मिश्रा और लखीमपुर निवासी शुभम मिश्रा का नाम शामिल है। ये चार दिन में ऐसे गुमनाम हो गए, जैसे कि ये तस्वीर में कहीं थे ही नहीं। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष विजय शुक्ला रिंकू कहते हैं कि सोमवार को भाजपा दफ्तर पर चिंतन बैठक में मारे गए कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी गई थी। हां, मीडिया के लोग नहीं बुलाए गए। प्रेस नोट जारी करने को मीडिया प्रभारी को कहा गया था। पता नहीं, प्रेस नोट जारी हुआ या नहीं।

एक को मंडल मंत्री और दूसरे को बूथ अध्यक्ष बताया गया था

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र ने श्याम सुंदर को भाजपा का मंडल मंत्री और शुभम मिश्रा को बूथ अध्यक्ष बताया था। साथ ही हरिओम को अपना ड्राइवर माना था। पर चौथे दिन भी इन तीनों के परिवारों का हाल किसी ने नहीं लिया। उनके नाम पर एक शोकसभा भी कहीं नहीं हुई। खुद भाजपा की ओर से इन लोगों के लिए कोई बयान तक जारी नहीं किया गया। इनके अंतिम संस्कार में नेता नहीं गए। इनके परिवारों का हाल पूछने कोई अफसर नहीं गया। 

सोशल मीडिया पर भाजपाई ही गुस्से में

दो कार्यकर्ताओं व एक ड्राइवर की मौत के मामले में कोई सरकारी मदद न मिल पाने का गुस्सा सोशल मीडिया पर भी दिख रहा है। भाजपा से जुड़े लोग भी इससे नाखुश हैं। सीजीएनपीजी के प्रवक्ता सुशील गुप्ता लिखते हैं-संघर्ष अकेले ही करना पड़ता है। अनुराधा बंसल लिखती हैं कि सभी मृतकों को भी न्याय नहीं, यह कैसी अनहोनी? कवि गोविंद गुप्ता ने फेसबुक पर लिखा-कितना अंतर है, आत्मा एक। आठ लोगों की मृत्यु। चार के लिये राजनीतिक पर्यटन। बाकी के लिए दुख भी व्यक्त नहीं।

विधायक ने लिखा मिलेगा-लोग बोले-कब

भाजपा के मोहम्मदी विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा-दुर्भाग्यपूर्ण हुई घटना में सभी मृतकों को 45 लाख रुपया मिलेगा! इतना लिखना हुआ कि लोग पूछने लगे कि कब मुआवजा मिलेगा? किसी ने पूछा कि क्या कार्यकर्ताओं को मुआवजा मिलेगा? विक्की शुक्ला ने लिखा-देर से लिया गया निर्णय। 

जान चली गई, अब कोई पूछने भी नहीं आ रहा

तिकुनिया कांड में जान गंवाने वाले बाकी तीन लोग भी बेहद गरीब परिवारों से हैं। सिंगहा कला के रहने वाला श्याम सुंदर निषाद भाजपा सिंगाही मंडल के मंत्री थे। श्याम सुंदर के पास महज सात बीघा जमीन थी। उसके दो भाई और हैं। इनमें से एक देहरादून में मजदूरी कर रहा था। घर में पत्नी रूबी, दो बेटियां हैं। श्याम सुंदर ही परिवार का खर्च उठा रहा था। फरधान थाना क्षेत्र के गांव परसेहरा बुजुर्ग निवासी हरिओम केंद्रीय मंत्री के ड्राइवर थे। हरिओम (25) अभी अविवाहित थे। वह दिन रात मेहनत करके अपनी छोटी बहन, छोटे भाई व बूढ़े मां बाप का पालन पोषण करते थे। लखीमपुर शहर के शिवपुरी मोहल्ले में रहने वाला शुभम मिश्रा भाजपा से जुड़ा हुआ था। वह पार्टी बूथ अध्यक्ष का काम देखता था। उसके पिता विजय मिश्रा की नौकरी भी पिछले तीन चार महीने से छूट चुकी थी। शुभम की तीन साल पहले शादी हुई थी। उसे एक बच्ची है। इन सब का हाल लेने भी कोई नहीं पहुंचा, मदद तो दूर की बात है।