प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड में सीबीआई ने मंगलवार को एफआईआर दर्ज कर ली। मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की तहरीर पर गोरखपुर के रामगढ़ थाने के निलंबित इंस्पेक्टर, दो दरोगा और चार अज्ञात के खिलाफ सीबीआई लखनऊ शाखा ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। सभी आरोपित गोरखपुर जेल में ही बंद हैं। अभी तक जांच कानपुर कमिश्नरेट की एसआईटी कर रही थी जो अब बंद हो जाएगी। सभी साक्ष्य सीबीआई को सौंप दिए जाएंगे।

गोरखपुर के होटल कृष्णा पैलेस में पुलिस की पिटाई से मनीष की मौत हुई थी। सीबीआई ने रामगढ़ थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर जगत नरायन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्रा, विजय यादव और चार अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है। सभी के नाम गोरखपुर में दर्ज एफआईआर में भी शामिल थे।

एसआईटी अपनी जांच बंद कर सीबीआई को सौंप देगी सारे सबूत 

प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या की चार्जशीट के करीब तक पहुंची एसआईटी जांच सीबीआई में मामला दर्ज होने के बाद अब बंद हो जाएगी। पूरी केस डायरी और अब तक जुटाए गए साक्ष्य सीबीआई को सौंप दिए जाएंगे। मनीष हत्या मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर कानपुर पुलिस कमिश्नरेट ने एसआईटी गठित की थी। इस एसआईटी का अध्यक्ष एडिश्नल सीपी क्राइम व हेडक्वाटर्स आनंद प्रकाश तिवारी को बनाया गया था। इसके अलावा सदस्य के तौर पर डीसीपी साउथ रवीना त्यागी और विवेचक एडीसीपी पश्चिम बृजेश श्रीवास्तव को बनाया गया था। एसआईटी ने इस मामले में तेजी से जांच को आगे बढ़ाया और आरोपित छह पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

एसआईटी ने 15-20 दिन गोरखपुर में जांच की। घटना के रीकंस्ट्रक्शन से लेकर होटल मालिक, कर्मियों, मनीष के गोरखपुर निवासी रिश्तेदार, दोस्त व घटनास्थल के आसपास के लोगों के बयान दर्ज किए गए। एसआईटी कानपुर से ही फोरेंसिक टीम को ले गई थी। जिसने वहां पर होटल कृष्णा पैलेस के कमरे से सबूत जुटाए। इसी दौरान एसआईटी ने आरोपित पुलिस कर्मियों पर भी दवाब बनाया और उन्हें गिरफ्तार करवाकर जेल भेजा।

सिर्फ रीकंस्ट्रक्शन और मजिस्ट्रेट के सामने बयान बाकी 

एसआईटी ने इस पूरे मामले में जांच लगभग पूरी कर ली थी। मामला सिर्फ इस बात पर अटका था कि चार्जशीट हत्या या फिर गैर इरादातन हत्या की धारा में दाखिल की जाए। इसके लिए एसआईटी मनीष के साथ घटना के समय मौजूद दोनों मित्रों को गोरखपुर ले जाकर उनके सामने घटना का रिकंस्ट्रक्शन कराना चाहती थी। उनके बयान एसआईटी पहले ही दर्ज कर चुकी थी। इसके अलावा पांच प्रमुख लोग जिनमें मनीष की पत्नी मीनाक्षी, उसके दोनों दोस्त हरमीत उर्फ रिंकू व प्रदीप होटल का कर्मी चंदन और मनीष का भांजे रितेश के मजिस्ट्रेट के सामने कलमबंद बयान दर्ज कराने थे। इन दो कार्रवाई के बाद एसआईटी इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर देती।

12 अक्तूबर को सरकार सुप्रीम कोर्ट में देगी जवाब

सुप्रीम कोर्ट में केस लिस्ट होने के साथ ही राज्य सरकार को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया गया है। जिसकी सुनवाई 12 नवम्बर को होनी है। इस तारीख पर राज्य सरकार की तरफ से जवाब लगाया जाएगा कि उनकी संस्तुति के बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि केस सीबीआई ने पंजीकृत किया है तो सुनवाई भी सीबीआई कोर्ट में होगी। गोरखपुर सत्र न्यायालय में की फाइल सीबीआई कोर्ट में ट्रांसफर हो जाएगी।

एसआईटी की केस डायरी अपने कब्जे में लेगी सीबीआई

मनीष हत्याकांड में एसआईटी की केस डायरी सीबीआई अपने कब्जे में लेगी। जांच के दौरान जुटाए गए साक्ष्यों की नए सिरे से पड़ताल होगी। पूरे घटनाक्रम को सीबीआई अपने नजरिये से देखेगी। होटल, अस्पताल के गवाहों और आरोपितों से नए सिरे से सीबीआई पूछताछ क रेगी। सीबीआई की तरफ से इस केस की विवेचना इंस्पेक्टर विवेक श्रीवास्तव को सौंपी गई है। वह अपनी टीम के साथ मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता से मिलेंगे। उसके बाद गोरखपुर रवाना होगी। वहां पर होटल कृष्णा पैलेस, जिला अस्पताल सीबीआई के रडार पर होंगे। होटल में घटना वाले कमरे में घटना का रिकंस्ट्रक्शन कराया जाएगा। इसके बाद जिला अस्पताल के दस्तावेज देखे जाएंगे। इसी दौरान सीबीआई इस केस में जो फोरेंसिक सबूत जुटाए गए हैं उसका भी रिव्यू करेगी। जरुरत पड़ने पर वह अपनी फोरेंसिक टीम से दोबारा पूरे मामले की जांच कराएगी। सीबीआई इस मामले में सभी प्रमुख लोगों के बयान भी दोबारा दर्ज करेगी।

पत्‍नी मीनाक्षी ने सीएम योगी को दिया धन्‍यवाद

थैंक्यू योगी जी, आपकी सिफारिश के बाद सीबीआई जांच शुरू हुई है। अब भरोसा है कि मनीष को न्याय मिलेगा। बस सीबीआई अपनी जांच निष्पक्ष रूप से कर मनीष की निर्मम हत्या की वजह बता दे। ये बातें मंगलवार देर शाम सीबीआई के एफआईआर दर्ज करने के बाद जानकारी मिलने पर दिवंगत मनीष गुप्ता की पत्नी ने कही।

मीनाक्षी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े भाई के तरह उनकी सारी मांगे पूरी की हैं। सीबीआई के लिए भी उन्होंने सिफारिश की थी, लेकिन जांच शुरू होने में देरी हो गई। पर अब सीबीआई ने अपनी तरफ से एर्फआईआर दर्ज कर ली। सीबीआई की जांच शुरू होगी तो कई बड़े खुलासे और आरोपित पुलिसवालों की लापरवाही और उनके अपराध की कुंडली भी खुलेगी।

मीनाक्षी ने कहा कि वह सीबीआई की जांच से जानना चाहती हैं कि आखिरी 27 सितंबर की देर रात होटल के कमरे में ऐसा क्या हुआ था, जो पुलिस वालों को मनीष के साथ थर्ड डिग्री का प्रयोग करना पड़ा। वो कोई अपराधी तो थे नहीं। फिर ऐसा क्या हुआ था जो उन्हें पुलिस वालों ने अपराधियों की तरह मारा और निर्मम हत्या कर दी। कोई आमजन को तो थर्ड डिग्री प्रयोग नहीं करता है। इस घटना के पीछे कोई तो ऐसी बात है। अचानक से कोई होटल के उसी एक कमरे में घुसकर बेरहमी से नहीं पीटने लगेगा। सीबीआई अधिकारी निष्पक्ष रूप से जांच कर लें।

सीबीआई को अपने बयान दूंगी तो वो धारा खुद बढ़ा देगी

मीनाक्षी ने कहा कि मुझे पूरी घटना की हिस्ट्री जाननी है। सीबीआई को जब मैं अपना बयान दूंगी तो घटना में शामिल आरोपितों के अपराध सामने आ ही जाएंगे। मेरा मानना है कि मेरे बयान के बाद मुझे सीबीआई को ये बताना नहीं पड़ेगा कि वो क्या धाराएं लगाएं। सीबीआई खुद अपने अनुसार आरोपितों पर धारा बढ़ा देगी और कई और आरोपितों के चेहरे सामने आएंगे।

गोरखपुर में हत्या का पहला मामला जिसकी जांच करेगी सीबीआई

मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच सीबीआई ने मंगलवार को अपने हाथ में ले लिया है। इसी के साथ गोरखपुर का यह पहला कांड होगा जिसकी अब सीबीआई जांच करेगी। हालांकि इससे पहले मधुमिता हत्याकांड के आरोपित अमरमणि के ममले की सीबीआई जांच कर चुकी है, लेकिन वह मामला लखनऊ में दर्ज था। पूर्व मंत्री अमरमणि को उस मामले में उम्रकैद की सजा हुई है और वर्तमान में वह जेल में ही हैं। वहीं, सारा की मौत के मामले में अमरमणि के पुत्र विधायक अमनमणि के खिलाफ भी सीबीआई जांच हुई थी लेकिन वह भी गोरखपुर से जुड़ा नहीं था। इसके अलावा भ्रष्टाचार और घोटाले के प्रकरण में दर्ज मामलों में सीबीआई जांच के लिए गोरखपुर आती रही है।

कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पुलिस पिटाई से मौत के आरोप में इंस्पेक्टर जेएन सिंह सहित छह पुलिस कर्मियों पर हत्या का केस दर्ज किया गया है। इन पुलिस कर्मियों में तीन नामजद तो वहीं, तीन अज्ञात पर मुकदमा दर्ज था। एसआईटी ने अपनी जांच में तीन अज्ञात पुलिसवालों को भी नामजद करने के साथ ही हत्या के अलावा साक्ष्य छिपाने सहित दो अन्य धाराएं भी बढ़ा दी थी। हालांकि सीबीआई इसकी नए सिरे से जांच करेगी। वह होटल में पुलिसवालों के जाने से लेकर मेडिकल कॉलेज तक मनीष को ले जाने और मोर्चरी में शव रखवाने के बाद पीएम करने वाले डॉक्टर और मुकदमे में देरी की वजह तथा इससे जुड़े अफसर और वायरल ऑडियो-वीडियो सहित सभी पहलुओं की जांच करने के बाद किसी नतीजे पर पहुंचेगी। उधर, सीबीआई को केस ट्रांसफर होने के बाद कई अफसरों ने राहत भी महसूस की है।

माना जा रहा है था कि पुलिस कुछ भी करेगी दुर्भाग्य से इस प्रकरण में पब्लिक को कुछ न कुछ कमी नजर आएगी क्योंकि आरोपित भी पुलिसवाले ही हैं। ऐसे में एक अक्टूबर को भले ही इस जांच को एसआईटी कानपुर को दिया गया था पर उसी के साथ ही सीबीआई को केस के ट्रांसफर होने का इंतजार किया जा रहा था। यही वजह थी कि एसआईटी की विवेचना की चाल भी धीमी ही थी। एसआईटी ने अपनी जांच तो पूरी कर ली थी पर चार्जशीट लगाने के लिए तय समय का इंतजार कर रही थी। एसआईटी के चार्जशीट दाखिल करने से पहले तय समय का इंतजार कर रही थी। हालांकि एसआईटी ने सारे सबूत सुरक्षित किए हैं जिससे सीबीआई को अपनी जांच में कोई दिक्कत न हो।