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मुख्तार अंसारी को बांदा जेल में जान का खतरा? सीसीटीवी फुटेज की डिमांड

22 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी के मामले में अब विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए नीरज गौतम की अदालत में आठ अक्तूबर को सुनवाई होगी। गुरुवार को मुख्तार की ओर से अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इसमें जेल में जान का खतरा जताते हुए चार माह की बांदा जेल के गेट की जीडी/गेट बुक और सीसीटीवी फुटेज तलब करने की मांग की। अभियोजन की ओर से शासकीय अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र पर आपत्ति के लिए समय मांगा। मामले में मुख्तार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी हो रही है। वहीं मुख्तार अंसारी पर अभी आरोप तय नहीं हो सके। 

मुख्तार की ओर से गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. रवि अरोरा ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इसमें आरोप लगाया कि शासन व प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की शह पर कुछ लोग बिना लिखा-पढ़ी के जेल में आते हैं, जिनसे मुख्तार को अपनी जान का खतरा है और जिन मुकदमों में मुख्तार गवाह है उनके अभियुक्तों से भी उसे खतरा है। पूर्व में भी मुख्तार अपने खाने में जहर मिलाकर हत्या का खतरा जता चुका है। उसकी सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए जाने की मांग की। वहीं अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शशि शर्मा ने प्रार्थना पत्र पर आपत्ति के लिए समय मांगा। प्रार्थना पत्र दिया कि मामले से जुड़े तथ्य प्रस्तुत करने के लिए केस डायरी का अध्ययन करना है। इसलिए समय दिया जाए। मामले में अब अगली सुनवाई आठ अक्तूबर को होगी। 

मोबाइल व बुलट फ्रूफ जैकेट हुई थी बरामद

 बता दें कि विधायक मुख्तार अंसारी वर्ष 1999 में सेंट्रल जेल आगरा में बंद थे। 18 मार्च 1999 को तत्कालीन जिलाधिकारी आरके तिवारी और एसएसपी सुबेश कुमार सिंह ने निरीक्षण के दौरान उनकी बैरक की तलाशी ली थी। जिसमें मोबाइल और बुलट फ्रूफ जैकेट मिली थी। थाना जगदीशपुरा के तत्कालीन एसओ  ने थाने में मुख्तार अंसारी के विरुद्ध धोखाधड़ी एवं आपराधिक साजिश का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें पुलिस द्वारा अंसारी के खिलाफ चार्जशीट अदालत में दाखिल की गई थी। वहीं पिछली तारीख पर अदालत ने मुख्तार द्वारा प्रस्तुत उन्मोचन प्रार्थना पत्र खारिज करने के आदेश दिए थे। 

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