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ओमिक्रॉन के दोहरे झटके से निर्यातकों में खौफ, बढ़ने लगी दुविधा

पूरी दुनिया में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा तेजी से बढ़ने के बीच फरवरी में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में होने जा रहे अम्बियांते एक्सपोर्ट फेयर को लेकर दुविधा बढ़ गई है। कई निर्यातकों ने फेयर का शुल्क अभी जमा नहीं किया है, लेकिन इसमें हिस्सा लेने का शुल्क जमा करने या नहीं जमा करने दोनों ही स्थितियों में निर्यातकों को दोहरी दुविधा ने घेर लिया है। 

मुरादाबाद में दी हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव सतपाल ने बताया कि निर्यातकों के लिए फ्रैंकफर्ट फेयर में हिस्सा लेने का शुल्क जमा करने की मोहलत अभी बाकी है। लेकिन गंभीर उलझन सैंपल भेजने को लेकर पैदा हो गई है। दरअसल जो निर्यातक फेयर में हिस्सा लेना चाहते हैं उन्हें अपने सैंपल भेजने के लिए अब केवल एक सप्ताह का ही मौका है क्योंकि सैंपल भेजने के लिए कंटेनर की लोडिंग 12 दिसंबर तक हर हालत में करनी होगी। अगर निर्यातक सैंपल भेज देते हैं और कोरोना की वजह से बने प्रतिकूल हालात के चलते फेयर स्थगित हो जाता है तब भी सैंपल भेजने पर हुआ खर्च सीधे नुकसान के तौर पर सामने आएगा।

अगर निर्यातक 12 दिसंबर तक सैंपल नहीं भेज पाते हैं तब ऐसी स्थिति में निर्यातकों को फेयर का शुल्क जमा करना सिर्फ नुकसान का ही सबब बनेगा। क्योंकि समय से लोडिंग नहीं हो पाने के चलते निर्यातक फेयर में उत्पादों के सैंपल ही प्रदर्शित नहीं कर सकेंगे। कोरोना संक्रमण के चलते फेयर का आयोजन निरस्त कर दिए जाने की स्थिति में निर्यातकों को स्टॉल पर खर्च की गई रकम वापस मिल सकती है लेकिन फ्रैंकफर्ट जाने का किराया और सैंपल भेजने का खर्च नुकसान के तौर पर सामने आएगा । निर्यातक सतपाल ने बताया कि मेले में हिस्सा लेने का खर्चा करीब 25 लाख पड़ेगा जबकि सैंपल भेजने में कम से कम 5 लाख रुपए खर्च होंगे। 

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