मॉ अन्नपूर्णा देवी की दुर्लभ प्रतिमा कनाडा से भारत आने के बाद दिल्ली से वाराणसी के लिए रवाना हुई। इस दौरान गुरुवार को प्रतिमा रथ यात्रा अलीगढ़ पहुंची। दोपहर से मां की प्रतिमा का स्वागत व एक झलक पाने के लिए इंतजार कर रहे अलीगढ़ वासी दर्शन को उमड़ पड़े। गभाना टोल से जनपद की सीमा में दाखिल होने के बाद जगह-जगह पुष्प वर्षा करके स्वागत किया गया। काशी ले जाई जा रही मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के साथ लोगों ने सेल्फी ली। मॉ अन्नपूर्णा की प्रतिमा 15 नवम्बर को देवोत्थान एकादशी के अवसर पर काशी विश्वनाथ मन्दिर में स्थापित की जाएगी। 

अलीगढ़ जनपद में मां अन्नपूर्णा यह दुर्लभ प्रतिमा की शोभायात्रा का इंतजार दोपहर करीब 2:30 बजे से किया जा रहा था। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जनपद की सीमा में गभाना टोल प्लाजा पर दोपहर ढाई बजे दाखिल होने के बाद शोभायात्रा को प्राचीन खेरेश्वर धाम होते हुए पुराने शहर में विभिन्न जगहों से होते हुए रामलीला ग्राऊंड पहुंचना था। जगह-जगह पर यात्रा का स्वागत किया जाना था, इसके लिए विशेष तैयारी की गई थीं। वही रामलीला ग्राउंड में भव्य आरती का कार्यक्रम था।

108 साल बाद कनाडा से भारत लौटी अन्नपूर्णा प्रतिमा की काशी यात्रा शुरू

रात करीब साढ़े नो बजे शोभायात्रा गभाना टोल प्लाजा से जिले की सीमा में दाखिल हुई। यात्रा के साथ आए प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिलें एवं जनपद प्रभारी मंत्री सुरेश राणा ने शोभायात्रा के स्वागत में कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत प्रयासों से मॉ अन्नपूर्णा की प्रतिमा को कनाडा से वापस लाकर हम सभी देशवासियों को गौरव एवं सम्मान दिलाया है। आज पूरा भारत एक बार फिर एक स्वर में पीएम को धन्यवाद देते हुए अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रहा है।

108 वर्ष पहले काशी नगरी से अचानक गायब हुई मॉ अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति पाकर हम सभी भारतवासियों को सुखद अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि मॉ अन्नपूर्णा की समूचे उत्तर भारत समेत काशी में घर-घर पूजा की जाती है। उसी पूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ दक्षिण भारत में भी मॉ अन्नपूर्णा की पूजा अर्चना की जाती है। उस मॉ अन्नपूर्णा को काशी से हटाया गया था और पुनः स्थापना की जा रही है।

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली से प्रारम्भ चार दिवसीय मॉ अन्नपूर्णा देवी यात्रा बुलन्दशहर-अलीगढ़-हाथरस-कासगंज-एटा-मैनपुरी-कन्नौज-कानपुर-उन्नाव-लखनऊ-बाराबंकी-सुल्तानपुर-प्रतापगढ़-जौनपुर के बाद 15 नवम्बर को काशी पहुॅचेगी। जहां मुख्यमंत्री  द्वारा मॉ अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा को विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कराकर पुर्नस्थापित किया जाएगा। केंद्र एवं प्रदेश सरकार की विशेष पहल पर अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं विरासत को बनाये रखने की दिशा में मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा को वापस भारत लाया जाना एक सराहनीय प्रयास है। 

विशेष मान्यता

ऐसा माना जा रहा है कि 18वीं शताब्दी की यह प्रतिमा 1913 में काशी से चुरा ली गयी और फिर इसे कनाडा ले जाया गया। वहां यह अब तक मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजना विश्वविद्यालय के संग्रह का हिस्सा थी। इस मूर्ति की वसीयत 1936 में नार्मन मैकेंजी द्वारा कराई गयी थी और गैलरी के संग्रह में जोड़ा गया था। पीएम के प्रयासों से वर्षों पहले चुराई गयी मॉ अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा ने भारत को वापस सौंप दी गयी है। जिसे 15 नवम्बर को देवोत्थान के दिन काशी विश्वनाथ मन्दिर में पुनर्स्थापित किया जाएगा। इस प्रतिमा में मॉ अन्नपूर्णा के एक हाथ में कटोरी और दूसरे हाथ में चम्मच है। 

सुबह से तैयारी में लगे भक्तों को हाथ लगी निराशा

मां अन्नपूर्णा की शोभायात्रा स्वागत को लेकर शहर में स्वागत को लेकर काफी तैयारियां की गई थीं। इसके लिए जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे, पुष्प वर्षा कर स्वागत किया जाना था, लेकिन देर तक शोभा यात्रा के जिले की सीमा में दाखिल न होने के चलते भक्तों को निराशा हाथ लगी। कई स्थानों पर भक्त वापस घरों को लौट गए। अन्नपूर्णा यात्रा का स्वागत बारहद्वारी पर  महानगर उपाध्यक्ष संजय गोयल, कृष्णा गुप्ता, अलका चौधरी, सह मीडिया प्रभारी विशाल देशभक्त, मंडल अध्यक्ष संजय शर्मा, संदीप मित्तल, दिनेश अग्रवाल, यश गोयल, पंकज शर्मा, अरून महादेव, मनोज सेल्फी, आदी द्वारा स्वागत किया गया।

दोपहर से मां के दर्शन को जुटे रहे

माता अन्नपूर्णा देवी की यात्रा के  लिए जय गोपाल वीआईपी के नेतृत्व में फल वितरण कर पुष्पों की वर्षा के लिए दोपहर से तैयारी की गई थी। यात्रा में क्षेत्रीय संयोजक सुशील मित्तल आलोक प्रताप सिंह, आशीष डिस्पोजल, संदीप वार्ष्णेय घी,गोरव वार्ष्णेय, हिमांशु खुश्बू ओटो, संजय शर्मा,मिलन वार्ष्णेय,मानिक चंद गुप्ता, राजीव सक्सेना, अंकित अग्रवाल,अजय शर्मा, अमित शर्मा, प्रमोद  सिंह, अमित गुप्ता,अभिनव वार्ष्णेय,शिव गुप्ता, प्रशांत वार्ष्णेय,कुश वार्ष्णेय चिंटू, विशाल आनंद, विकास वार्ष्णेय, आदि मौजूद रहे।