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मां-बाप के कत्‍ल के इल्‍जाम में बंद टीचर ने जेल में शुरू की नई जिंदगी, वहीं बिखेरने लगी तालीम की खुशबू

मां-बाप के कत्ल के इल्जाम में जेल पहुंची सुमन गहरे अवसाद में तिल-तिल मर रही थी। लेकिन झंझावातों के दौर में भी अंदर कहीं हौसला बाकी था। उस हौसले को सहारा मिला तो फिर से जी उठी। आज वह जेल में अनपढ़ बंदियों और बच्चों के बीच तालीम की खुशबू बिखेर रही है।

अपने काम और आचरण की वजह उसे यूपी में आदर्श महिला बंदी के रूप में चयनित किया गया है। यही नहीं, प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के लिए सुमन का नाम भेजा गया है। जेल प्रशासन की काउंसलिंग से यह सब कुछ संभव हुआ।

अक्तूबर 2019 से वह जेल में है सुमन

एमए-बीएड की डिग्री हासिल कर चुकी सुमन की शादी गुजरात में हुई थी। वहीं वह शिक्षिका थी और पति के साथ रह रही थी। हालात बदले और यह रिश्ता टूट गया। इसके बाद सुमन गोरखपुर जिले के चौरीचौरा इलाके में स्थित अपने मायके मे आ गईं। यहां भी बदकिस्मती ने सुमन का पीछा नहीं छोड़ा। कुछ ही दिनों बाद ही मां-बाप के कत्ल के इल्जाम में सुमन को जेल जाना पड़ा। सुमन अक्तूबर 2019 से ही जिला जेल में बंद हैं।

जेल में बेहद गुमसुम रहा करती थी सुमन

जेलर प्रेमसागर शुक्ला बताते हैं कि जेल में सुमन बेहद गुमसुम रहा करती थी। बातचीत पर पता चला कि वह किसी गहरे अवसाद में हैं। इसके बाद उसकी काउंसलिंग की गई और उसे जेल में ही शिक्षिका की भूमिका में लौटने के लिए प्रेरित किया गया। सुमन का भी इसमें मन लगने लगा। अब बच्चे सुमन को अपनी टीचर मां की तरह मानते हैं। कविताएं और श्लोक भी पढ़ते हैं। दो साल में सुमन ने बड़ी तादाद में निरक्षर महिला बंदियों को साक्षर बना दिया है। उन्हें अन्य तरह के गुर भी सिखा रही है।

आईजी जेल अन्य जेलों में प्रयोग करने की तैयारी में

जेल अधीक्षक ओपी कटियार ने बताया कि सुमन के प्रयास को देखते हुई अन्य जेलों में भी ऐसे हुनरमंद बंदियों और कैदियों को पढ़ाने-सिखाने की बाबत योजना बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि आईजी जेल ने बीते दिनों सुमन का इंटरव्यू कराया है और उनके प्रयासों को परखा है।

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