योगी सरकार यूपी की जेलों में बंद महिला बंदियों के 432 बच्चों का भविष्य संवारेगी। अब इन्हें जेल के भीतर घर जैसा माहौल मिलेगा। चहारदीवारी के भीतर इनके बच्चे आम छात्र-छात्राओं की तरह पढ़ाई करेंगे। खिलौने से लेकर खेलकूद, पौष्टिक भोजन और कपड़े पहन सकेंगे। इसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी। कारागार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति के मुताबिक उनके इस सुझाव को मुख्यमंत्री ने सहमति दे दी है। जल्द ही इस पर अमल होगा।
मां के गुनाह की सजा बच्चों को क्यों? कारागार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि आगरा और कासगंज जेल निरीक्षण के दौरान महिला बन्दियों के साथ छह साल की उम्र तक के कई बच्चे थे। मां के गुनाह की सजा उनके मासूमों को क्यों? यह उम्र इनके खेलने, पढ़ने की है। मगर जेल के भीतर इनके पढ़ाई से लेकर खेलकूद आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद मंत्री ने बचपन संवारने के लिए अफसरों के साथ मंथन कर योजना बनाई है। इसके तहत जेल के भीतर बच्चों को सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
जेलों में हैं 432 बच्चे
प्रदेश की 75 जेलों में महिला बंदियों के साथ 432 बच्चे रह रहे हैं। लखनऊ की जेल में 12 बच्चे हैं। जेल मैनुअल के मुताबिक छह साल की उम्र तक के बच्चे जेल में मांओं के साथ रह सकते हैं। सात साल का होने पर परिवार को सौंप दिया जाता है। जो बच्चों को नहीं लेते, उन बच्चों को बालगृहों में रखने की व्यवस्था है।