Uttarakhand में पनप रहा है एक और Joshimath | पहले जोशीमठ ने डराया अब Nainital ने बड़ा दी चिंता…
उत्तराखंड में पनप रहा है एक और जोशीमठ
पहले जोशीमठ ने डराया अब नैनीताल ने बड़ा दी चिंता
कहीं जोशीमठ की तरह न हो जाए नैनीताल का हाल
विशेषज्ञों की टीम का खुलासा, हर समय हो रही है पहाड़ी में हलचल
ध्यान नहीं दिया तो नैनीताल में आ सकती है बड़ी मुसीबत
जोशीमठ…जिसका नाम खबरों में सुनकर आज भी देशभर के लोग चिंता से भर जाते हैं और जो जोशीमठ में ही रहते हैं वो आज भी डर के साये में जीने को मजबूर हैं…लेकिन आज बात जोशीमठ की नहीं हो रही है बल्कि नैनीताल की हो रही है क्योंकि नैनीताल पर भी जोशीमठ जैसा ही खतरा मंडरा रहा है…और बेहद डर और चिंता की बात इसलिए भी है कि नैनीताल पर इस खतरे की बात कोई आम इंसान नहीं बल्कि देश-विदेश के नामी संस्थानों के विशेषज्ञों के सर्वे में सामने आ रही है…तो चलिए हम भी अगले कुछ मिनटों में इसी वीडियो में नैनीताल पर उठे खतरनाक खतरे की बात करेंगे…बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें…
दरअसल उत्तराखंड के शहरों में भूधंसाव की समस्या अब बड़े स्तर पर सामने आने लगी है….लेकिन नैनीताल पर आए विशेषज्ञों के सर्वे ने लोगों को सकते में डाल दिया है….दरअसल हुआ ये है कि देश विदेश के नामी संस्थानों और विशेषज्ञों के सर्वे में ये ही बातें सामने आई हैं कि नैनीताल पर जोशीमठ जैसा ही खतरा मंडरा रहा है रिसर्च में पता चला है कि पहाड़ी पर हर पल हलचल हो रही है। ऐसे में बारिश के दौरान पहाड़ी पर भूस्खलन बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि
भविष्य में बलियानाला का भूस्खलन नैनीताल के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। इसलिए इस पहाड़ी का ट्रीटमेंट होने बेहद जरूरी है।
ये चिंता और सर्वे उस समय सामने आया है जब नैनीताल की भावी जरूरतों, समस्याओं और समाधानों का अध्ययन करने के लिए मास्टर प्लान तैयार हो रहा है। तमाम रिसर्च के बाद बलियानाला में हो रहे भूस्खलन को ही सबसे ज्यादा संवेदनशील मुद्दा बताया गया है। टीम का कहना है कि बलियानाला राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है और इसका सीधा कनेक्शन नैनीताल से है।
वहीं टीम के विशेषज्ञों के मुताबिक
बताया कि दो दिनों तक स्कैनर से हर आधे घंटे में पहाड़ी का स्कैन लिया गया।
स्कैन में सामने आया कि पहाड़ी में हर वक्त हलचल हो रही है।
अगर बारिश के पानी का पहाड़ी से रिसाव हुआ, तो भविष्य में ये बड़ा खतरा बन सकता है।
दरअसल यहां रिस्क मैनेजमेंट सॉल्यूशन इंडिया और नीदरलैंड से पहुंचे विशेषज्ञों ने वाटर क्वालिटी और तमाम बातों अध्ययन किया। जिसमें ये बात साफ हो गई कि पहाड़ी से भारी मात्रा में पानी का रिसाव हो रहा है और लगातार पानी के रिसाव से ये पहाड़ी कमजोर हो रही है। इसलिए इसका प्रबंधन बेहद जरूरी है। वैसे आज सालों पहले साल 1880 में शेर का डांडा पहाड़ी में भूस्खलन हुआ था जिसने नैनीताल को भारी नुकसान पहुंचाया था। नैनीताल की लोवर माल रोड का बड़ा हिस्सा नैनी झील में धंस गया था। जिसको अस्थाई रूप से बमुश्किल विभाग ने रोका तो है लेकिन इसके स्थाई समाधान की आज भी दरकार है…और डर इस बात का है कि कि सरकार की उदासीनता कहीं इसके अस्तित्व को ही न मिटा डाले।
बता दें कि हर साल पहाड़ी पर भूस्खलन होता है। कई बार सर्वे और अध्ययन हो चुके हैं….मगर अफसोस की बात ये है कि अब तक ट्रीटमेंट के लिए बजट नहीं मिल पाया है….इस बार चुनावी मौसम है हो सकता है कि इस बार सरकार की दया दृष्टि इधर पड़ जाए और नैनीताल वासियों की चिंता कुछ कम हो जाए…..आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएंगे साथ ही उत्तराखंड से जुड़ी हर खबर के लिए हमारा चैनल भी सब्सक्राइब कर लें…शुक्रिया