धनंजय सिंह वो शख्स है, जिसकी यूपी के पूर्वांचल बेल्ट में अपनी साख है । साख या कहे खौफ किस तरीके का ये चर्चा का विषय हो सकता है । लेकिन ये लिखित सत्य है, धनंजय की गिनती पूर्वांचल के बाहुबलियों में की जाती है। ऐसे में जब धनंजय सिंह एक बार फिर सलाखों के पीछे जाकर चर्चा में आ गए । जौनपुर में चल रहे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल को जान से मारने की धमकी देने का धनंजय औऱ उन साथियों पर आरोप है। आइए जरा धनंजय को जरा जानने की कोशिश करते हैं

14 साल की उम्र में ही हत्या का आरोप लगा

जब बच्चे अक्सर अपनी पढ़ाई लिखाई और ज्ञान विज्ञान के लिए जाने जाते हैं तब 14 साल की उम्र में ही धनजंय सिंह पर एक शिक्षक नके हत्या का आरोप लग गया था। यहीं से ये नाम सुर्खियो में आ गया। इंटर में पहुंचे तो क्रिकेट के शौकीन इस किशोर पर एक युवक की हत्या का आरोप लगा।

50 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में देते थे परीक्षा

जिस समय युवक के हत्या के आरोप में धनंजय की गिरफ्तारी हुई वो 12वीं में थे। परीक्षा के तीन पेपर रह गए थे। इस दौरान उन्हें एक इंटर कॉलेज में पचासों बंदूकधारी पुलिसकर्मियों की तैनाती के बीच इनकी परीक्षा कराई जाती थी। क्योंकि परीक्षा का इलाका राजपूतों के गढ़ में था ऐसा माना जाता था कि धनंजय सिंह कभी भी भाग सकते हैं।

लखनऊ यूनिवर्सिटी में बंटोरी आपराधिक सुर्खियां

धनंजय को जमानत मिली इंटर पास करते ही जिले के टीडी कॉलेज में दाखिला लिया। पर यहां भी अपने तेवर के मुताबिक कुछ ही दिन में छात्र राजनीति में दबदबा बनाना चाहा । घर वालों को जानकारी हुई तो बड़े भाई ने इन्हें जौनपुर से हटाकर लखनऊ यूनिवर्सिटी पढ़ने भेज दिया। स्नातक में दाखिला लेने के बाद एक के बाद एक कारनामें कर प्रदेश की राजधानी में अपने नाम का बड़ा खौफ जमा दिया। स्नातक होते होते धनंजय पर कई थानों में दर्जन भर से अधिक मामले दर्ज ही गए।

जब धनंजय के नाम एक निर्दोष की गई थी जान

साल 1998-99 में एक हत्या हुई । इस हत्या के मामले के बाद धनंजय सिंह फरार हो गये। पुलिस ने धनंजय पर इनाम घोषित कर दिया। इसी दौरान भदोही के औराई में सीओ आखिलानन्द मिश्रा को खबर लगी की सरोई पुलिया के पास ढाबे पर धनंजय चाय पी रहा है। पुलिस टीम ने एनकाउंटर कर चार युवकों को मार दिया। मारे गए एक युवक का नाम भी धनंजय था। सीओ ने उस वक्त दावा किया की अपराधी धनंजय सिंह को मार गिराया। जबकि असल में ये धनंजय सिंह नहीं कोई बेगुनाह युवक मारा गया था। कुछ दिन बाद धनंजय ने सरेंडर किया और फिर सीओ आख़िलानन्द सस्पेंड कर दिए गए।

धनंजय सिंह का राजनीतिक सफर

2002 में रारी विधानसभा से निर्दल विधायक बने। 2007 का भी चुनाव जीत लिया। 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। मल्हनी सीट पर उपचुनाव हुए तो अपने पिता राजदेव को बसपा के टिकट पर विधासभा का चुनाव जिताया। 2014 में जौनपुर से फिर लड़े भाजपा लहर में हार मिली। 2017 में मल्हनी विधानसभा से लड़े सपा के पारसनाथ से हार गए।