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प्रतापगढ़ में क्यों मेहनत कर रहे अखिलेश यादव? राजा भैया का गढ़ फतह होगा ?

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Pratapgarh News: राजा भैया (Raja Bhaiya) के किले में सपा बहा रही पसीने…ऐसी कौन सी रणनीति है जो अखिलेश यादव वहां लागू करेंगे ?
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट को लेकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कुछ खासा ध्यान दे रहे हैं…रणनीति देख राजा भैया की भी नींद हराम !
अखिलेश यादव ने ऐसा दांव सेट किया है कि अबकी बार कुंडा के ‘राजा’ के रथ की लगाम सपा के पास होगी !

लोकसभा चुनाव से पहले वीवीआईपी सीटों की जिक्र खूब हो रही है…सपा के पास कई वीवीआईपी सीटें हैं…जहां सपा अपनी जीत पक्की मानती है…लेकिन अब एक सीट पर समाजवादी पार्टी खूब पसीना बहा रही है…वो सीट है प्रतापगढ़ (Pratapgarh)…जिसे राजा भैया का गढ़ भी कहा जाता है…लेकिन इस बार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की नजर प्रतापगढ़ सीट पर ज्यादा है…क्योंकि अखिलेश यादव ही नहीं..बल्कि पूरी टीम इस सीट पर जमकर मेहनत कर रही है….इस सीट को लेकर अखिलेश यादव पहली बार इतने लगन से लगे हैं….प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव की रणनीति ऐसी क्यों चल रही है…इसी टेंशन में राजा भैया ही नहीं…बल्कि बीजेपी की भी नींद उड़ी है…क्या अखिलेश यादव के वीवीआईपी सीट में प्रतापगढ़ भी शामिल होने वाला है…इसके पीछे की खास रणनीति है….

वैसे तो प्रतापगढ़ सीट राजपरिवारों की दावेदारी के लिए चर्चित रही है….लेकिन राजपरिवार से ज्यादा सपा इस लोकसभा सीट पर मेहनत कर रही है…दो दिन तक इस लोकसभा क्षेत्र में सपा ने मंथन किया…और चुनावी रणनीति की योजना बनाई….आखिर सपा इस लोकसभा सीट के लिए इतनी मेहनत क्यों कर रही है…तो अगले एक मिनट में वो भी देख लिजिए…कि अखिलेश यादव किस रणनीति के तहत चुनावी मोड में हैं.

प्रतापगढ़ (Pratapgarh) सीट पर सपा की मेहनत के पीछे 2022 का विधानसभा चुनाव है…क्योंकि विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को जो संजीवनी मिली…उसी संजीवनी के बलबूते अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इस सीट पर मेहनत कर रहे हैं….अखिलेश यादव को भरोसा है कि..अगर प्रतापगढ़ सीट पर थोड़ी भी मेहनत कर ली जाएगी…तो ये सपा के खाते में आ जाएगी…क्योंकि 2022 के विधानसा चुनाव में प्रतापगढ़ जिले में वोटबैंक का विस्तार हुआ था…और अभी भी सपा को वोट प्रतिशत बढ़ने के संकेत दिख रहे हैं…इसिलिए समाजवादी पार्टी नए चेहरों की एंट्री के चलते सपा 2024 में इस सीट पर अपने लिए संभावनाएं देख रही है….इसलिए पार्टी ने यहां जमीनी कसरत भी बढ़ा दी है..प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनावों में 10 बार यहां का नेतृत्व राजपरिवार से जुड़े चेहरों ने किया है….

सपा को यहां इकलौती जीत 2004 में मिली थी……. जब राजघराने से ही जुड़े अक्षय प्रताप सिंह पार्टी के उम्मीदवार थे….. अक्षय जिले की कुंडा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया के करीबी हैं… दोनों ही कभी सपा का हिस्सा थे…..लेकिन इस समय राजा भइया और सपा एक-दूसरे के खिलाफ खूब मुखर हैं…राजा भैया के किले में सेंध लगाने के लिए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी प्लान बना लिया है…और तय कर लिया है कि..किस रणनीति के तहत सपा प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर चुनावी ताल ठोकेगी….

सपा को अगर इस सीट पर उम्मीद जगी है तो इसके पीछ कुछ तो वजह होगी…ऐसे कोई इतनी मेहनक क्यों करेगा…दरअसल प्रतापगढ़ (Pratapgarh) लोकसभा सीट के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में चार पर कुर्मी-मौर्य बिरादरी के विधायक हैं..इसमें दो सीटें सपा के पास है…इस सीट पर कुर्मी बिरादरी के सियासी असर को दिखाता है…रामपुर खास से आराधना मिश्रा कांग्रेस से विधायक हैं…यादव, मुस्लिम और कुर्मी मिलाकर कुल मतदाताओं की संख्या 35 फीसदी से ज्यादा है….2009 में अपना दल के टिकट पर जब यहां अतीक अहमद ने उम्मीदवारी की थी तो एक लाख से अधिक वोट बटोरे थे.

Pratapghar में क्यों मेहनत कर रहे Akhilesh Yadav ? | The Rajneeti

सपा के एक नेता का कहना है कि….पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में गैर-यादव ओबीसी वोटरों का भरोसा हासिल हुआ है… खासकर, मौर्य, पटेल बिरादरी के चेहरों का भरोसा पार्टी पर बढ़ा है…जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर सक्रियता ओबीसी के साथ दलित वोटों में भी पार्टी की पहुंच बढ़ा रही है…. यहां पर कांग्रेस का भी वोट बेस है…ऐसे में अगर आगे गठबंधन होता है तो प्रतापगढ़ में सपा अहम दावेदार साबित होगी…

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