rahul gandhi vs akhilesh yadav

यूपी के सियासी गलियारे में झारखंड फॉर्मूले को लेकर इन दिनों इंडिया गठबंधन के नेताओं के बीच जोरशोर से चर्चा चल रही है… ये बीजेपी के खिलाफ ये झारखंड फॉर्मूले को लाने के लिए कांग्रेस ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा रही है… सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की राजनीति पर एक तरह अंदरखाने दबाव बनाने का प्रयास हो रहा है… इसलिए कहने वाले कह रहे हैं… देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का सीट बंटवारा फंसता नजर आ रहा है. कांग्रेस यहां झारखंड वाला फॉर्मूला लागू करना चाहती है, लेकिन सपा तैयार नहीं है…. हालात यहां तक हो गई है कि कांग्रेस ने अब खुद ही 80 सीटों पर लड़ने की बात कह दी है… उत्तर प्रदेश से इंडिया गठबंधन में अभी तक समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस शामिल है… कांग्रेस की कोशिश इंडिया गठबंधन में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी को भी शामिल कराने की है…. इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे की जिम्मेदारी कॉर्डिनेशन कमेटी के पास है… कमेटी ने राज्य स्तर पर सीट विवाद सुलझाने का फैसला किया है…. सपा से कमेटी में जावेद अली और कांग्रेस से केसी वेणुगोपाल इस कमेटी के सदस्य हैं…


उत्तर प्रदेश में यह पहली बार है, जब सपा और कांग्रेस एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कह रही है… 2017 में दोनों विधानसभा का चुनाव मिलकर लड़ चुकी है….अब 2024 में सपा और कांग्रेस मिलकर बीजेपी से मुकाबला करना चाहती है… कांग्रेस अपनी सियासत के साथ सहयोगियों से सीटों के बंटवारे को लेकर झारखंड फॉर्मूले को लेकर आयी है… ऐसे में सवाल ये है कि क्या झारखंड फॉर्मूला… दरअसल 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने सीट बंटवारे को लेकर झारखंड में सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ समझौता किया था… इस समझौते के तहत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस तो विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने ज्यादा सीटों पर लड़ने का फैसला किया…. 2019 के चुनाव में झारखंड के 14 में से 7 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारे… 4 सीटों पर जेएमएम लड़ी, जबकि बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के खाते में 2 सीटें गई…. लालू यादव की पार्टी आरजेडी को भी समझौते के तहत एक सीट पर उम्मीदवार उतारने का मौका मिला…. हालांकि, गठबंधन भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले बुरी तरह हारी. 14 में से कांग्रेस-जेएमएम को सिर्फ 1-1 सीटों पर जीत मिली…


विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे का यही समीकरण पलट गया… झारखंड की 81 में से 41 सीटों पर जेएमएम ने उम्मीदवार उतारे, जबकि कांग्रेस के खाते में 31 सीटें गई. गठबंधन के सहयोगी आरजेडी को भी 7 सीटें मिली… इस बार सीट बंटवारे का ये समझौता गठबंधन के लिए फायदेमंद साबित हुआ… 41 सीटों पर लड़ने वाली जेएमएम ने 29 सीटों पर जीत हासिल की… कांग्रेस को 18 और आरजेडी को 1 सीट पर जीत मिली….

  • झारखंड की तरह उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस लोकसभा में सपा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है…
  • कांग्रेस यूपी की 80 में से 40 सीटों पर दावा ठोक रही है… पार्टी के सीटों को इंडिया गठबंधन के दलों में बांटने की बात कह रही है….


कांग्रेस इसके पीछे 2009 के रिजल्ट का तर्क दे रही है. 2009 में कांग्रेस यूपी की 69 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से 21 सीटों पर उसे जीत मिली थी. पार्टी अलीगढ़ समेत कई सीटों पर दूसरे नंबर पर भी रही थी… 2009 के बाद कांग्रेस ने यूपी में जीत के लिए कई प्रयोग किए. हालांकि, पार्टी हर बार असफल ही रही…. 2019 में कांग्रेस की पारंपरिक सीट अमेठी से भी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को करारी हार का सामना करना पड़ा था… कांग्रेस की कोशिश सपा से वो सीटें झटकने की है, जिस पर पिछले चुनाव में मायावती की पार्टी ने लड़ी थी… 2019 में बीएसपी ने 38 सीटों पर सपा से समझौते के तहत अपने उम्मीदवार उतारे थे. बीएसपी को 10 सीटों पर जीत भी मिली थी… लखनऊ में पत्रकारों के एक सवाल पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि सपा किसी से सीट मांग नहीं रही है, बल्कि दे रही है…. अखिलेश ने आगे कहा कि समाजवादियों का इतिहास त्याग का रहा है. हमने जिस भी दल के साथ गठबंधन किया है, उससे सीट बंटवारे को लेकर कभी झगड़ा नहीं हुआ है…2017 में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 105 सीटें दी थी, जिसमें से पार्टी सिर्फ 7 सीटों पर जीतने में सफल हुई थी… कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें देने पर सपा के भीतरखाने ही अखिलेश यादव का विरोध हो गया था…. बाद में अखिलेश ने भी अपनी गलती मानी… 2019 में अखिलेश यादव ने मायावती की पार्टी के साथ गठबंधन किया और समझौते के तहत बीएसपी के लिए 38 सीटें छोड़ दी…. सपा खुद 37 सीटों पर चुनाव लड़ी, इसमें से 19 सीटें ऐसी थी, जहां पर पार्टी को कभी जीत नहीं मिली थी. इसमें लखनऊ, वाराणसी, सीतापुर जैसी सीटें शामिल थी…. इधर, अखिलेश यादव के बयान के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि हम 80 सीटों पर मजबूती से तैयारी कर रहे हैं…

  • कांग्रेस ने यूपी की सभी 80 सीटों को 3 कैटेगरी में बांट लिया
  • पहली कैटेगरी में उन 30 सीटों को शामिल किया है, जहां जीत की संभावनाएं पार्टी को दिख रही है
    दूसरी कैटेगरी में उन 30 सीटों को शामिल किया गया है, जहां पार्टी मुकाबला करने की स्थिति में है.
    यूपी की 20 सीटें ऐसी है, जहां कांग्रेस को जीत की उम्मीद नहीं है


कांग्रेस ने इन सीटों को सी कैटेगरी में शामिल किया है. यहां अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में कांग्रेस डमी कैंडिडेट उतारेगी… इंडिया गठबंधन के कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में सीट शेयरिंग को लेकर एक फॉर्मूला तय करने की बात कही गई, लेकिन सभी दलों के सहमत नहीं होने की वजह से फाइनल फॉर्मूला नहीं बन पाया है…. गठबंधन में सीट शेयरिंग का 3 फॉर्मूला चर्चा में है…. वहीं अखिलेश यादव सिर्फ जिताऊ उम्मीदवार को तरजीह देने के मूड में हैं… सपा यूपी के कई सीटों पर बड़े चेहरे को चुनाव लड़ाना चाहती है… हाल ही में यह खबर आई थी कि सपा कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को यूपी के इटावा या बाराबंकी सीट से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है… इससे पहले नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा थी… फूलपुर सीट से कभी पंडित जवाहरलाल नेहरु, राम मनोहर लोहिया और जैनेश्वर मिश्र चुनाव लड़ चुके हैं…. जानकारों का मानना है कि अखिलेश की कोशिश बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाकर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है… जिताऊ उम्मीदवारों के साथ-साथ छोटी पार्टियों को अखिलेश यादव ज्यादा तरजीह देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि 5-6 सीट जयंत चौधरी की पार्टी को सपा दे सकता है… इसी तरह चंद्रशेखर आजाद की भीम आर्मी और अपना दल कमेरावादी को भी 1-1 सीटें मिल सकती है…. अब जो खबर है उसके मुताबिक समाजवादी पार्टी ने सीट समझौते के लिए पहले उन सीटों को चिह्नित किया है, जो पिछले चुनाव में उसके लिए जी का जंजाल बन गया था… सपा ने ऐसी 19 सीटों को कांग्रेस, आरएलडी और भीम आर्मी में बांटने की तैयारी की है…

ये सीटें हैं- बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, हाथरस, बरेली, कानपुर, पीलीभीत, धौरहरा, गोंडा, बस्ती, वाराणसी, सुल्तानपुर और लखनऊ


विपक्षी गठबंधन के लिए 80 सीटों वाली उत्तर प्रदेश सबसे संवेदनशील राज्य है… 2019 और 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां एकतरफा जीत दर्ज की थी… भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने इस बार भी यूपी में 75 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है… 2019 में एनडीए गठबंधन को 73 और 2014 में 64 सीटों पर जीत मिली थी…