अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी चीन के विरोध के बावजूद मंगलवार को ताइवान की राजधानी ताईपेई पहुंच गईं। 25 साल बाद ये पहली बार है जब अमेरिकी स्पीकर ताइवान के दौरे पर हैं। इससे पहले 1997 में उस समय के स्पीकर न्यूट गिंगरिक यहां पहुंचे थे।

पेलोसी के दौरे से बौखलाए चीन ने तमाम एलान कर डाले। ताइवान और अमेरिका को डराने की हर कोशिश की। 

ताइवान के चारो तरफ चीन ने युद्ध पोत तैनात कर दिए हैं।

साइबर अटैक, एयरपोर्ट को उड़ाने की धमकी
पेलोसी के दौरे से ठीक पहले पूरे ताइवान पर साइबर अटैक की खबरें आईं। राष्ट्रपति की वेबसाइट तक को हैक करने की बात सामने आई। ताईपेई एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। चीन के फाइटर जेट ताइवान की सीमा के ऊपर उड़ान भरते नजर आए। चीन की नौसेना ने ताइवान के चारो तरफ युद्ध पोत तैनात करके युद्ध अभ्यास किया। 
 

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

ताइवान पर लगाए आर्थिक प्रतिबंध
ताइवान को चीन हर तरह से परेशान करने में जुटा है। बौखलाए चीन ने ताइवान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। चीनी सरकार ने ताइवान को नेचुरल सैंड देने पर रोक लगा दी है। इससे ताइवान को काफी नुकसान हो सकता है। कोरोना महामारी के बाद से कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ताइवान के लिए इनकम का सोर्स बन गया है। ऐसे में रेत का निर्यात रोकने से ताइवान को आर्थिक नुकसान होगा। एक जुलाई को भी चीन ने ताइवान के 100 से ज्यादा फूड सप्लायर से आयात (इम्पोर्ट) पर प्रतिबंध लगाया था।

ताइवान की राष्ट्रपति और नैंसी पेलोसी

ताइवान की राष्ट्रपति से पेलोसी की मुलाकात 
अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार रात करीब 8:26 बजे बजे मलेशिया से ताइवान पहुंचीं। एयरपोर्ट पर ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेंन ने उनका स्वागत किया। बुधवार को ताइवान की संसद में पेलोसी को ताइवान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ प्रॉपिटियस क्लाउड्स विद स्पेशल ग्रैंड कॉर्डन’ से सम्मानित किया गया।

इस दौरान पेलोसी ने कहा कि हमें ताइवान की दोस्ती पर गर्व है। अमेरिका हर स्तर पर ताइवान का साथ देगा। पेलोसी ने कहा, ‘अमेरिका ताइवान के लोकतंत्र का समर्थन जारी रखेगा। ताइवान के 2.30 करोड़ नागरिकों के साथ अमेरिका की एकजुटता आज पहले से कहीं अधिक अहम है, क्योंकि दुनिया निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच एक विकल्प का सामना कर रही है।’ 
 विज्ञापन

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग।

चीन ने क्या कहा? 
पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने ताइवान और अमेरिका को धमकी दी। चीन ने कहा, ‘हम इस यात्रा का विरोध करते हैं और कड़ी निंदा करते हैं। ये आग से खेलने का बेहद खतरनाक काम है। जो भी आग से खेलता है अपने आप को ही जलाता है।’

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘हम यात्रा के जवाब में अपनी क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे। इसके सभी परिणामों के लिए अमेरिका और ताइवान के आजादी समर्थक और अलगाववादी बल जिम्मेदार होंगे। ताइवान के सवाल पर चीन के लोगों और सरकार का पक्ष हमेशा से स्पष्ट रहा है।’ 

चुनयिंग यहीं नहीं रुके। आगे कहा, ‘चीन अमेरिका से आग्रह करता है कि वो ताइवान कार्ड खेलना बंद करे और चीन को रोकने के लिए ताइवान का इस्तेमाल बंद करें। अमेरिका ताइवान की आजादी मांगने वाली अलगाववादी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रचना और उनकी मदद करना बंद करे। अमेरिका वन चाइना पॉलिसी और अमेरिका-चीन के बीच हुए तीन साझा संवादों को लागू करने के लिए कड़ाई से पालन करे और इस गलत और खतरनाक रास्ते पर और आगे ना बढ़े।’

चीन ने टारगेटेड मिलिट्री एक्शन लेने की धमकी भी दे डाली। हालांकि, यह साफ नहीं किया गया कि चीन किन टारगेट पर सैन्य कार्रवाई की धमकी दे रहा है। 

ताइवान पर चीन अपना अधिकार जताता है।

ताइवान पर तनाव क्यों?
दरअसल चीन वन-चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश की तरह देखता है। यही कारण है कि चीन हमेशा से ताइवान पर दबाव डालता रहता है। चीन चाहता है कि किसी तरह ताइवान उनके आगे झुक जाए। इसलिए अब अमेरिकी संसद की स्पीकर के ताइवान दौरे से चीन बौखलाया हुआ है।

कुछ देश ताइवान को मान्यता देते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में देश ऐसे भी हैं जो ताइवान को मान्यता नहीं देते हैं। अमेरिका भी वन चाइना पॉलिसी को मानता है, लेकिन ताइवान पर चीन के कब्जे का हमेशा से विरोध करता रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कुछ महीने पहले ही कहा था कि हम वन चाइना पॉलिसी पर राजी हुए, हमने उस पर साइन किया, लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। चीन का ये कदम न केवल गलत होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को एक तरह की नई जंग में झोंक देगा।