Yogi-Anupriya Vs Akhilesh-Azam… किसने किसपर बढ़त बनाई ? स्वार का अधिकार… आजम की राजनीति का बड़ा युद्ध… अनुप्रिया बन गई दीवार…

योगी-अनुप्रिया Vs अखिलेश-आजम… किसने किसपर बढ़त बनाई ?
स्वार का अधिकार… आजम की राजनीति का बड़ा युद्ध… अनुप्रिया बन गई दीवार
अनुप्रिया जीत गई… तो आजम खान राजनीति टूटकर बिखर जाएगी… इसलिए आजम ने अपना पूरा दांव लगा दिया

सपा नेता आजम खान के दावे जीतेंगे तो वहीं… पिछली बार का बदला अबकी बार ले लगें… लेकिन कही ना कही कुछ ऐस लग रहा है… तभी शफीक अंसारी को नमक हराम से नवाज रहे हैं… अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को अब्दुल्ला के अलंकार से सजा रहे हैं…

लेकिन अनुप्रिया को विश्वास है…आजम की चुनौती “इस सीट पर अब कोई चुनौती नहीं बची है… जनता ने मन बना लिया है…. जब जनता का मन बन जाता है तो आप जानते हैं कि फतह तो उसकी ही होती है जो जनता के मन में बसा होता है. जनता ही सर्व शक्तिमान है और जनता की उपस्थिति ने यहां शफीक की जीत पर मुहर लगा दी है…. हमारे गठबंधन से ये पहले मुस्लिम विधायक होने जा रहे हैं..

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ये सीट बेहद अहम है… स्वार और छानबे विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने अपने सहयोगी अपना दल(एस) के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है…स्वार सीट पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता रद्द होने के कारण उपचुनाव हो रहा है… अब्दुल्लाह आजम की विधायकी 15 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने और 2 साल कैद की सजा सुनाये जाने के बाद रद्द कर दी गई थी… स्वार सीट पर अब्दुल्ला आजम दो बार विधायक रहे हैं और दोनों ही बार उनकी सदस्यता कोर्ट के आदेश से रद्द हो गई थी… यही कारण है कि आजम खान का गढ़ माने जाने वाले रामपुर के स्वार सीट के उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए सपा ने पूरी ताकत झोंक दी है… अब रामपुर की स्वार सीट पर सपा की तरफ से अनुराधा चौहान मैदान में उतरी हैं…. तो वहीं अपना दल(एस) की तरफ से शफीक अहमद अंसारी को प्रत्याशी बनाया गया है…कहा जा रहा है कि स्वार और छानबे सीटों पर भले ही अपना दल(एस) के प्रत्याशी उतरे हों लेकिन चुनावी नतीजे को बीजेपी सरकार की हार और जीत से जोड़कर ही देखा जाएगा…. दोनों सीटों के नतीजों पर योगी सरकार और बीजेपी की साख दांव पर लगी है…इससे पहले सपा रामपुर विधानसभा सीट से हाथ धो चुकी है… इस सीट को आजम खान का गढ़ कहा जाता था… रामपुर विधानसभा सीट पर आजम खान पिछले 45 सालों से चुनाव लड़ते आ रहे थे… दस बार वह खुद विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी तंजीन फातिमा उपचुनाव में जीती थीं…. साल 2022 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भले आजम खान खुद प्रत्याशी नहीं थे, लेकिन वह सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर आसिम रजा को चुनाव लड़ा रहे थे. इसी सीट पर जून में हुए रामपुर लोकसभा चुनाव में आजम खान ने आसिम रजा को ही लड़ाया था, लेकिन जीत नहीं सके थे… इसके बाद विधानसभा सीट पर भी उन्हें ही प्रत्याशी बनाया गया था लेकिन एक बार फिर इस सीट पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब हुई और रामपुर की सियासत ही बदल दी….स्वार सीट की तरह ही मिर्जापुर की छानबे सीट पर जीत दर्ज करना भारतीय जनता पार्टी और अपना दल(एस) के लिए चुनौती बन गई है… इस सीट पर साल 2017 और साल 2022 में अपना दल(एस) ने जीत दर्ज की थी…साल 2022 में विधायक राहुल कोल के निधन के बाद अपना दल (स) ने स्वर्गीय राहुल कोल की पत्नी रिंकी कोल को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है. रिंकी कोल बीजेपी सांसद पकौड़ी लाल कोल की पुत्रवधू हैं… वहीं समाजवादी पार्टी ने कीर्ति कोल को मैदान में उतारा है… कीर्ति कोल के पिता भाईलाल कोल भी छानबे से विधायक रह चुके हैं….इस सीट पर अपना दल (एस) और समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी का राजनीतिक घराना होने के कारण चुनावी मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है… प्रचार के दौरान अपना दल(एस) और बीजेपी नेता दोनों ने ही अपनी पूरी ताकत लगा दी है ताकि अपना दल(एस) जीतने में कामयाब हो सके…