गुमनामी का जीवन बिता रहे बिहार के इस नायाब हीरे के निधन से उनके गांव सहित भोजपुरिया जगत में शोक है… पटना के एक अपार्टमेंट में गुमनामी का जीवन बिता रहे महान गणितज्ञ की अंतिम समय तक सबसे अच्छे दोस्त किताब, कॉपी और पेंसिल ही बना रहा… आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह अपने शैक्षणिक जीवनकाल में भी कुशाग्र रहे… पटना साइंस कॉलेज से पढ़ाई करने वाले वशिष्ठ गलत पढ़ाने पर गणित के अध्यापक को बीच में ही टोक दिया करते थे… घटना की सूचना मिलने पर जब कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें अलग बुला कर परीक्षा ली, तो उन्होंने अकादमिक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए… पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जे कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अमेरिका ले गए… वहीं, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने पीएचडी की डिग्री ली और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए… नासा में भी काम किया… वहां भी उन्हें वतन की याद सताती रही… बाद में वो भारत लौट आए… उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में नौकरी की… इतने महान गणितज्ञ के निधन पर PMCH प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली

  • महान गणितज्ञ को नहीं मिली एंबुलेंस
  • ब्लड बैंक के बाहर शव के साथ खड़ा रहा छोटा भाई
  • डेथ सर्टिफिकेट देकर झाड़ा पल्ला
  • न कोई राजनेता पहुंचा, न कोई अधिकारी

वशिष्ठ बाबू के निधन पर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुख जताया और श्रद्धांजलि दी… वहीं अस्पताल प्रबंधन की ओर सेउनके परिजनों को पार्थिव शरीर ले जाने के लिए एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई गई… इस महान विभूति के निधन के बाद उनके छोटे भाई ब्लड बैंक के बाहर शव के साथ खड़े रहे… निधन के बाद पीएमसीएच प्रशासन ने केवल डेथ सर्टिफिकेट देकर पल्ला झाड़ लिया… वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई ने रोते हुए कहा, ‘अंधे के सामने रोना, अपने दिल का खोना… मेरे भाई के साथ लगातार अनदेखी हुई है… जब एक मंत्री के कुत्ते का पीएमसीएच में इलाज हो सकता है, तो फिर मेरे भाई का क्यों नहीं.’