सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर आखिरी सुनवाई के दौरान जोरदार बहस हुई… इस दौरान हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलीलें देनी शुरू की तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के साथ उनकी तीखी तकरार हुई…. कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विकास सिंह की ओर से पेश किए गए…. एक नक्शे को फाड़ दिया और उसके पांच टुकड़े कर दिए


5 टुकड़ों में बंटा वो नक्शा एक किताब से लिया गया था… वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने इस नक्शे को पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब अयोध्या रीविजिट से निकालकर अदालत में पेश किया था… ये किताब 2016 में प्रकाशित की गई थी…. जिसमें राम मंदिर के अस्तित्व की मौजूदगी को लेकर साक्ष्यों के साथ लिखा गया


अयोध्या रीविजिट में क्या लिखा गया है… वो हम आपको बताएंगे… लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट में आखिरी बहस के दौरान राजीव धवन और विकास सिंह के बीच क्या हुआ वो जान लीजिए… हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, कि हम अयोध्या रीविजिट किताब कोर्ट के सामने रखना चाहते हैं, जिसे रिटायर आईपीएस किशोर कुणाल ने लिखा है । इसमें राम मंदिर के पहले के अस्तित्व के बारे में लिखा है। फिर विकास ने उसी किताब का नक्शा कोर्ट को दिखाया… वो नक्शा धवन के पास पहुंचा, जिसे धवन ने पांच टुकड़ों में फाड़ डाला…. बाद में खुद धवन ने कोर्ट में कहा कि उनकी नक्शा फाड़ने की बात वायरल हो गई है


नक्शा फाड़े जाने पर उसके लेखक कुणाल किशोर का बयान भी आ गया है…उन्होंने कहा कि धवन इंटेलेक्चुअल हैं। वह जानते हैं कि अगर नक्शा कोर्ट के सामने पेश होता तो उनका केस न के बराबर रह जाता। अगर धवन को दिक्कत थी तो उन्हें दिए गए वक्त में उसपर बात करनी चाहिए थी।
अयोध्या केस में बहस के दौरान नक्शा फाड़ने की पूरी कहानी बताई आपको… अब आपके दिमाग में ये बाते जरूर आ रही होगी… आखिर पूर्व IPS किशोर कुणाल की किताब अयोध्या रीविजिट में राम मंदिर को लेकर क्या तर्क पेश किया गया है


1972 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की लिखी गई किताब में दावा किया गया है कि अयोध्या के मंदिरों को बाबर ने नहीं बल्कि औरंगजेब ने तोड़वाये थे…बाबर कभी अयोध्या नहीं आया था….।
किताब में दावा किया गया है कि 6 दिसंबर 1992 को जिस विवादित ढांचे को तोड़ा गया था, वो बाबरी मस्जिद नहीं थी… किताब के मुताबिक इस बात के पर्याप्त सूबत हैं कि यहां पर राम मंदिर विराजमान था…. किताब में कहा गया है कि बुकानन के रिकॉर्ड्स के मुताबिक औरंगजेब के शासनकाल में अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिर तोड़े गए थे

कुणाल इस किताब में आगे लिखते हैं… संस्कृत, अंग्रेजी और फ्रेंच विद्वानों ने भी अपनी पुस्तक में लिखा है कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर मौजूद था…कुणाल की ओर से लिखी किताब अयोध्या रीविजिटेड में राम मंदिर को लेकर कई नई बातों का उल्लेख किया गया है… इसके लिए किशोर ने कई पुख्ता प्रमाण भी दिए हैं…. किताब की प्रस्तावना पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट जीबी पटनायक द्वारा लिखी गई हैं… इस किताब में लिखा गया… ब्रिटिश काल की पुरानी फाइलों, कुछ प्राचीन संस्कृत सामग्री, खुदाई की समीक्षाओं और विदेशी पर्यटकों की मानें तो अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर मौजूद था, जिसे तोड़कर बाद में मस्जिद बनाई गई


इसके लिए लिए उन्होंने 1631 में हिंदुस्तान आए इटली के पर्यटक डीलेट ने जिक्र किया है कि उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर देखा है… इसी तरह 1634 में भारत में आए इंग्लैंड यात्री हर्बट ने जिक्र किया है कि अयोध्या में बहुत प्राचीन इमारतें हैं लेकिन उन सब में सबसे महत्वपूर्ण वो है जिसे रामजी ने बनवाया था…1767 में भारत आए आस्ट्रिया के फादर जोसेफ टीफेंथेलर ने भी उल्लेख किया है कि उन्हें बताया गया कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी… 1801 में भारत आए अंग्रेज पर्यटक सी मेंटल ने भी औरंगजेब की ओर से मंदिर तोड़े जाने की बात लिखी है… 1841 में बने एक गजेटियर में भी औरंगजेब की ओर से मंदिर तोड़ने जाने का भी जिक्र है


किशोर कुणाल अपनी किताब में साफ लिखते हैं… कि आम धारणा ये हैं… कि बाबर ने रामजन्मभूमि मंदिर तोड़ा था ये गलत है… बाबर के नाम से जो मस्जिद कही जाती है, वह कभी बनी ही नहीं… मंदिर को तोड़े जाने की घटना 1528 ईसवीं में बाबर के शासनकाल में नहीं हुई थी, बल्कि ये ये घटना 1660 ईसवीं में हुई जब फिदाई खान अयोध्या में औरंगजेब का गवर्नर था…बाबर कभी अयोध्या आया ही नहीं, इसलिए यह दावा अवास्तविक है कि अवध के गवर्नर मीर बाकी ने 1528 में बाबरी मस्जिद बनवाई थी… पुस्तक में ये भी कहा गया है कि बाबर से लेकर शाहजहां तक सभी मुगल शासक उदार थे उनमें कट्टरता नहीं थी


हमने आपको उस किताब के इतिहास से वाकिफ कराया… जिसका हवाला हिंदूमहासभा के वकील विकास सिंह ने दिया तो… मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन गुस्से से लाल हो गए… किताब से लिए गए नक्शे को पांच टुकड़ों में बांट दिया