अयोध्या केस में एक पक्ष विश्व हिंदू परिषद भी रहा है… जिसने 1990 के दशक से लेकर अब तक लगातार राम मंदिर आंदोलन को लेकर एक मुहिम चलाई है….. उसी VHP ने सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद ट्रस्ट बनाने को लेकर सरकार को ट्रस्ट बनाने को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं…. इन सुझावों के मुताबिक ट्रस्ट में ऐसे लोगों को होने चाहिए जो मंदिर में आए चंदे को निजी उपयोग के लिए न छुए…. मंदिर के चंदे का सदुपयोग होना चाहिए…. वहां पर सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर ना की उस पैसे का किसी तरह से निजी इस्तेमाल होना चाहिए….. मंदिर के चंदे का सरकारी खजाने से कोई संबंध नहीं होना चाहिए…. ये पैसा मंदिर के आसपास के इलाके और शहर को और ज्यादा विकसित और सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर खर्च किया जाए…… चंपत राय का कहना है कि सरकार का कोई सदस्य ट्रस्ट में नहीं होना चाहिए क्योंकि अगर सरकार का कोई सदस्य ट्रस्ट में होगा तो उससे सरकार की धर्मनिरपेक्षता की छवि को लेकर भी सवाल उठेंगे
सरकार के पास के ट्रस्ट बनाने के लिए 3 महीने का वक्त है और ऐसे में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अलग-अलग पक्ष अब इस ट्रस्ट में कौन होना चाहिए या नहीं इसको लेकर सरकार को सुझाव भी दे रहे हैं…. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि मंदिर के संचालन और रखरखाव का काम ट्रस्टी देखेगा…. ऐसे में राम मंदिर बनाने की शुरुआत का सबसे पहला कदम ट्रस्ट बनाने से ही शुरू होगा
लेकिन VHP से उलट रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने बड़ा बयान दिया है…. उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनाने के लिए किसी नए ट्रस्ट की जरूरत नहीं है…. उनका ट्रस्ट ही मुख्य कर्ताधर्ता रहेगा…. जरूरत पड़ने पर और लोगों को शामिल किया जा सकता है… इससे पहले राम जन्मभूमि न्यास ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की निगरानी करने वाले ट्रस्ट की अध्यक्षता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करें…. तब राम जन्मभूमि न्यास चाहता था कि योगी आदित्यनाथ ट्रस्ट की अध्यक्षता करें…. गोरखपुर में प्रतिष्ठित गोरखनाथ मंदिर गोरक्षा पीठ का है…. और राम मंदिर आंदोलन में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी….. महंत दिग्विजय नाथ, महंत अवैद्यनाथ और अब योगी आदित्यनाथ मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण अंग रहे हैं…. तो कुल मिलाकर मानिए… सरकार को अब राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को निभाने के लिए अपने कदम को फूंक फूंक कर रखने होंगे… जरा सी सावधानी हटी की नहीं…. दुर्घटना घटना तय़ है