- सपा से दिल मिलाना बीएसपी को नापंसद !
- बीएसपी में सपाईयों को ‘भाई’ कहना गुनाह है !
- अखिलेश से रिश्ते रखने पर मायावती ने तरेरी आंख !
- श्याम सिंह यादव को संसदीय दल के नेता पद से हटाया
आखिरकार वही हुआ… जिसका अंदेशा राजनीति को पहले से ही था… बीएसपी प्रमुख मायावती ने उसी बात पर अमल की… बीएसपी सांसद श्याम सिंह यादव की समझ को गुस्ताखी मानकर एक ऐसा फैसला लिया… जो श्याम के लिए झटके जैसा ही है…. आखिर मायावती ने ये कदम क्यों उठाया… श्याम को संसदीय दल के नेता पद से क्यों हटाया गया…. क्या विधानसभा उपचुनाव में यूपी में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिलने की वजह से ऐसा फैसला लिया गया… या फिर वजह कुछ और थी
ये बात जौनपुर से बीएसपी सांसद श्याम सिंह यादव उस दौरान कही थी… जब उन्होंने सपा कार्यालय में पहुंचकर सभी को चौंका दिया था… बसपा सांसद ने सपाइयों को अपना भाई तक बता दिया था… कहा था वो सपा के कार्यक्रमों में जाएंगे और वो किसी से डरते नहीं हैं…बार बार समाजवादी पार्टी की मीटिंग और कार्यालय में आएंगे… सपा ने उनको चुनाव जीताने में मेहनत की है और सपाई उनके भाई हैं
जब डरेंगे नहीं तो परिणाम तो भुगतना ही होगा…. मायावती ऐसे किसी को नहीं बख्शती हैं… उनके खिलाफ जाने का मतलब समझ लीजिए… मायावती के गुस्से को आपको झेलना ही पड़ेगा… ऐसा पहले भी हुआ… और श्याम के साथ भी हुआ है…. आप भले ही सपाईयों को भाई बताएं… भले ही सपाईयों ने आपको जीताने में जीतोड़ मेहनत की हो…. लेकिन जिस स्टैंड पर बीएसपी की सियासत चल रही है…. अखिलेश से जितनी दुरी मायावती ने बनाई है… उस दुरी को पांटने की कोशिश करेंगे…. तो मायावती खिलाफ हो जाएंगी…. राजनीति की धुरी तो सिर्फ मायावती है… अगर उनके खिलाफ अपनी समझ का इस्तेमाल करेंगे… तो भुगतना पड़ेगा ही…. इसलिए तो सपा सांसद श्याम सिंह यादव को बीएसपी संसदीय के नेता पद से हटा दिया गया… लेकिन क्या मायावती का ये फैसला ठीक है…. सही है… श्याम सिंह यादव ने वाकई में सपा कार्यालय में जाकर बड़ा गुनाह क्या…जिसके लिए उन्हें पद से हटा दिया गया…क्या बीएसपी सिर्फ मायावती ही मायावती है… बाकी सबका अस्तित्व मायावती में विलीन है… अगर कोई अपने सियासी अस्तित्व को निखारने की कोशिश करेगा… तो उसके श्याम सिंह यादव जैसा ही होगा….सवाल बस इतना है… श्याम सिंह यादव को बीएसपी संसदीय दल के नेता पद से हटाने का फैसला कितना सही है