Nitish Kumar के मिशन में BJP ने खोदी ‘सुरंग’! Jitan Ram Manjhi से Amit Shah और चिराग से नित्यानंद यूं ही नहीं मिले, समझिए खेल…

क्या बिहार में फिर से आने वाला है राजनीतिक भूचाल?
क्या 2024 से पहले ही टूट कर बिखर जाएगा महागठबंधन?
क्या नीतीश कुमार को फिर से धोखा देने वाले हैं उनके पुराने साथी?
मांझी और शाह में मुलाकात हुई, लेकिन क्या बात हुई ?

साल 2024 में होने वाले चुनाव जैसे जैसे नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे राजनीति के समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं और बिहार में कुछ अलग ही तस्वीर उभरती दिख रही है…दरअसल अब तक ये मानाजाता था कि महागठबंधन पूरी तरह से एकजुट है और यही बीजेपी की सबसे बड़ी परेशानी थी…लेकिन अब तस्वीर बदलने लगी है अब महागठबंधन में टूट दिखाई देने लगी है…पहले उपेंद्र कुशवाह ने महागठबंधन से किनारा कर लिया और अब नीतीश कुमार के एक और सबसे भरोसेमंद साथी बीजेपी की तरफ खिंचते हुए नजर आते हैं…जिनकी हाल ही में नीतीश कुमार ने जमकर तारीफ की थी और उन्होंने भी कसम खाई थी कि नीतीश कुमार जहां रहेंगे हम भी वहीं रहेंगे…लेकिन ये राजनीति है बाबू मोशाय यहां कब कौन दोस्त बन जाए और कौन दुश्मन कोई नहीं जानता…चलिए अब आपको ज्यादा इंतजार नहीं करवाते हुए बता देते हैं कि अब नीतीश कुमार को कौन छोड़कर जाने वाला है….बताएंगे पूरी खबर बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें….

दरअसल हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जिस साथी की बात कर रहे हैं वो भी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं…जी हां आप सही समझे हम हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी की ही बात कर रहे हैं….अब आप सोच रहे होंगे ये कैसे हो सकता है अभी तो जीतनराम मांझी नीतीश कुमार के साथ हमेशा रहने की कसम खाते हुए नजर आते थे फिर अचानक से क्या हुआ है…दरअसल इन कयासों के पीछे की वजह एक मुलाकात है जो हुई है जीतनराम मांझी और अमित शाह के बीच…और इसी मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में मांझी को लेकर अटकलें तेज हो गईं।मांझी ने शाह से यह मुलाकात ऐसे समय में की है जब जनता दल के नेता नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ गठबंधन बनाने के अपनी कोशिशों के चलते राजधानी दिल्ली में हैं और कई विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं और तब जीतनराम मांझी का अमित शाह से मुलाकात करना किसी को भी खटक सकता है

बैठक के बाद अब सफाई का दौर

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने किसी भी तरह की अटकलों को रोकने की कोशिश की है…बैठक के बाद लग रही अटकलों को कम करने के लिए मांझी खुद सामने आए और कहा कि

मैंने नीतीश कुमार के साथ बने रहने की शपथ ली है।
भाजपा के साथ हाथ मिलाने की किसी भी संभावना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उनके जैसे छोटे दलों के अस्तित्व के खिलाफ बोला है।

बता दें कि दलित नेता मांझी के बेटे राज्य में महागठबंधन की सरकार में मंत्री भी हैं इसलिए इसकी संभावना कम ही है कि वे अपने बेटे के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे…लेकिन अब सवाल फिर वही है कि फिर जीतनराम मांझी ने अमित शाह से मुलाकात क्यों की है…चलिए अब आपको इस सवाल का भी जवाब दे देते हैं
दरअसल बताया जा रहा है कि मांझी की शाह से मुलाकात उनकी पार्टी की उस मांग के मद्देनजर हुई जिसमें दशरथ मांझी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने की बात सामने आई थी। दशरथ मांझी ने दो दशक में पहाड़ों को खोदकर सड़क बना दी थी। उनकी इस उपलब्धि पर एक फिल्म भी बनी है। शाह के साथ अपनी बैठक के बाद, वह नीतीश से मिलने भी पहुंचे जिससे ऐसी किसी भी धारणा को दूर किया जा सके कि वह फिर से ‘यू-टर्न’ ले सकते हैं।

बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जद(यू) की करारी हार के बाद नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन जब अगले ही साल कुर्सी वापस सौंपने की बात आई थी तो मांझी ने बगावत कर दी और बीजेपी से हाथ मिला लिया था। यहां तक कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में मांझी एनडीए नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा थे…इसलिए कई लोगों को ये लगता है कि जीतन राम मांझी कभी भी बीजेपी की तरफ जा सकते हैं क्योंकि साल 2024 के चुनाव कई छोटे दलों की दशा और दिशा तय करने वाले होंगे….आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएँ…साथ ही राजनीति से जुड़ी हर खबर के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लें…शुक्रिया