सफेद कपड़ों में ही दिखता है ये ‘भोले बाबा’…गेरुआ वस्त्रों से करता परहेज
जो है ब्रह्मा, विष्णु और महेश के गुरु… इस बाबा का है दावा… वही हैं उनके गुरु…आज इसी बाबा ने कईयों की जिंदगी से खेल कर दिया
हाथरस में जिन भोला बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ कौन हैं वो? जानिए उनसे जुड़ी पूरी कहानी
ये तबाही ऐसी है जिसे हम दिखा नहीं सकते… देखेंगे दिल दहल जाएगा… भड़भड़ाकर रो देंगे… सांसे थम चुकी है… एक नहीं सौ से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए है… उनकी सांसे एक एक करके निकलती गई… वो बेबसी देखिए जिस बाबा, जिसने खुद को भोलेबाबा का नाम दिया… उसके चक्कर में पड़ कर अनहोनी का शिकार हो गए… गलती तो किसी ना किसी की तो है… लेकिन सबसे बड़ी गलती तो इस भोले बाबा की है… जिसने पता नहीं खुद क्या समझ लिया… खुद को भोली भाली जनता के सामने इस तरह से पेश किया… वो इनके चक्कर में आ गए… जिम्मेदारी तो सबसे बड़ी इनकी बनती है…
हाथरस के रतिभानपुर में मंगलवार का दिन अमंगलकारी रहा… यहां प्रवचन करने वाले भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई… इस दर्दनाक हादसे में सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई… संत भोले बाबा का प्रवचन सुनने के लिए हाथरस एटा बॉर्डर के पास मौजूद रतिभान पुर में बहुत बड़ी संख्या में लोग जमा थे… सत्संग पंडाल में अचानक मची भगदड़ हुई और मौत का तांडव देखने को मिला, लोग एक- दूसरे के उपर गिरते हुए चले गए…
अब इस भोले बाबा के बारे में जानिए… भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के नाम है इनका… पश्चिमी यूपी में इनकी संतगिरी चलती है… नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था… पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताता हैं… दावा है कि 26 साल पहले बाबा सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे…. आध्यात्मिक जीवन में आने के बाद अपना नाम बदल लिया और नारायण साकार हरि रख लिया… नारायण साकार हरि आम बाबाओं की तरफ गेरुआ कपड़े नहीं पहनते. वह अक्सर सफेद सूट, टाई और जूते में नजर आते हैं तो कई बार कुर्ता-पाजामा पहने दिखते हैं… साकार हरि अपने समागम कहते आ रहे हैं कि नौकरी के दिनों में भी उनका झुकाव आध्यात्म की तरफ था…
नारायण साकार हरि खुद को हरि का शिष्य कहते हैं… अक्सर अपने प्रवचन में कहते हैं कि साकार हरि पूरे ब्रहमांड के मालिक हैं… यहां तक कि ब्रहमा, विष्णु और शंकर ने भी साकार हरि को ही गुरू माना है… साकार हरि की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में अच्छी पैठ है. ..यहां अक्सर उनके प्रवचन और सत्संग होते रहे हैं….बाबा दावा करते हैं कि 1990 के दशक में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और आध्यात्म में आ गए. प्रवचन देने लगे… वो बताते हैं कि उनके समागम में जो भी दान, दक्षिणा, चढावा वगैरह आता है, उसे अपने पास नहीं रखते बल्कि भक्तों के उपर खर्च कर देते हैं…. भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं…. जानकारी के मुताबिक पश्चिमी यूपी के अलीगढ़, हाथरस जिलों में भी नारायण साकार हरि का कार्यक्रम हर मंगलवार को आयोजित किया जाता है… इसमें हजारों की तादाद में भीड़ उमड़ती है. इस दौरान भोले बाबा से जुड़े हजारों स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं खाने पीने से लेकर भक्तों के लिए जरूरी इंतजाम करते हैं….