गाजियाबाद पुलिस अब प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है… खाकी का खुलेआम भ्रष्टाचार और बंटवारे में भेदभाव ने पूरी पोल पट्टी खोल कर रख दी है… जिले में पूर्व इंस्पेक्टर लक्ष्मी चौहान की लक्ष्मी पूजा किसने नहीं देखी… एसएसपी ने चौहान और उनके 7 सहयोगियों को भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर सलाखों के पीछे भेज दिया… इसके बाद इंदिरापुरम में तैनात इंस्पेक्टर दीपक शर्मा को भी एक मामले में लाइन हाजिर कर दिया गया… जांच में इंस्पेक्टर दीपक शर्मा और दो सब इंस्पेक्टर को भी दोषी पाया गया… आरोपियों को छोड़े जाने के मामले में जो रिश्वत ली गई थी… उसमें से 4 लाख 60 हजार रुपए भी बरामद कर लिए हैं… जल्द ही दीपक शर्मा को सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है… चलिए अब आपको बताते हैं गाजियाबाद पुलिस के एक और कारनामे के बारे में… इस बार थानों में की जा रही ट्रांसफर पोस्टिंग पर सवाल उठाए गए हैं… हैरत वाली बात ये है कि खुद एसएसपी के पीआरओ ने ये सवाल खड़े किए हैं… वॉट्सएप ग्रुप पर पीआरओ के निजी नंबर से मैसेज डलने के बाद हड़कंप मच गया… मैसेज में कहा गया है कि गाजियाबाद में भ्रष्टाचारियों को थानों का चार्ज दिया गया है
इनमें सिहानी गेट, नगर कोतवाली, ट्रॉनिका सिटी और महिला थाना शामिल हैं… तबादले की सुगबुगाहट तीन दिनों से चल रही थी… इसी बीच सोमवार शाम एसएसपी के पीआरओ पंकज कुमार के निजी नंबर से वॉट्सएप ग्रुप में मैसेज फारवर्ड किए गए… जिसमें कहा गया है कि थानों में भ्रष्ट अफसरों को चार्ज दिया गया है… लिखा है कि गाजियाबाद की बड़ी पेशी में पेशकार सत्येंद्र सिंह को थाना खोड़ा से हटे अभी छह महीने भी नहीं हुए और उन्हें इंचार्ज बना दिया गया… इसके साथ ही उन्होंने गाजियाबाद एसएसपी पर चार्ज सौंपने को लेकर उच्चाधिकारियों की ओर से बनाए गए मापदंडों के अनुसार काम नहीं करने का भी आरोप भी लगाया… हालांकि बाद में पीआरओ पंकज कुमार के मुताबिक वो किसी ग्रुप में आए मैसेज को डिलीट कर रहे थे… लेकिन गलती से वो एक ग्रुप में फॉरवर्ड हो गए… उन्होंने किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया है