लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती… और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती… देश की पहली दृष्टिहीन महिला IAS अधिकारी प्रांजल पाटिल ने इन लाइनों को सच साबित किया है… प्रांजल ने सोमवार को केरल के तिरुवंतपुरम जिले के सब-कलेक्टर की जिम्मेदारी संभाल ली… महाराष्ट्र के उल्लास नगर की रहने वाली प्रांजल ने 6 साल की उम्र में आंखों की रोशनी खो दी थी. लेकिन, फिर भी वो अंधेरी दुनिया में भटकने के बजाय तमाम मुश्किलों को पार कर IAS बनीं… आइए जानते हैं प्रांजल की तैयारियों और उनके सफर के बारे में
ये कुछ कर गुजरने का जज्बा ही था जिसे बड़ी-बड़ी मुश्किलें भी नहीं रोक पाईं… हौसला इतना बुलंद था कि दृष्टिहीनता भी आड़े नहीं आई… हिम्मत इतनी थी कि कभी हार नहीं मानी… UPSC की परीक्षा तो उसने उस ही दिन पास कर ली थी, जब दृष्टिहीन होने के बावजूद उसने ऐसा करने की ठानी… भारत की पहली दृष्टिहीन महिला IAS प्रांजल पाटिल ने तिरुवनंतपुरम की उप कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला… छह साल की उम्र में उन्होंने अपनी दृष्टि खो दी थी… प्रांजल सिर्फ छह साल की थी जब उनकी सहेली ने उनकी एक आंख में पेंसिल मारकर उन्हें घायल कर दिया था… जिसके बाद प्रांजल को एक आंख से दिखना बंद हो गया… इलाज के दौरान डॉक्टरों ने ये भी बता दिया कि हो सकता है की भविष्य में उनको दूसरी आंख से भी दिखना बंद हो जाए… आगे चलकर डॉक्टर की बात सच साबित हुई… इसके बावजूद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बनने का सपना पूरा किया
प्रांजल महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली हैं… साल 2016 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की… प्रांजल ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में पोस्ट ग्रेजुएशन किया… इसके बाद M.Phil और Ph.D की डिग्रियां प्राप्त कीं… इसके बाद उन्होंने सिविल सेवा में अपना करियर बनाने का फैसला किया… प्रांजल की मानें तो उन्होंने यूपीएससी की पढ़ाई में स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर, जॉब एक्सेस विद स्पीच (JAWS) की मदद ली… ये खासतौर पर नेत्रहीन और न सुनने वाले लोगों के लिए बनाया गया है… पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा को पास करने के बाद प्रांजल को भारतीय रेलवे खाता सेवा (IRAS) में नौकरी की पेशकश की गई थी… लेकिन रेलवे ने उनकी कम दृष्टि की वजह से नियुक्त करने से इनकार कर दिया… प्रांजल ने बताया कि रेलवे के इनकार के बाद मैं निराश थी, लेकिन लड़ाई छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी… मैंने रैंकिंग सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की और उस मुकाम पर पहुंची