‘नेताजी’ के पद्म विभूषण को सबसे पहले अखिलेश किसे सौंपा ? शिवपाल, रामगोपाल, डिंपल नहीं.. कोई और है…मुलायम से उनका कनेक्शन है गहरा
मुलायम के मिले पद्म विभूषण सम्मान अखिलेश ने राष्ट्रपति से लिया…. सम्मान को लेकर क्यों आए मैनपुरी ?
अखिलेश ने पद्म विभूषण को सबसे पहले किसके हाथ में थमाया… किन्हें ये तो आपके लिए है ?
पद्म विभूषण जिनके हवाले अखिलेश ने किया… उनका नेताजी से रहा गहरा नाता… मुलायम ही नहीं पूरा परिवार उनते ही बताए रास्ते पर चलता है !
नेताजी को अखिलेश के पिता हैं… उनके लिए अखिलेश के दिल क्या भवानाएं… पद्म विभूषण सम्मान मिलने के बाद उन्होंने जाहिर कर दिया… लिखा…
अनगिनत दीन दुखियों का उद्धार कर गए… सपना समाजवाद का साकार कर गए
यह पद्म विभूषण तो मिला बाद में पहले… कीर्ति के सब कीर्तिमान पार कर गए
बंचित,श्रमिक,किसान को हक मांगने का ढंग… सिखला गए, कितना बड़ा उपकार कर गए
आदत थी तेज चलने की, जल्दी चले गए… जाने से पहले सबके नाम, प्यार कर गए
अखिलेश की शब्दों में रचित पिता के लिए ये भावनाएं कुछ कुछ उनके शब्दों से मैच हो रहा है…जिनके हाथ में अखिलेश यादव ने मुलाय को मिले पद्म विभूषण सम्मान थमाया है… अखिलेश के कहे हर शब्द में इनके ही तेवर झलकते हैं… जिन्होंने मुलायम के लिए लिखा है….
जिनको आदत है सोने की उपवन की अनुकूल हवा में। उनका
अस्थि शेष भी उड़ जाता है बनकर धूल हवा में। लेकिन जो
संघर्षों का सुख सिरहाने रखकर सोते हैं। युग के अंगड़ाई लेने
पर वे ही पैगंबर होते हैं
आप सोच रहे होंगे… जानना जरूर चाह रहे होंगे… आखिर कौन हैं… ये बुजुर्ग जिन्हें अखिलेश ने सबसे पहले मुलायम को मिले पद्म विभूषण सम्मान सौंपा…
न तेरा है, न मेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है… नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है… इस प्रकार की गूढ़ बातें करने वाले ये वही है… इनका नाम उदय प्रताप सिंह है…जो नेताजी के गुरु रहे… इनकी शख्सियत को किसी एक क्षेत्र में रखकर नहीं देखा जा सकता है… उदय प्रताप एक लोकप्रिय कवि, साहित्यकार, समाजसेवी और राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे… अपनी रचनाओं के जरिए अपनी भावनाओं को वो हमेशा व्यक्त करते रहे हैं… उदय प्रताप अखिल भारतीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं… लोग प्यार से उन्हें गुरुजी कहते हैं… लोगों की बातों पर वो हमेशा अपनी एक रचना का जिक्र करते हैं, ‘कभी-कभी सोचा करता हूं वो वेचारे छले गए हैं…जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गए हैं… उदय प्रताप को जब भी नजरअंदाज करने का प्रयास किया गया, उन्होंने अपनी रचना के जरिए जवाब दिया… कहते पुरानी कश्ती को पार लेकर फकत हमारा हुनर गया है.. नए खिवय्ये कहीं न समझें, नदी का पानी उतर गया है…
उदय प्रताप सिंह का जन्म मैनपुरी के गढिया छिनकौरा गांव में 18 मई 1932 को हुआ था…ये मुलायम सिंह यादव के गुरू हैं… क्योंकि इन्होंने साल 1958 में जैन इंटर कॉलेज, करहल में मुलायम सिंह यादव को पढ़ाया था… उदय प्रताप की ख्याति कवि के रूप में रही है… देश और विदेश में उन्होंने कई कवि सम्मेलनों में भाग लिया… करीब 45 सालों से वो कवि सम्मेलनों में जाते रहे…समाजवादी पार्टी के लिए भी उन्होंने कई चुनावी गीत लिखे.. सपा का थीम सॉन्ग ‘मन से हैं मुलायम’ की रचना भी उदय प्रताप ने ही की… मुलायम सिंह यादव हमेशा उदय प्रताप का सम्मान करते थे… जब साल समाजवादी पार्टी की नींव डाली तो तो साल 1992 में सपा से उदय प्रताप जुड़ गए… साल 1989 में पहली बार उन्हें मैनपुरी से सांसद बनने का अवसर मिला…साल 1991 के आम चुनाव में फिर उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की… साल 1996 में उन्होंने मैनपुरी सीट मुलायम के लिए खाली कर दी…साल 2002 में मुलायम ने उन्हें राज्यसभा भेजा… नवंबर 2002 में उन्हें केंद्र सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य बनाया…अखिलेश के राज में उदय प्रताप यूपी हिंदी संस्थान का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया… योगी सरकार में उन्हें हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के अध्यक्ष नियुक्त किया गया है…