बिहार में फिर होने वाला है कुछ बड़ा…
नीतीश कुमार की चुप्पी दे रही है तूफान से पहले शांति का इशारा
जब-जब नीतीश कुमार ने ओढ़ी है चुप्पी तब-तब बिहार में आया है राजनीति भूचाल
महागठबंधन में होने वाली है बड़ी “महाभारत”
बिहार में जितनी तेजी से राजनीति बदलती है उतनी शायद ही किसी और राज्य में बदलती हो…यहां आज जो राजनीतिक हालात हैं हो सकता है कल स्थिति उससे बिल्कुल उलट हो जाए…इसलिए सबकी नजरें बिहार की तरफ ही टिकी रहती हैं…और इस बार बिहार में जो राजनीकि भूचाल आया है वो आया है महागठबंधन में…जीं हां वही महागठबंधन जो बीजेपी के लिए मौजूदा वक्त में समय सबसे बड़ी चिंता बना हुआ है…लेकिन अब इस खबर से बीजेपी भी बड़ी राहत महसूस कर रही होगी…अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर महागठबंधन में ऐसा क्या हुआ कि जो बीजेपी के लिए खुशखबरी की तरह है….तो जनाब खबर ये है कि महागठबंधन में महाभरत शुरू होने लगा है और फूट खुलकर बाहर आने लगी है…अगले कुछ मिनट में हम आपको इस फूट की पूरी कहानी विस्तार से बताएंगें बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें
दरअसल लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी यादव को जमानत मिलने से ना केवल आरजेडी नेता और कार्यकर्ता खुश थे बल्कि महागठबंधन की हर पार्टी राहत महसूस कर रही थी क्योंकि लालू यादव का कद बिहार की राजनीति में कितना बड़ा है ये हर कोई जानता है…लेकिन इस जमानत के बाद से ही महागठबंधन में एक तरह का महाभारत भी शुरू होने लगा है…बड़े तामझाम से महागठबंधन के साथ जेडीयू का गठबंधन हुआ था और एक दूसरे का साथ कभी न छोड़ने का सभी ने संकल्प लिया था। लेकिन सात-आठ महीने में ही महागठबंधन के दो प्रमुख घटक दलों- आरजेडी और जेडीयू नेताओं के बीच जिस तरह की तनातनी दिख रही है, उससे नहीं लगता है कि साथ न छोड़ने का संकल्प पूरा हो पाएगा…और यही बात बीजेपी को राहत दे रही होगी….
वैसे जेडीयू विधायकों की संख्या भले ही महागठबंधन में दूसरे नंबर पर है, लेकिन वह सर्वाधिक सदस्यों वाले आरजेडी से खुद को कमतर नहीं समझता। लेकिन अब सवाल ये है कि इन दोनों पार्टियों में तनातनी की शुरूआत कहां से हुई और जवाब ये है कि आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे के साथ ही आरजेडी और जेडीयू में तनातनी का दौर शुरू हो गया था, जो अब आरजेडी कोटे से शिक्षा मंत्री बने चंद्रशेखर के विरोध तक आ गया है।
फूट की पहली वजह
दरअसल जेडीयू उसी दिन से भड़का हुआ है, जब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में रामचरितमानस को लेकर विवादास्पद बयान दिया था। जेडीयू ने न सिर्फ इसका आधिकारिक तौर पर विरोध किया, बल्कि सीएम नीतीश कुमार ने ऐसे बयान से परहेज की सलाह तक चंद्रशेखर को दे डाली थी। और नीतीश कुमार इंतजार कर रहे थे कि उनकी दी सलाह का असर बल्कि हुआ उल्टा चंद्रशेखर ने नीतीश को पलट कर जवाब दे दिया कि वे अपने स्टैंड पर कायम हैं इतना ही नहीं बीच-बीच में वे अपनी बातें जहां-तहां दोहराते भी रहे हैं कि रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। हद तो तब हो गयी, जब चंद्रशेखर रामचरितमानस लेकर विधानसभा पहुंचे और बजट पर चर्चा के दौरान ही उन्होंने रामचरित मानस का मुद्दा छेड़ दिया और अगले दिन विधान परिषद में भी वे रामचरित मानस पर बोलने लगे, जिसका सदन में ही बीजेपी के साथ जेडीयू के सदस्यों ने भी विरोध किया…यही वो मौका था जब आरजेडी और जेडीयू एकता की महीन डोर खुलने लगी थी
इसके बाद विरोध इतना बढ़ा कि
शिक्षा मंत्री के बयान के विरोध में जेडीयू के पार्षद नीरज
कुमार ने हनुमान मंदिर में पूजा-पाठ भी किया था।
तो वहीं जेडीयू विधायक संजीव ने तो चंद्रशेखर की योग्यता
और समझ पर ही सवाल उठा दिया है।
यहां तक कि जेडीयू ने भी आधिकारिक तौर पर बयान जारी
कर स्पष्ट कर दिया था कि वह ऐसे मुद्दों के खिलाफ है
अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आरजेडी नेता के खिलाफ जेडीयू ने इतना कुछ कहा और किया तो आरजेडी ने भी अपने इस नेता पर सख्त एक्शन लिया होगा आखिर दोनों का गठबंधन भी है….लेकिन दूसरों की तरह आप भी चौंक जाएंगे कि इतना होने के बाद भी आरजेडी ने अपने मंत्री को कभी इसके लिए न टोका और न रोका। इसका मतलब साफ है कि जेडीयू के स्टैंड से आरजेडी इत्तेफाक नहीं रखता…चलिए अब आपको आरजेडी और जेडीयू में फूट की एक और वजह बताते हैं
फूट की दूसरी वजह
दरअसल महागठबंधन में खटपट के दूसरे कारक बने हैं आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह। वे लगातार नीतीश कुमार और अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलते रहते हैं। शिखंडी, हाईटेक भिखमंगा जैसे अनगिनत अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल अब तक सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार के लिए किया है। हालांकि नीतीश कुमार ने ने इस बारे में उचित निर्णय लेने का जिम्मा आरजेडी पर छोड़ दिया वैसे तेजस्वी यादव ने भी माना था कि सुधाकर सिंह जिस तरह का बयान दे रहे हैं, वह भाजपा की भाषा है इतना ही नहीं सुधाकर को आरजेडी ने शो काज नोटिस भी दिया था जिससे ये लगा था सच में महागठबंधन में ईमानदारी बरकरार है। लेकिन जेडीयू तेजस्वी से सख्त एक्शन की उम्मीद कर रही थी जो अब तक पूरी नहीं हुई है…
वहीं यह सब देख-सुन कर भी नीतीश कुमार ने चुप्पी साध ली है जो अक्सर तूफान से पहले शांति की तरह होती है क्योंकि जब जब नीतीश कुमार ने किसी के साथ जाने या किसी का साथ छोड़ने का फैसला लिया है तो उससे पहले ऐसे ही चुप्पी ओढ़ी है…बरहाल बिहार में जो भी होगा वो सबसे पहले हम आपतक पहुंचाएंगे बस आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर लें…शुक्रिया