- राम माधव ने PM मोदी को क्यों कहा लिंकन?
- बीजेपी नेता राम माधव ने की PM मोदी की तुलना
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन से की की तुलना
- कश्मीर पर लिए फैसलों का दिया हवाला
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन 1863 में दास प्रथा समाप्ति की ऐतिहासिक घोषणा की थी। लिंकन का मानना था कि दासता अमेरिकी संविधान के मूलभूत सिद्धांत के विपरीत है। दास प्रथा को समाप्त करने के उनके संकल्प को लेकर 1856 में प्रख्यात विचारक एलेक्सिस डी टोकेविले ने प्रो-एबोलिशन पेपर लिबर्टी बेल में एक ओपन लेटर लिखा था। उन्होंने लिखा था कि मैं इस बात से आहत हूं कि दुनिया के सबसे अच्छे लोग गुलामी बनाए रखते हैं।
राम माधव ने लेख में आगे लिखा कि लिंकन के लिए ये यात्रा आसान नहीं थी। उन्हें दास प्रथा का समर्थन करने वाले नेताओं की आलोचना झेलनी पड़ी। इतना ही नहीं अमेरिका और ब्रिटेन के प्रमुख उदारवादी लोगों ने भी उनकी आलोचना की। यहां तक कि पैपल प्रतिष्ठान भी उनके इस फैसले के खिलाफ था। उनके फैसले के बाद गृहयुद्ध छिड़ गया। इससे निपटने के लिए लिंकन को कठोर कदम उठाने पड़े। इनमें इमरजेंसी, सेना की तैनाती और मीडिया की सेंसरशिप जैसे फैसले शामिल थे। ऐसे में उदारवादी नेताओं के पास लिंकन पर अमेरिकी लोकतंत्र को एक सैन्य निरंकुशता में बदल देने का आरोप लगाने का अच्छा मौका था। लिंकन को एक महत्वाकांक्षी अत्याचारी कहा गया। एक पाखंडी जो दक्षिण में उत्तर के अधिकार को समाप्त करने के लिए एक बहाने के रूप में दासता का इस्तेमाल करता था। लिंकन पर गृहयुद्ध को भड़काने, नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने और यहां तक कि गणतंत्र को नष्ट करने का भी आरोप लगाया गया था। कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को भी भविष्य को लेकर इसी रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने एक ऐसे संवैधानिक प्रावधान को खत्म किया जो कश्मीर के आम लोगों के नागरिक व राजनैतिक अधिकार और सम्मान से जीने में बाधा बन रहा था। इसके साथ ही ये सूबे में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा दे रहा था। इस स्थिति में कुछ कड़ा रुख अख्तियार करने के लिए मोदी को लिंकन के समान देखा जाना चाहिए।
अब राम माधव की इस बात सियासत क्या कहेगी… क्या बोलेगी… क्या तर्क गढेगी… बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को अपने घेरे में लेने के लिए किस रफ्तार से चलेगी… और बीजेपी इस धारणा किस लेवल पर ले जाएगी… इंतजार कीजिए… वक्त के साथ सबकुछ आपके सामने होगा