मैं महाराष्ट्र हूं…. आज मैं बेचैन हूं… बेकरार हूं… बेताबी की लिबास को ओढ़कर… गुमनामी में खोता ही जा रहा हूं… मैं महाराष्ट्र हूं… अपने गौरवशाली इतिहास के साये में वर्तमान को देख रहा हूं…. लेकिन जो देखना चाहता हूं… वो देख नहीं पा रहा हूं…. मैं महाराष्ट्र हूं… अपनी गोद में पली सियासत को बिखरते देख सोच रहा हूं… काश ! कि पहले जैसा हो जाए…. काश की दोस्ती हो जाए… काश की अभिमान मिट्टी में मिल जाए… काश की स्वाभिमान जाग जाए… काश वो रिश्ते जो सियासत का बुनियादी आधार है… वो मजबूत हो जाए… काश… ऐसा हो जाए…. मैं महाराष्ट्र हूं…. हमने बड़ी ही सोच समझकर सबको अपना जनादेश सुनाया था… अपने भरोसे पर उतारा था… लेकिन देखिए ना जिसपर विश्वास किया… तख्तोताज देने का आदेश दिया… वही आज गद्दी के लिए एक-दूसरे को अपनी राजनीति के घेरे में लेने के लिए बेताब हैं…. अब देखिए ना चुनाव नतीजों को बीते 13 दिन हो चुके हैं… लेकिन सरकार किसकी बनेगी अब तक ये साफ नहीं हो पाया है… हमारी जनता ने बीजेपी शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट जनादेश दिया था….अब दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे से वर्चस्व की जंग में बिजी है…. चुनाव के पहले शिवसेना ने कई बार ये दावा किया कि समझौता बराबरी पर हुआ है…दोनों दलों के नेता ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री होगें लेकिन बीजेपी ने कभी इस दावे का समर्थन नहीं किया… लेकिन चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना का यही दावा सरकार बनाने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है….मैं महाराष्ट्र आज बेचैन हूं… क्या करुं… मुझसे हर कोई बस यही सवाल कर रहा है… तुम्हारी धड़कनों की जमीन पर पनपी शिवसेना इतनी इतरा क्यों रही है…. शिवसेना मुख्यमंत्री पद छोड़ने को क्यों तैयार नहीं है…फिर चाहे राज्य में राष्ट्रपति शासन क्यों न लग जाए…. आखिर यही शिवसेना केन्द्र में सिर्फ एक मंत्री की कुर्सी लेने को तैयार हो गई… अब ऐसा क्या है… जो शिवसेना मुख्यमंत्री से कम कुछ मानने के तैयार नहीं है ?
मैं महाराष्ट्र हूं… आज बताता हूं… जो मैंने महसूस किया है… आखिर क्यों शिवसेना अपनी जिद्द पर अड़ी हुई है…. तो जान लीजिए…. बाला साहब ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना लगातार बीजेपी के मुकाबले कमजोर होती जा रही है…. जिसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है…. 2014 के लोकसभा, 2014 के विधानसभा और फिर 2019 में विधानसभा और लोकसभा का गणित कुछ ऐसा बैठा की बीजेपी के सामने शिवसेना की हैसियत खत्म होती गई… बीजेपी ने अपनी शर्तों पर शिवसेना को अपने साथ रखा…. ऐसे में इस विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार ऐसी राजनीतिक तस्वीर उभरी है… जिसमें शिवसेना बीजेपी से मोलभाव करने की हालत में है… शिवसेना इस मौके का फायदा उठा लेना चाहती है…. मेरे खबरी तो इतना भी बताते हैं…. मंत्रीमंडल में सिर्फ 13 सीटें देने वाली बीजेपी अब उप मुख्यमंत्री पद और बराबरी वाले मंत्री देने को तैयार हो गई है… देर सबरे वो ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर भी तैयार हो जाएगी
मैं महाराष्ट्र हूं… यहां… मुख्यमंत्री की कुर्सी की अपनी अहमियत है…. अगर ये कुर्सी ना हो तो जनता के बीच पैठ टूट जाती हैं…. हालांकि दोनों पार्टियों के बीच चल रही रस्साकस्सी से मैं, महाराष्ट्र को अंदेशा है… कही देश के सबसे पुराने राजनीतिक गठबंधनों में से एक शिवसेना-बीजेपी गठबंधन टूट जाए…मैं महाराष्ट्र हूं… मैं ही अब पीड़ित हूं… मैं ही अब साक्ष्य हूं… मैं ही साध्य हूं… मैं महाराष्ट्र हूं इनकी सियासत को अपनी आंखों से देख रहा हूं… कभी ना कभी संदेश तो दूंगा ही