पूर्व मंत्री रामअचल राजभर व लालजी वर्मा के जरिए पूर्वांचल की राजनीति को साधने की कोशिश सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भले ही शुरू की है, लेकिन राह काफी जटिल है। इसका बड़ा आइना रविवार को इन दोनों नेताओं की ओर से ही मुख्यत: आयोजित जनसभा में देखने को मिला।
एक तरफ जहां रैली को ऐतिहासिक बनाने के दावों के अनुरूप भीड़ नहीं जुट पाई, वहीं अखिलेश के संबोधन के दौरान भीड़ के तेजी से छटते जाने को लेकर भी नई बहस शुरू हो गई है। इसमें यह बात मुख्य रूप से उभरकर सामने आई है कि बसपा के मूल मतदाताओं का अखिलेश यादव से जुड़ना उतना आसान नहीं है, जितना भरोसा बसपा से आए नेताओं के बूते किया जा रहा है।
अकबरपुर में आयोजित सपा की जनादेश रैली यूं तो सपा के बैनर तले थी, लेकिन इसका मुख्य जिम्मा संभाल रखा था बसपा से निष्कासित होने के बाद सपा में शामिल हुए पूर्व मंत्रियों रामअचल राजभर व लालजी वर्मा ने। तैयारियां व दावे यह थे कि यह रैली जिले में अभूतपूर्व होगी। दोनों नेताओं ने इसके लिए मोर्चा संभाल रखा था। रविवार को सभा में भीड़ जुटी भी काफी, लेकिन यह आयोजन को अभूतपूर्व बनाने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
ऐसे में आयोजन को लेकर ऐतिहासिक होने के जो दावे किए गए थे, वह अखिलेश यादव के पहुंचने के तुरंत पहले तक तार-तार हो चुके थे। यह तब हुआ, जबकि आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए तमाम सपा के नेता अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए भीड़ लेकर पहुंचे थे। अखिलेश भीड़ देखकर गदगद तो हुए, लेकिन उनका भाषण शुरू होने के तत्काल बाद से ही भीड़ वहां से खिसकने लगी। अखिलेश का भाषण शुरू हुए पांच मिनट भी नहीं बीते थे कि न सिर्फ पंडाल के अंदर मौजूद भीड़, वरन बाहर की भीड़ वहां से छटने लगी।
‘सपा से कनेक्ट हो पाना सहज नहीं’
इसका आशय राजनीतिक हलकों में यह निकाला जा रहा है कि संसाधनों का प्रबंध कर भीड़ तो जैसे-तैसे सम्मान बचाने लायक बुला ली गई, लेकिन बसपा के मूल मतदाता का अखिलेश यादव से जुड़ना अभी संभव नहीं दिख रहा है। दरअसल दशकों से बसपा की राजनीति करते आ रहे रामअचल राजभर व लालजी वर्मा से जुड़े ज्यादातर कार्यकर्ता बसपा के ही हैं। वे सब ही इस रैली में पहुंचे थे।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार दशकों से यह सब कार्यकर्ता अखिलेश व सपा के विरोध में बोलते आए हैं। अब संसाधनों का इंतजाम होने से रैली में तो पहुंच गए, लेकिन सपा से उनका कनेक्ट हो पाना अभी सहज नहीं है। हालांकि रामअचल व लालजी के अनुसार रैली अभूतपूर्व रही है।