तो इसलिए निकाय चुनाव में नहीं होगा यादव प्रत्याशी | अखिलेश यादव के सबसे बड़े फैसले से मची हलचल…

सपा के इतिहास में पहली बार…यादव प्रत्याशी नहीं होंगे अबकी बार !
अखिलेश यादव की प्लानिंग जोरदार…बीजेपी की परेशानी बढ़ी हजार !
मायावती के फॉर्मूले पर छिड़ी रार…BSP भी जीत को बेकरार !
अखिलेश का प्लान…सिय़ासत घनघोर..,निकाय चुनाव का शोर !

निकाय चुनाव में अखिलेश यादव बड़ा गेम करने जा रहे हैं…अखिलेश यादव का मिशन है वो किसी भी तरह से बीजेपी को हराएंगे.,.शायद इसिलिए इतना बड़ा फैसला लिया..मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव ने अपनी सियासी सफऱ तक में कभी ऐसा सपा में नहीं हुआ था…लेकिन अब ऐसा करने के लिए अखिलेश यादव निकल पड़े हैं…निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे में अखिलेश यादव की सोशल इंजिनियरिंग पहली बार इतिहास रचने जा रही है…अगर ऐसा ही अखिलेश कमाल करते गए वो दिन दूर नहीं जब बीजेपी के लिेए सबसे बड़े सिरदर्द बनेंगे…अखिलेश यादव की प्लानिंग सोचने से पहले ही बीजेपी कीे विचार ध्वस्त हो जाएंगे…निकाय चुनाव की जंग में छिड़ी सियासी घमासान के बीच टिकट बंटवारे का कंट्रोल जिस तरफ है..,,वो वाकई काबिले तारीफ है…हालांकि अभी तक ऐसा कभी हुआ नहीं है.,..लेकिन अब हो रहा है…क्योंकि अखिलेश यादव सपा की कुर्सी पर बैठने के बाद ही तय कर दिए थे…कि वो किसी भी कीमत पर सपा को आगे बढ़ाएंगे…शायद इसिलिए अखिलेश यादव निकाय चुनाव में ऐसा गेम करने जा रहे हैं….बसपा सुप्रीमो मायावती 2007 से पहले नारा देती थीं कि…तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार….लेकिन 2007 के चुनाव में उन्होंने सभी को भौचक कर दिया था…..मायावती ने ब्राह्मण और दलितों का ऐसा गठजोड़ तैयार किया कि वो अपने दम पर यूपी असेंबली की 403 में से 206 सीटें जीतकर सूबे की चीफ मिनिस्टर बन गईं….उनको पता था कि केवल दलित वोटों के सहारे सीएम बनना नामुमकिन है…अब अखिलेश यादव ने अपनी बुआ की किताब को उठा लिया है..और इसी दांव को निकाय चुनाव में बदलकर चल दिया है….जिससे साफ हो गया कि…आगे की सियासत अखिलेश यादव किस तरफ ले जाकर करेंगे…क्योंकि निकाय चुनाव में पहले इसका ट्रायल होगा..और फिर अगर सफलता मिलती है तो इसी सूत्र से आगे की रणनीति को बनाने में कामयाबी मिलेगी…

क्या किसी ने ऐसा सोचा था…कि पहली बार यादव को प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा…लेकिन अब एसा हो रहा है…अखिलेश कुछ ऐसा प्लान कर रहे हैं कि..कि इस चुनाव के बहाने आगामी चुनावों को भी देख लिया जाए…मतलब एक तीर से 2 निशाने वाली बात चरितार्थ करने की तैयारी है…शायद इसिलिए ये बड़ा काम अखिलेश यादव कर रहे हैं…यूपी निकाय चुनाव से पहले अखिलेश यादव का सियासी पैंतरा देखा जाए तो लग रहा है कि….वो भी मायावती के 2007 वाले नक्शे कदम पर हैं…..अखिलेश को भी दिख रहा है कि ….M-Y मुस्लिम-यादव वोट बैंक के सहारे सपा की फिर से सत्ता में वापसी संभव नहीं हो पाएगी….लिहाजा अखिलेश ने भी 2024 के चुनाव को देखते हुए सोशल इंजीनियरिंग की तैयारी शुरू कर दी है….यूपी के निकाय चुनावों में मेयर की सीट बेहद अहम मानी जाती है….नेता मेयर बनने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते दिखते हैं…..लेकिन अखिलेश ने इस बार किसी भी यादव को मेयर का टिकट न देकर साफ कर दिया है कि…..वो अपनी मुस्लिम-यादव वाली छवि से बाहर निकलना चाहते हैं…अखिलेश यादव की कोशिश है कि दूसरे ओबीसी तबकों के साथ ब्राह्मण भी सपा से जुड़ें….उत्तर प्रदेश में 17 म्यूनिसिपल कॉरपोरेशनों के साथ 199 नगर पालिका परिषद, 544 नगर पंचायतों का चुनाव दो चरणों में 4 और 11 मई को कराया जाना है….मतगणना 13 मई को होगी….अखिलेश को पता है कि ….इन चुनावों के परिणाम पार्टी की सेहत पर खासा असर दिखाएंगे…. अगर मजबूती से लड़कर जीते तो काडर मजबूत होगा….। अगर हार गए तो पार्टी के निचले तबके के वर्कर्स का मनोबल रसातल में पहुंचते देर नहीं लगेगी….