अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि हिंदुओं के संघर्ष से राम का मंदिर बन रहा है। यह आनंद की बात है। राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ था तब मैंने तीन बातें रखी थीं। हर हिंदू को खाना, सस्ती गुणवत्तायुक्त शिक्षा, युवा को रोजगार, किसान को फसल का दाम और जेहाद को मिट्टी में मिला दिया जाए ताकि मंदिर तोड़ने और देश तोड़ने वाले खड़े न हो सकें।
तोगड़िया शुक्रवार को जौनपुर के रूहट्टा स्थित एक कांपलेक्स में आयोजित हिंदू धर्म रक्षा निधि अर्पण कार्यक्रम के पूर्व पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता में है तो काम करना चाहिए। मथुरा-काशी के लिए भी कानून बनाना चाहिए।
ट्रिपल तलाक पर कानून आ सकता है तो काशी, मथुरा के लिए भी आ जाए। मुझे विश्वास है इस कानून को लाने से चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में लाभ होगा। सरकार को चाहिए कि संसद में कानून बनाए और काशी विश्वनाथ का सम्मान करे।
गरीब और गरीब तथा पैसे वाले हो रहे अमीर
प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के 17 साल के कार्यकाल में महंगाई बढ़ी है। गरीब और गरीब तथा मुठ्ठी भर पैसे वाले अमीर हो रहे हैं। गरीब और मध्यम वर्ग का विकास रुक गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में भी विकास हुआ। मनमोहन, अटल बिहारी और नरेंद्र मोदी की भी सरकार में काम हुए। लेकिन, गरीब की गरीबी बढ़ रही है। उद्योगपति समृद्ध हो रहे हैं।
यह हम नहीं, सरकारी आंकड़े बताते हैं। सरकार को देश की अर्थतंत्र की पॉलिसी बदलनी होगी। जैसे राम मंदिर बनाने के लिए अभियान चलाया था, वैसे ही देश की आर्थिक समृद्धि, गरीबी मुक्त भारत, रोजगार युक्त युवा और कर्ज मुक्त किसान के लिए हम अभियान चलाएंगे। कहा कि ओमिक्रॉन के मरीज भारत में जगह-जगह मिल रहे हैं। सरकार को भी अस्पताल में दवाई और बेड की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना होगा।
अच्छा हुआ मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए
प्रवीण भाई तोगड़िया ने तीन कृषि कानूनों को लेकर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि अमेरिका की एक कंपनी है जो सारी उपज खरीद लेती है। यह भारत में भी होने वाला था। एक उद्योगपति किसानों से 1300 रुपये क्विंटल खाद्यान्न खरीदता और फिर उसे तीन हजार में बेचता।
अच्छा हुआ नरेंद्र मोदी सरकार ने समय रहते कृषि कानून वापस ले लिए। किसानों के लिए समर्थन मूल्य का कानून बनाना चाहिए। उन्होंने फसल हमारा दाम तुम्हारा नहीं चलेगा, नहीं चलेगा नहीं चलेगा, फसल हमारा दाम हमारा यही चलेगा यही चलेगा का नारा देते हुए कहा कि किसान को अपनी फसल का दाम लगाने का पूरा हक है।