सरकारी अस्पतालों के फार्मासिस्ट अस्पताल में सेवाएं देने के साथ ही बोर्ड की परीक्षाएं कराएंगे। गुरुवार से बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 16 डॉक्टरों को स्टेटिक मजिस्ट्रेट बनाया गया था।

हालांकि डॉक्टरों के विरोध के बाद शासन ने आदेश में आंशिक संसोधन करते हुए अब डॉक्टरों की जगह पर फार्मासिस्टों को स्टेटिक मजिस्ट्रेट बना दिया है। इसमें आयुर्वेद के 10 और होम्योपैथ के छह फार्मासिस्ट शामिल हैं। पशु अस्पतालों के चार फार्मासिस्ट भी ड्यूटी परीक्षा कराएंगे। राज्य सरकार सूबे में आयुष विधा को बढ़ावा दे रही है। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष के डॉक्टर या फार्मासिस्ट ही मरीजों का दर्द मिटाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान आयुष विधा के डॉक्टरों और फार्मासिस्ट की अहम भूमिका देखने को मिली।

लोगों ने घर पर ही आयुर्वेद, होम्योपैथ की दवाएं और योगाभ्यास के जरिये बीमारी पर काबू पाया। हाल ही में विधानसभा चुनाव में भी आयुर्वेद व होम्योपैथ के डॉक्टरों व फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगी थी। बोर्ड की परीक्षाओं में ड्यूटी के विरोध में प्रांतीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ जिलाधिकारी समेत अन्य जिम्मेदारों को पत्र भेजा। पत्र में बताया कि शासन द्वारा डॉक्टरों की ड्यूटी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में लगा दी गई है। इससे आयुष अस्पतालों को बंद करना पड़ेगा। साथ ही मरीजों को दवा वितरण, इलाज की असुविधा होगी।

संशोधित आदेश जारी
बुधवार की शाम शासन ने इस मामले में संसोधित आदेश जारी कर दिया। शासन ने बोर्ड परीक्षा की ड्यूटी से डॉक्टरों को बाहर कर दिया। उनकी जगह पर संबंधित विभागों से फार्मासिस्टों की ड्यूटी लगा दी। अब इसको लेकर फार्मासिस्ट संवंर्ग में नाराजगी है। उनमें से कोई मुखर होकर कुछ भी कहने से हिचक रहा है।