Women Reservation Bill: बहुत दिनों के बाद ऐसा हुआ जिस अंदाज में सरकार पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) निशाना साध रहे हैं… उसी अंदाज में बीएसपी प्रमुख मायावती (Mayawati) भी कर रही हैं वार. चुनाव से पहले फिर एक हुए अखिलेश यादव और मायावती… ! इस मुद्दे पर केंद्र को दिखाए तल्ख तेवर. एक मुद्दे से सपा और बीएसपी की राजनीति का ट्रैक एक हो गया… अखिलेश और मायावती के सुर एक से दिखने लगे
कभी कभी राजनीति में ऐसी सियासी स्थितियां बन जाती है… दुश्मन दोस्त तो नहीं बनते लेकिन दोस्त जैसा दिखने लगते हैं… ऐसा लगता है… दो दुश्मनों की राजनीति एक जैसी ही है… कुछ ऐसी सियासत इस वक्त सपा और बीएसपी की दिख रही है… कुछ ऐसा ही सियासी अंदाज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी प्रुमख मायावती दिखा रही है… जिसने भी उनके अंदाज को देखा उसकी जुबां पर यही बात आयी है… ये तो विपक्ष की सियासत के लिए शुभ संकेत हैं… इस एक मुद्दे को लेकर सपा और बसपा के एक बार फिर से सुर मिलते दिख रहे हैं… दोनों पार्टियों ने महिला आरक्षण बिल के समर्थन करने का एलान तो कर दिया… लेकिन अब सरकार की नियत पर सवाल उठाने में भी देर नहीं लगाई….
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) के मुद्दे पर भारतीय बीजेपी पर सवाल उठाते हुए इसे आधा-अधूरा विधेयक करार दिया….उन्होंने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर लिखा,
नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू की है…. जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएंगे, तो बीजेपी सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी
अखिलेश यादव यही नहीं रुके उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी पर तगड़ा वार कर दिया… कहा
भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है… ये आधा-अधूरा विधेयक ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी
वही लोकसभा में महिला आरक्षण बिल के पेश होने के एक दिन बाद बसपा मुखिया मायावती ने भी बीजेपी की मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है… उन्होंने महिला आरक्षण बिल को समर्थन देने का तो ऐलान कर दिया है लेकिन इसे तत्काल न लागू करने के प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं… मायावती ने कहा कि
महिला आरक्षण बिल में प्रावधान इस प्रकार से बनाए गए हैं, जिसके तहत अगले काफी वर्षों तक अर्थात लगभग 15-16 वर्षों तक यानी कि कई चुनाव तक देश की महिलाओं को ये आरक्षण प्राप्त नहीं हो पाएगा… इस विधेयक में जो प्रावधान रखे गए हैं तो उनका मैं यहां उल्लेख करना जरूरी समझती हूं… संशोधन विधेयक के तहत इस महिला आरक्षण विधेयक के पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी…जब ये बिल पास हो जाएगा हाउस में तो पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी। इस तरह से ये पास तो हो जाएगा लेकिन तुरंत लागू नहीं होगा…बीजेपी ने चुनावों को देखते हुए भोली-भाली महिलाओं की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है…
मायावती कह रही है… बिल पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी और जब ये जनगणना पूरी हो जाएगी तब पूरे देश में लोकसभा और राज्यसभा का परिसीमन कराया जाएगा। उसके बाद ही ये विधेयक लागू होगा… ऐसे में ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि देशभर में नए सिरे से जनगणना कराने में अनेक वर्ष लग जाते हैं… पिछली जनगणना साल 2011 में प्रकाशित हुई थी… उसके बाद से आज तक जनगणना नहीं हो सकी है… ऐसी स्थिति में संविधान संशोधन के तहत इस नई जनगणना में जिसमें अनेक साल लग जाएंगे, उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का काम शुरू होगा, जिसमें भी अनेक साल लगेंगे…उन्होंने आगे कहा कि इस परिसीमन के पश्चात ही ये महिला आरक्षण बिल लागू होगा जबकि 128वें संशोधन विधेयक की सीमा ही 15 साल रखी गई है… इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि यह संशोधन विधेयक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है बल्कि आने वाली लोकसभा तथा विधानसभा के चुनावों में देश की भोली-भाली महिलाओं को ये प्रलोभन देकर और उनकी आंखों में धूल झोंककर उनका वोट हासिल करने की नीयत से ही लाया गया है… साफ है… अखिलेश यादव और मायावती के सुर केंद्र के खिलाफ एक है… दोनों ही सरकार की नियत पर सवाल उठा रहे हैं… दोनों का ही मानना है… महिला आरक्षण बिल तो चुनावी है…