BJP-SP में नोकझोंक…क्यों नाक का सवाल बना UP के इटावा का सहकारिता चुनाव? Shivpal Yadav का ‘अधिकार’ से समझौता नहीं… बीजेपी क्या इसलिए बौखलाई ?

इटावा में एक-दूसरे से भिड़ी बीजेपी-सपा… किसने कितना आपा खोया ?
शिवपाल यादव का बीजेपी विधायक सरिता भदौरिया से नोकझोक… लड़ाई जारी रही बेरोक-टोक
BJP और सपा के लिए क्यों नाक का सवाल बना यूपी के इटावा का सहकारिता चुनाव
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ये तस्वीर देख लीजिए… एक तरफ सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव हैं… उनके बेटे आदित्य यादव हैं… और सपा के कार्यकर्ता हैं… तो दूसरी बीजेपी विधायक सरिता भदौरिया समेत भाजपाई हैं… दोनों के बीच जबरदस्त लड़ाई जारी है… सपा की ओर से आरोप हैं…बीजेपी सपा प्रत्यशियों को नामांकन नहीं करने दे रहे.. तो दूसरी ओर से राग से आलाप यही हो रहा है…ऐसा तो नहीं है… ऐसा कैसे हो सकता है… ये तस्वीर इसी कहानी को तस्दीक करती है… नामांकन के दौरान समाजवादी पार्टी और भाजपा आपस में भिड़े, जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव अपने लाव लश्कर के साथ इटावा शहर में मौजूद क्रय विक्रय केंद्र पर मतदान केंद्र के अंदर पहुंचे… तो इससे बौखलाई बीजेपी और इटावा सदर से बीजेपी विधायक सरिता भदौरिया भी अपने लाव लश्कर के साथ मौके पर पहुंची… जहां शिवपाल यादव और भाजपा विधायक सरिता भदौरिया में तीखी नोकझोंक हुई … शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी उनके प्रत्याशी का नामांकन नहीं करने दे रही वहीं भाजपा की इटावा सदर विधायक सरिता भदौरिया शिवपाल यादव और सपा की गुंडई का चुनाव में आरोप लगाया… इसके बाद दोनों ही दल के लोग मतदान केंद्र के बाहर बैठे शिवपाल सिंह यादव अपने समर्थकों के साथ मतदान केंद्र के बाहर बैठे रहे…

शिवपाल यादव

अब सवाल है कि सहाकारिता का चुनाव सपा और बीजेपी दोनों के लिए ही साख का सवाल क्यों है… दरअसल इटावा की सहकारी समितियों में पिछले 30 साल से शिवपाल सिंह यादव और समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है… लेकिन पिछले महीने प्रदेश भर में हुए सहकारी समितियों के चुनाव में बीजेपी ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर 95 फीसदी से ज्यादा की जीत हासिल की… हालांकि, आगरा, मथुरा, इटावा, मैनपुरी, एटा, कासगंज के कई जिलों में सपा और निर्दलीयों के भी कैंडिडेट अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर विजयी हुए…18 मार्च को इटावा की 60 सहकारी समितियों में से 48 पर चुनाव हुए थे…इन समितियों पर चुने जाने वाले संचालक आगे चलकर सभापति और उपसभाप‍ति का चुनाव करते हैं… समितियों से चुने जाने वाले डेलिगेट जिला सहकारी बैंक के संचालक मंडल के चुनाव में वोट डालने के हकदार होते हैं… इस लिहाज से ये चुनाव बीजेपी और सपा दोनों के लिए ही बहुत अहम थे… अभी तक इटावा की 90 पर्सेंट से ज्‍यादा समितियों पर सपा का ही कब्‍जा रहा है… शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्‍य यादव अंकुर जिला सहकारी बैंक के अध्‍यक्ष भी हैं…
इटावा में शिवपाल यादव और सहकारिता एक दूसरे के पर्याय माने जाते हैं… ज्‍यादातर समितियों पर शिवपाल समर्थकों का ही कब्‍जा रहा है… इटावा की सहकारी समि‍तियों में बीजेपी कमजोर रही है… यहां तक कि जिला सहकारी बैंक के संचालक मंडल में बीजेपी का एक भी संचालक नहीं था… लेकिन 18 मार्च के चुनाव के बाद से बीजेपी का हौसला तो बढ़ा है लेकिन इटावा पर समाजवादी पार्टी के गढ़ में सेंध लगाना इतना आसान नहीं है..8 अप्रैल को हुई शिवपाल यादव और बीजेपी विधायक सरिता भदौरिया की बहस इसी रस्‍साकशी का परिणाम है…