mayawati vs chandrashekhar ajad


बीएसपी की सियासत इन दिनों कैसी है… ये किसी से छिपी नहीं है… हालांकि मायावती का दावा है… बीएसपी को 24 में शानदार कामयाबी मिलेगी… लेकिन चंद्रशेखर को एहसास हो गया है… बीएसपी के विकल्प बनने के लिए यही सही वक्त है… दरअसल बहुजन समाज पार्टी के खिसक रहे जनाधार को देखते हुए आजाद समाज पार्टी अपने को नए विकल्प के तौर पर पेश करने में जुटी है… इसी कारण पार्टी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में दो राज्यों-राजस्थान और मध्यप्रदेश में अपने प्रत्याशी उतारकर इसकी शुरुआत कर दी है… माना जा रहा है… कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी दल अपने-अपने हिसाब से जातीय समीकरण दुरुस्त करने में जुट गए हैं… सर्वाधिक 80 सीटों वाले यूपी में जातीय राजनीति आज भी काफी असरकारी है… इसे देखते हुए ही सियासी पार्टियों ने जातीय प्रभाव रखने वाले क्षेत्रीय दलों को अपने साथ रखा है…


जहां तक बसपा का सवाल है, वो लोकसभा के चुनावी मैदान में अकेले उतरने का एलान कर चुकी है… 2012 में सत्ता से बेदखल होने के बाद चुनावी प्रदर्शन में बसपा का ग्राफ लगातार गिर रहा है… मायावती भी सियासी जमीन पर बहुत ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रही हैं… 2022 के चुनाव के बाद उन्होंने कोई भी रैली नहीं की है… इतना ही नहीं बसपा प्रमुख ने प्रदेश के किसी भी जिले का दौरा भी नहीं किया है, जिससे पार्टी के कोर वोटबैंक दलित समुदाय के छिटकने की बातें सामने आई है… यही वजह है कि आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद न सिर्फ कांशीराम की सियासी विरासत के सहारे दलितों के दिल में जगह बनाने, बल्कि बसपा के सिकुड़ने से खाली हो रही सियासी जमीन को अपने पाले में लाने में जुटे हैं… उनकी इस मेहनत के बाद दलित वोट, खासकर जाटव, किसके पक्ष में आते हैं, ये राजस्थान और मध्यप्रदेश के चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो जाएगा..


गौर करने लायक बात है कि चंद्रशेखर रावण ने जिन जगहों पर राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश की थी, वहां पर सपा और बसपा थीं… इसीलिए इन दोनों पार्टियों ने इसे कोई ज्यादा महत्व नहीं दिया… बसपा मुखिया ने तो बहुत उल्टा सीधा सुनाया है… कम समय की राजनीति में चंद्रशेखर ने भांफ लिया कि मायावती अब कहीं निकलती नहीं है… किसी से मिलती नहीं है… उसी कमजोरी को जानकर ये जगह भरने का प्रयास कर रहे हैं… वहीं दावा किया जा रहा है… सियासी गलियारे में चर्चा है चंद्रशेखर जहां-जहां पांव जमाने का प्रयास करेंगे, सपा वहां काउंटर करेगी… चंद्रशेखर बसपा को विकल्प बनकर सपा को टक्कर देने के प्रयास में लगें हैं… इसी कारण उन्होंने नगीना सीट पर भी फोकस कर रखा है…


आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील चित्तौड़ कहते हैं कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का हक है… सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है… मायावती किसी भी आंदोलन और शोषण को लेकर सड़कों पर कभी नहीं उतरती हैं… जो पार्टी 206 विधायक जीतती थी, वो सिर्फ एक सीट पर सिमट गई… बहुजन समाज के हक और अधिकार के लिए जब लड़ नहीं रही है तो लोग इनके साथ क्यों आयेंगे… जो लोग उनके हक के लिए सड़कों पर आयेंगे तो जनता उसी की ओर रुख करेगी… महापुरुषों के नाम बदलने वाले लोगों के साथ गठबंधन पहले किसने किया… पहले अपनी ओर देखें, फिर दूसरे पर उंगली उठाएं… आजाद समाज पार्टी का दावा है… कि पार्टी पूरे देश में है…. सभी जगहों पर सेक्टर से लेकर जिला कमेटी तक काफी मजबूती से काम कर रही है… इसी कारण हम मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव लड़ रहे हैं. लोकसभा चुनाव की पूरी तैयारी है…. अभी तक 14 राज्यों में हमारा संगठन विधानसभा स्तर तक पहुंच गया है…