CAA को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने है । कभी 19 दिसंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर योगी सरकार ने कड़ा कदम उठाया था । 57 प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें लखनऊ के कई चौराहों पर लगा दीं थी । करीब 1 करोड़ 55 लाख रुपए की वसूली के आदेश जारी कर दिए थे । आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से यूपी सरकार को भी हुआ था… इस आदेश को खारिज कराने के लिए सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की । लेकिन वहां से भी झटका मिला । बावजूद इसके यूपी सरकार अपने फैसले पर अडिग है ।


वहीं विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को बख्शने के मूड में नहीं है । पहले सपा ने लखनऊ में प्रदर्शनकारियों के पोस्टर्स के बराबर में एक और पोस्टर लगा दिया ।

इस पोस्टर में उन भाजपा नेताओं की तस्वीरें लगाई हैं जिनपर पिछले दिनों बलात्कार के आरोप लगे हैं ।इसमें कुलदीप सिंह सेंगर और स्वामी चिन्मयानंद की तस्वीरें लगी हैं ।


अब सपा से एक कदम आगे जाते हुए कांग्रेस ने सीधे मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री को ही दंगाई कहकर घेरना शुरू कर दिया है । कल योगी सरकार की ओर से अध्यादेश लाने पर कांग्रेस ने पूरे शहर में पोस्टर लगाकर इनसे भी वसूली माँग की। कांग्रेस ने सरकार को उसके घर में घेरते हुए ही भाजपा दफ्तर पर पोस्टर लगा दिया और सरकार को चैलेंज किया।


ये पोस्टर तमाम सुरक्षा व्यवस्था के बीच भी अंबेडकर प्रतिमा,नगर निगम,दारूलशफा ,लखनऊ विश्वविद्यालय सहित दर्जनभर जगहों में योगी सरकार द्वारा लगाये गये पोस्टर्स के समांतर पोस्टर्स लगाये। यह पोस्टर्स कांग्रेसके युवा नेता सुधांशु वाजपेयी द्वारा जारी किये गये हैं।


कांग्रेस ने बीजेपी निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैबिनेट में जो अध्यादेश लेकर आये हैं, वो सीधे जनादेश का दुरुपयोग है । संविधान में विधायिका को जो विशेषाधिकार विशेष परिस्थितियों के लिए दिया गया है । योगी सरकार उसका उपयोग निजी अहंकारको तुष्ट करने के लिए कर रहेहैं, जो लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए बेहद खतरनाक है। लेकिन जो संविधान मुख्यमंत्री को अध्यादेश लाने का अधिकार देता है,उसी के आर्टिकल 14 के तहत मुख्यमंत्री ,उपमुख्यमंत्री सहित भाजपा के विभिन्न नेताओं पर भी विभिन्न मामलों में दंगों के मुकदमें दर्ज हैं, तब स्वाभाविक ही इनसे भी इसी अध्यादेश के तहत वसूली होनी चाहिए।