‘Degree’ मामले पर Kejriwal को Sharad Pawar और Jayant Chaudhry ने धो डाला… आप के राष्ट्रीय पार्टी बनने के जश्न में हुआ खलल !
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल चेते की नहीं चेते… PM मोदी की डिग्री पर सवाल उठाकर लगता है धीरे-धीरे उसमे फंसते जा रहे हैं !
पहले बीजेपी नेताओं के निशाने पर आए… अब विपक्षी एकता धुरी… सबसे जरूरी वाले नेता ने तो उन्हें आईना दिखा दिया
कभी केजरीवाल को डिग्री विवाद पर बीजेपी ही नहीं… विपक्ष की ओर से मिलने लगा जवाब… अखिलेश के दोस्त ने तो आईना दिखा दिया
विपक्ष की ओर से दो नेता नेता ऐसा है… जिन्होंने अरविंद कैजरीवाल की ओर मोदी के खिलाफ कैंपेन की हवा निकाल दी… दो नेता ऐसे हैं… जिनकी राजनीति को पीएम मोदी भी इग्नोर नहीं कर सकते हैं… दो नेता ऐसा हैं… जिन्होंने मोदी-शाह की राजनीति को पिछले दिनों को करारा जवाब दिया था… दोनों ही नेता कद्दावर हैं… अब दोनों ही नेता की ओर से जवाब आया है… उन नेताओं के बारे में बताएंगे… लेकिन जरा केजरीवाल के सियासी करियर के बारे में जान लेते हैं….
अप्रैल का महीना था…12 साल पहले यानी 2011में जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर दिल्ली में जंतर मंतर पर आंदोलन शुरू हुआ…अन्ना हजारे को आंदोलन का चेहरा बनाया गया…न आंदोलन की सारी रूपरेखा तैयार की थी… जिसमें अरविंद केजरीवाल के साथ रामदेव किरण बेदी, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव समेत कई जानी मानी हस्तिया शामिल थे… इस कारण आंदोलन को देशवासियों ने हाथोंहाथ ले लिया…आंदोलन खत्म होते-होते अरविंद केजरीवाल की छवि भ्रष्टाचार से त्रस्त देश की नैया के असली खेवनहार की बन गई…केजरीवाल आंदोलन के बाद भी मीडिया की सुर्खियां बटरोते रहे… वो कैमरे के सामने कभी भी आते तो इतने सादे लिबास में कि आम आदमी उन्हें अपने बीच का व्यक्ति मानने लगा… गर्मियों में हाफ सर्ट को फुलपैंट से ऊपर और पांव में साधारण सी चप्पल… सर्दियों में गंवई अंदाज से कान में मफलर लपेटते और मिनट-मिनट में खांसी करते केजरीवाल में लोगों को अपना मसीहा दिखता… सवाल होने लगा- क्या आप राजनीति में आएंगे? क्या आप पार्टी बनाएंगे? केजरीवाल बार-बार इनकार कर देते… लेकिन उनके इनकार में इकरार था… शायद वो मन ही मन में तब कह रहे होंगे… गजब का बचकाना सवाल है… राजनीति में तो हम हैं… आज अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं…
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल गया है…आप ने पंजाब में जबर्दस्त जीत हासिल की थी और गुजरात विधानसभा चुनावों में भी उसे करीब 12 प्रतिशत वोट मिले थे… तब से पार्टी देशभर में अपना पांव पसारने के प्रयासों पर बल देने लगी है और अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री पद की दावेदारी बढ़ा रहे हैं… 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुद को सबसे ताकतवर चेहरा साबित करने की होड़ में उन्होंने ‘डिग्री कैंपेन’ छेड़ रखा है… उनका दावा है कि नरेंद्र मोदी देश के सबसे कम पढ़े लिखे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें विज्ञान की बिल्कुल भी समझ नहीं है… वो मोदी को उनकी डिग्री दिखाने को ललकार रहे हैं… हालांकि, इसी मुद्दे पर गुजरात हाई कोर्ट हफ्ते-दस दिन पहले ही उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा चुका है… बावजूद इसके उन्होंने ‘डिग्री अभियान’ को और तेज कर दिया है… इसी के तहत, दिल्ली मंत्रिमंडल में नई-नई शामिल हुईं आतिशी मारलेना ने एक वीडियो ट्वीटकर अपनी डिग्री दिखा दी है..
मजे की बात है… जिस शैक्षेणिक योग्यता को केजरीवाल अपना अहम हथियार बना रहे हैं… अब उनके शैक्षेणिक योग्यता पर सवाल उठने लगे… सवाल IIT पास आउट करके उन्होंने क्या कमाल दिखा दिया… दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए विज्ञान का सहारा लेकर यमुना की स्वच्छता को कितना धार दे पाए….दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि
कभी कभी लोग आईआईटी से डिग्री लेने के बाद भी अशिक्षित
रह जाते हैं…हम लगातार यमुना की सफाई को लेकर काम कर
रहे है… अगर कोई सरकार क्रेडिट लेना चाहें तो ले,
हम अपना काम कर रहे हैं…
इससे आगे की भी मजे की बात है कि केजरीवाल को नसीहत भी मिलने लगी है… औऱ वो भी कोई और नहीं… विपक्षी एकता सबसे जरूरी रणनीतिकार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी चीफ और विपक्ष का एक मजबूत चेहरा शरद पवार का अब बयान आया है… पवार ने इसे गैर जरूरी करार दे दिया… उन्होंने कहा…
डिग्री विवाद को तूल देने से कोई फायदा नहीं…
ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है… बात तो महंगाई,
बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर होनी चाहिए
राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने केजरीवाल का नाम लिए बिना उनके संभ्रांतवादी सोच का व्यक्ति बता दिया.. उन्होंने ट्वीट किया,
मेरे पास एमएससी डिग्री है… मेरे पिता आईआईटीयन थे और मेरे
दादा ने ‘सतत और न्यायसंगत विकास’ विषय पर आर्थिक ग्रंथ
लिखा लेकिन मैं शैक्षणिक योग्यता पर आधारित इस राजनीतिक
अभियान को संभ्रांतवादी सोच की निशानी मानता हूं जो दो महत्वपूर्ण
प्रदेशों में सरकार बनाने वाली पार्टी के लायक नहीं मानता हूं…
जयंत चौधरी यूपी के बड़े नेता अजीत सिंह के बेटे हैं और चौधरी चरण सिंह के पोते हैं…उनकी यह टिप्पणी कि आप का डिग्री कैंपेन अभिजात्यवादी सोच से प्रेरित है, केजरीवाल के दावों के बिल्कुल उलट है… तो क्या केजरीवाल अभिजात्यवादी विचार के हैं, जैसा कि जयंत चौधरी ने कहा है? इसका जवाब जो भी हो, लेकिन उनके डिग्री कैंपेन पर कुछ गंभीर सवाल जरूर खड़े होते हैं… मसलन, क्या वो बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से अब दूरी बना लेंगे? क्या मौलाना आजाद को देश का पहला शिक्षा मंत्री बनाकर जवाहर लाल नेहरू ने गलत किया था? लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने भी तो कोई बड़ी डिग्री हासिल नहीं की थी… तो क्या ये सभी खराब प्रधानमंत्री थे? फिर अन्ना हजारे भी तो ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं तो क्या देशवासी उनकी अपील पर एक सुर में आंदोलन के राग नहीं गाने लगे थे? केजरीवाल जब तक चाहें प्रधानमंत्री मोदी से डिग्री दिखाने का अभियान चलाते रहें, लेकिन उन्हें इन सवालों का जवाब भी देना चाहिए…डिग्री कैंपेन से केजरीवाल की संभ्रांतवादी सोच का उजागर होने या ना होने की बात अलग है…भला कौन से आम आदमी को मतलब है कि पीएम मोदी की डिग्री क्या है? आखिर केजरीवाल किस हिसाब से इस नतीजे पर पहुंच गए कि पीएम मोदी पर डिग्री दिखाने का दबाव बनाकर वो अपना वोट बैंक बढ़ा लेंगे? क्या उन्होंने कोई सर्वे कराया है? कैसे पता चला कि यह मुद्दा उन्हें वोट दिलाएगा या उनकी छवी और पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा? ऐसा लगता है कि केजरीवाल पहली बार रास्ते से कुछ ज्यादा भटक गए हैं।