• सरकार से पुनर्विचार की अपील, कहा- घर खरीदने वालों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ

नई दिल्ली- रियल एस्टेट संगठन क्रेडाई ने सरकार से एफएसआई और अतिरिक्त एफएसआई चार्ज पर 18% जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि ऐसा होने पर मकानों की कीमतें 10% तक बढ़ सकती हैं, जिससे घर खरीदने की योजना बना रहे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और मांग घटेगी।

क्रेडाई ने वित्त मंत्री को लिखे एक पत्र में कहा कि यह कदम मकान बनाने की लागत बढ़ा देगा, जिससे सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट्स भी महंगे हो जाएंगे। इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो मध्यम वर्गीय हैं और जिनके लिए घर खरीदना पहले से ही चुनौती है।

पुरानी तारीख से चार्ज लागू करने पर भारी नुकसान
क्रेडाई ने यह भी कहा कि अगर सरकार पुरानी तारीख से यह नियम लागू करती है, तो डेवलपर्स पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। इससे कई प्रोजेक्ट्स बीच में ही रुक सकते हैं, और जो घर खरीदार पहले ही निवेश कर चुके हैं, उनकी बचत पर भी असर पड़ेगा।

सस्ते मकानों पर संकट
संगठन ने कहा कि निर्माण की लागत पहले से ही कच्चे माल की महंगाई से बढ़ रही है। अगर एफएसआई चार्ज पर जीएसटी लगाया गया, तो यह सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट्स को और महंगा बना देगा। मध्यम वर्ग के करीब 70% लोग ऐसे मकानों की खरीद करते हैं, लेकिन बढ़ी हुई कीमतों के चलते उनकी पहुंच से ये मकान बाहर हो सकते हैं।

मकान सप्लाई और मांग पर असर
क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि एफएसआई चार्ज किसी भी प्रोजेक्ट की लागत का अहम हिस्सा है। इस पर 18% जीएसटी लगाना मकानों की सप्लाई और मांग, दोनों पर बुरा असर डालेगा। मकानों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे घर खरीदना और मुश्किल हो जाएगा। सरकार को इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करना चाहिए और एफएसआई चार्ज को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहिए।

इसके अलावा, इस मामले में कानूनी स्थिति साफ है। अधिसूचना 14/2017 और 12/2017 के मुताबिक, केंद्र या राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों या सरकारी प्राधिकरणों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243W के तहत दिए गए कार्यों पर जीएसटी नहीं लगाया जा सकता। इनमें शहरी योजना, भूमि उपयोग और इमारत निर्माण का नियमन, और स्लम सुधार जैसे कार्य शामिल हैं। इसलिए, एफएसआई देना और इस पर शुल्क लगाना भी इन्हीं कार्यों में आता है, जिससे इसे जीएसटी से बाहर रखा जाना चाहिए।

आवास की मांग, सप्लाई और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर से बचाने के लिए, क्रेडाई ने सरकार से एफएसआई शुल्क को जीएसटी से बाहर रखने और मौजूदा नियम बनाए रखने की अपील की है, ताकि आवासीय योजनाओं पर इसका नकारात्मक असर न पड़े।