चंद्रशेखर की राजनीति बीजेपी के खिलाफ… लेकिन अब कुछ ऐसा हुआ… जिसे देखेंगे तो यही कहेंगे BJP की राह चले चंद्रशेखर आजाद!
इस मुद्दे पर पर चंद्रशेखर ने लिया बड़ा फैसला… बीजेपी के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहने के बाद भी इस मामले में दोस्त से नहीं करेंगे समझौता
संदेशखाली हिंसा पर राजनीतिक अब तेज… बीजेपी के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने भी इस मामले पर उठा लिया बड़ा कदम
संदेशखाली में कुछ ऐसा शर्मसार हुआ… जो बताता है समाज वैचारिक तौर पर बहुत ही खाली… अब देखिए ना जिस मुद्दे पर कोलकाता से 1500 किलोमीटर की दूरी तय करके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीधे यूपी के हाथरस आ गई… अब वैसा ही मुद्दा उनके राज्य में सामने आया… तो कोलकाता से महज नब्बे किलोमीटर की दूरी पर मौजूद संदेशखाली में जाने पर उन्हें दर्द हो रहा है… एक वक्त था… जब ममता के पैर में फैक्चर हुआ था… बावजूद इसके लोगों के बीच जाने में उन्होंने गुरेज नहीं किया… लेकिन उनके ही राज्य में इतना बड़ा कांड हो गया… चंद मीठे बोल पीड़ितो को बोल देती… लेकिन मजाल है कि ममता कोलकाता से हिले…बहरहाल वो हिली नहीं लेकिन बीजेपी, कांग्रेस, सीपीएम ममता बनर्जी की राजनीति को हिलाने के लिए बेकरार है….
छह सदस्यीय केंद्रीय समिति को संदेशखाली हिंसा का जायजा लेने के दौरान पुलिस ने 16 फरवी को रोक दिया… इस समिति में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद शामिल थे… संदेशखाली में महिलाओं के साथ हुई हिंसा और यौन दुराचार की जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था…. अब भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने भी बीजेपी के ही कदम पर चलते हुए एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने का फैसला किया है…चंद्रशेखर आजाद ने इसकी जानकारी देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा,
श्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिला उत्पीड़न व हिंसा की खबरों का सामने आना और इसे लेकर वहाँ के हालात चिंताजनक है. भीम आर्मी भारत एकता मिशन पश्चिम बंगाल प्रदेश का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द पीड़ितों से मिलेगा. हम राज्य सरकार से मामले की न्यायिक जाँच और दोषियों के खिलाफ़ सख्त से सख्त कार्यवाही की माँग करते हैं
कुल मिलाकर आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद महिलाओं के हितों को लेकर कोई समझौता करने को तैयार नहीं हो… फिर चाहे उनकी राजनीति के सबसे बड़े दुश्मन से जुड़ा क्षेत्र हो… या फिर जिनकी विचारधारा को चंद्रशेखर अपनी विचारधारा के करीब मानते हो… ममता बनर्जी की राजनीति से चंद्रशेखर कनेक्टेट है… लेकिन इस मामले में ममता बनर्जी को वॉकओवर देने के मूड में चंद्रशेखर नहीं हैं… वैसे आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल का गांव संदेशखाली में एंट्री आसान नहीं है… मीडिया, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता किसी को संदेशखाली में घुसने की इजाजत नहीं है… बांग्लादेश सीमा पर सटे इस गांव में धारा-144 लगी है… चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है… इस गांव में शाहजहां शेख, उसके दो चेलों उत्तम सरदार और शिबू हाजरा के आतंक फिल्मों के विलेन जैसा है… तृणमूल कांग्रेस के इन नेताओं पर जबरन जमीन पर कब्जा करने, बिना पैसे की मजदूरी कराने, मेहनताना मांगने पर पिटाई और महिलाओं से रेप जैसे आरोप हैं… दहशत इस कदर है कि शाम ढलने के बाद गांव की महिलाएं अपने घर से नहीं निकलती हैं… आरोप है कि ये सभी महिलाओं को पार्टी की मीटिंग के नाम पर रात 12 बजे अपने ऑफिस में बुलाते थे… जब महिला आयोग की टीम संदेशखाली पहुंची तो महिलाएं अपनी व्यथा सुनाकर रोने लगीं… जब गवर्नर सीवी आनंद बोस संदेशखाली पहुंचे थे, तब भी शाहजहां शेख का काला सच सामने आया
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले में संदेशखाली में जब महिलाओं पर जुल्म के मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने आनन-फानन में उत्ता सरदार को गिरफ्तार कर लिया… तृणमूल कांग्रेस ने उसे छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया… राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल पुलिस की शाहजहां शेख की मिलीभगत भी जिक्र किया गया है… पीड़िताओं से बातचीत के आधार पर महिला आयोग ने बताया कि जब महिलाएं शाहजहां शेख और उसके गुर्गों का विरोध करती थीं, तब बंगाल पुलिस उनके परिवार को परेशान करती थी… शाहजहां शेख के इशारे पर पुलिस पीड़िताओं के पति को झूठे मामलों में गिरफ्तार करती रही। टीएमसी का प्रशासन भी नौकरी करने वाले लोगों को ट्रांसफर करने की धमकी देता रहा… आयोग की सदस्य डेलिना खोंगडुप ने बताया कि संदेशखाली में महिलाओं की हालत और पुलिस की भूमिका भयावह तस्वीर पेश करती है… हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को निराधार बताया है… ममता सरकार के मंत्री पार्थ भौमिक ने इसे जमीन के बदले पैसे का विवाद मानते हैं। उनका कहना है कि जमीन के लीज के एवज में कई लोगों को रकम का भुगतान नहीं हुआ, इस कारण लोग नाराज हो गए… उन्होंने महिलाओं से रेप के आरोपों से इनकार किया… अभी तक पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया है