2022 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में गहमा-गहमी तेज हो गई है…. हर कोई दल चुनावी रेस में सबसे आगे रहना चाहता है…अब चुनाव हैं तो बयानबाजी भी होगी…. अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर राजनीति तेज हो गई है..लखनऊ में जैसे ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बाब साहेब स्मारक का शिलान्यास किया…तो बीजेपी बीएसपी के निशाने पर आ गई…बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा…बाबा साहेब के स्मारक बनाए जाने को मायावती ने नाटकबाजी करार दिया..और इसे चुनावी का स्टंट बता दिया…… मायावती ने डॉक्टर आंबेडकर के नाम पर सांस्कृतिक केंद्र बनाने को लेकर बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए और इसे एक ‘छलावा’ बताया.मायावती ने ट्वीट लिखा कि- बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व उनके करोड़ों शोषित-पीड़ित अनुयाइयों का सत्ता के लगभग पूरे समय उपेक्षा व उत्पीड़न करते रहने के बाद अब विधानसभा चुनाव के नजदीक यूपी भाजपा सरकार द्वारा बाबा साहेब के नाम पर ’सांस्कृतिक केन्द्र’ का शिलान्यास करना यह सब नाटकबाजी नहीं तो और क्या है?तो क्या ये माना जाए कि जाए बीजेपी यूपी में दलितों को लुभाने की कोशिशें में लग गई है…क्या बीजेपी की नजर दलित वोट बैंक पर..सवाल कई हैं… क्योंकि बीजेपी के बनाए गए बाबा साहेब के स्मारक पर तो सियासी गदर शुरू हो गया है….अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं…और अगर यूपी में सत्ता हासिल करनी है तो सूबे के हर वर्ग और हर जाति के लोगों के दिलों में राज करना जरूरी है…और बीजेपी चुनाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती इसलिए 2022 की राजनीतिक पिच को अभी से तैयार कर रही है…बीएसपी की मानें तो बीजेपी दलित वोट बैंक को अपने हक में करने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर का सहारा ले रही है…
वहीं दूसरी ओर मायावती ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को कोसने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी…एक ट्वीट में उन्होंने सपा और कांग्रेस पर भी तंज कसे..और सभी को दलित विरोधी बता दिया….मायावती ने कहा कि नाटक करने के मामले में बीजेपी, सपा और कांग्रेस सब एक ही जैसे हैं. उन्होंने कहा कि पिछड़ों पर अन्याय, अत्याचार के मामले में कोई भी दल किसी से भी कम नहीं है. उन्होंने सभी को एक ही थाली का चट्टा-बट्टा बता दिया
उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक एक बेहद निर्णायक वोटबैंक है….. पूरे उत्तरभारत में यूपी की दलित कम्यूनिटी सबसे मजबूत और ज्यादा ताकतवर है..और उत्तर प्रदेश का दलित समाज काफी जागृत समाज माना जाता है….अब देखना होगा कि बीजेपी दलितों का समर्थन पाने में कितनी कामयाब हो पाती है