mukesh sahani vs sanjay nishad
mukesh sahani vs sanjay nishad

हाइलाइट्स

  • यूपी में सन ऑफ मल्लाह बनाम निषाद राज… अब लड़ाई जबरदस्त होने वाली है
  • मोदी को ललकार कर संजय निषाद को चुनौती देने के लिए वो आ गया… कह रहा है निषादों का वोट चाहिए तो देना होगा आरक्षण
  • वो अब यूपी में ऐसा कुछ कह रहे हैं… जिसे लगा घोसी की लड़ाई में काजल निषाद की राजनीति ने संजय निषाद की राजनीति को मात दी


राजनीति में कब-कौन-किसका दोस्त और कब प्रतिद्वंद्वी हो जाए… कहा नहीं जा सकता… 2024 से पहले राजनीति के कुछ ऐसे ही रंग देखने को मिल रहे हैं… 2014 में एनडीए के रथ में सवार रहे बिहार के सन ऑफ मल्लाह यानी मुकेश सहनी ने पूर्वांचल में पैर जमाने की कोशिश शुरू कर दी है… यहां उनका मुकाबला योगी कैबिनेट के मंत्री डॉक्टर संजय निषाद से है… वजह है कि दोनों का वोट बैंक एक ही यानी निषाद समुदाय है…जहां मुकेश साहनी खुद को सन ऑफ मल्लाह कहलाना पंसद करते हैं… वहीं, संजय निषाद खुद को निषाद राज कहलाना पसंद करते हैं… बिहार सरकार में मंत्री रहे वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी पूर्वांचल में एक्टिव हो गए हैं… चंदौली, बलिया से लेकर गाजीपुर में संकल्प यात्रा कर रहे हैं… चुनाव से पहले यूपी के पूर्वांचल में सन ऑफ मल्लाह बनाम निषाद राज दिख रहा है


मुकेश सहनी यहां तक दावा करते हैं कि बिहार में मुख्यमंत्री पहली बार सन ऑफ मल्लाह के बेटे की बदौलत बना है… संकल्प यात्रा के दौरान मुकेश सहनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला चैलेंज देते हुए कहते हैं, अगर उत्तर प्रदेश में निषाद समाज का और साथ चाहिए… तो आरक्षण को लागू करना पड़ेगा…आरक्षण नहीं तो वोट नहीं

वो डॉक्टर संजय निषाद को परिवारवादी पार्टी का नेता बता रहे हैं… तो आखिर क्या वजह है मुकेश सहनी लोकसभा से पहले बिहार के साथ यूपी के पूर्वांचल में एक्टिव हैं…. मुकेश साहनी, संजय निषाद पर क्यों आरोप लगा रहे हैं…दरअसल, बिहार की सियासत से पिछले 9 महीने से साइडलाइन VIP पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी एक बार फिर से अपनी जमीन तलाशने में जुट गए हैं… 26 जुलाई से वो निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा पर हैं… अपने 100 दिनों की यात्रा में वो बिहार और यूपी के 80 जिलों की यात्रा करने के रास्ते रहे हैं… इस दौरान वो निषाद जाति के लोगों को गंगाजल की सौगंध दिला रहे हैं कि वो लोकसभा चुनाव में अपना वोट नहीं बेचेंगे… अपने भविष्य और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए उनके साथ एकजुट रहेंगे…उनका साथ देने वाले घरों के आगे स्टिकर भी चिपकाएंगे…मुकेश सहनी के मुताबिक, वह इस तरह सरकार पर निषाद समुदाय को ओबीसी कैटेगरी से निकालकर एससी कैटेगरी में शामिल करने का दबाव बनाएंगे… इसके साथ ही यात्रा पूरी होने के बाद वे पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर 4 नवंबर को तय करेंगे कि उन्हें किस गठबंधन का हिस्सा बनना चाहिए…
बीते दिनों मुकेश सहनी का रथ गाजीपुर जिले में पहुंचा था… मुकेश साहनी ने गाजीपुर में संबोधित करते हुए पीएम मोदी और सीएम योगी पर हमला बोला… सबसे पहले यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद पर हमला करते हुए घोसी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार का ठीकरा निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद पर फोड़ा… कहा कि वह सिर्फ अपने परिवार का विकास कर रहे हैं, समाज की उन्हें कोई चिंता नहीं है…खुद मंत्री हो गए, बेटे को सासंद और विधायक बना कर सेट कर दिया… संजय निषाद समाज के दम पर बड़े नेता हैं… उन्हें उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह जैसा नेता बनना है, तो उनको मेरे साथ काम करना चाहिए…वो साथ आएं तो हम लोग समाज के लिए मिलकर काम करेंगे… लेकिन वो मोदी को भगवान मानते हैं और अगर वह मोदी को भगवान मानते हैं तो समाज के लिए आरक्षण भी मांगना चाहिए…
अब मुकेश सहनी के निशाने पर संजय निषाद है… तो संजय निषाद ने मुकेश को आरोपों को कुछ इस तरह से जवाब दिया… संजय निषाद का कहना है कि


सबका हक है चुनाव लड़ना… अपनी बात को रखना… हमारा परिवार समाज के साथ है… हमने विधानसभा के चुनाव में सबसे ज्यादा निषाद समाज के लोगों को टिकट देने का काम किया… आरक्षण की मांग को लेकर हमने पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से कई बार मुलाकात की है… हम समाज को आरक्षण लागू कराकर ही दम लेंगे

वैसे सियासी गलियारे में विश्लेषण करने वाले मुकेश सहनी की इस सियासी सक्रियता का विश्लेषण कुछ इस तरह से कर रहे हैं… कह रहे हैं… यूपी और बिहार की सियासत में जातीय आंकड़ा और वोट बैंक का बहुत महत्व है… मुकेश साहनी बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन को मजबूत करके एनडीए सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं… दूसरी तरफ संजय निषाद की पार्टी और उनके नेताओं के बीच ये मैसेज देना चाहते हैं कि समाज के असली ठेकेदार वही नहीं हैं… फिलहाल यूपी की सक्रियता का मुकेश सहनी को बिहार में ज्यादा फायदा होगा… लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोटे-छोटे दलों के राजनीतिक उठा-पटक के जरिए चुनावी माहौल का टेस्ट करवाती रहती है… उसी का हिस्सा मुकेश सहनी की आरक्षण लागू किए जाने की संकल्प यात्रा भी हो सकती है…
आपको बता दें कि गंगा के किनारे वाले पूर्वांचल के इलाके में निषाद समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है… साल 2016 में गठित निषाद पार्टी का खासकर निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा असर माना जाता है…. इसके अलावा गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, जौनपुर, संत कबीरनगर, बलिया, भदोही और वाराणसी समेत 16 जिलों में निषाद समुदाय के वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका अदा करते हैं…2011 की जनगणना के आधार पर उत्तर प्रदेश में निषाद समाज का वोट करीब 18 फीसदी है यूपी विधान सभा की 165 सीटें निषाद बाहुल्य हैं… हर विधानसभा में 90 हजार से एक लाख तक वोटर हैं…