muslim females yoga in payagpur naubasta gonda
Muslim daughters of Payagpur Naubasta do yoga

गोंडा (उत्तर प्रदेश), 28 जनवरी : योग को मजहबी चश्मे से देखने का शगल भले 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर देखा जाता हो, लेकिन रामेश्वर नाथ सिन्हा फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के पयागपुर नौबस्ता में आयोजित होने वाले जनहित मेले में मुस्लिम बेटियां और महिलाएं योगाभ्यास कर योग को धर्म की निगाह से देखने वालों के मुंह पर तमाचा जड़ती हैं।

मेले के योग शिविर में मुस्लिम बेटियां और खवातीन सेहत के लिहाज से योग में बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभा रही हैं। यहां हिंदुओं के साथ मुस्लिम पुरुष ही नहीं, बेटियां और महिलाएं भी योग कर रही हैं। चार दिवसीय मेले के पहले दिन योग की पाठशाला लगती है। दूसरे धर्मो को मानने वालों के साथ अच्छी-खासी संख्या में मुस्लिम बेटियां और खवातीन भी शिरकत करती हैं।

हर वर्ष की तरह इस बार भी योगगुरु मानवेंद्र कर्मकार आईटीआई-मनकापुर के परिसर में सुबह पांच से सात बजे तक योग किया गया। सुबह के तारोताजा माहौल में योग करते देख मेले में आने वाले कई जायरीन इस अभ्यास का हिस्सा बन चुके हैं।

इंटरमीडिएट की छात्रा तबस्सुम, हाईस्कूल की फिजा, कक्षा पांच की सायमा, सायनू व तस्लीमा भी इन बेटियों में शामिल रहीं। पोशाक भी आड़े नहीं आती। बेटियों के साथ खवातीन भी अपनी पर्दादारी के साथ इसे आसानी से सीख रही हैं।

तबस्सुम कहती हैं कि योग को किसी धर्म विशेष से जोड़ना गलत है। हर धर्म में सेहत के प्रति इंसान को सचेत रहने की सीख दी गई है। इस पर विवाद नहीं होना चाहिए।

फिजा बताती हैं, “हमारा धर्म योग के खिलाफ नहीं है। कुछ छोटी मानसिकता के लोग अपनी दुकान चलाने के लिए योग को इस्लाम के खिलाफ बता रहे हैं।”

दारुल उलूम (बौगड़ा) के प्रबंधक सैयद मोहसिन रजा रिजवी का कहना है कि योग को इस्लाम से जोड़ना गलत है। हर चीज को धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। जिस तरह मुसलमानों से जबरन सूर्य नमस्कार नहीं कराया जा सकता, उसी तरह कोई योग करने से रोक भी नहीं सकता।

मदरसा गौसिया महादेवा के प्रबंधक मो़ अमीन सिद्दीकी का कहना है कि “योग से मुसलमानों को कोई परेशानी नहीं। यह इस्लाम के खिलाफ नहीं है, लेकिन सूर्य नमस्कार, मंत्रोच्चारण और स्कूल में अनिवार्यता गलत है।”

बकौल मुख्य ट्रस्टी डॉ़ दीपेन सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, “योग राष्ट्रीय एकता के लिए बहुत जरूरी है। हमने योग को इसलिए चुना, क्योंकि इससे मानसिक और शारीरिक दोनों के लिए बेहतर होता है। गांव में योग के प्रति सजग हों। इसके लिए हम लोग लगातार प्रयासरत हैं। हमारे यहां से महर्षि पतंजलि का जन्मस्थान भी नजदीक है, इसलिए लगाव और बढ़ जाता है।”

उन्होंने बताया कि योग के प्रति लोगों का लगाव दिनों-दिन बढ़ रहा है। इसके लाभों से लोग परचित हो रहे हैं और ये लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन रहा है। लेकिन यह अफसोसनाक है कि इसी विकास खंड की ग्राम पंचायत कोंडर में स्थित योग प्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली आज भी उपेक्षित है।