भारत के मभारतीय सिनेमा के नींव सत्यजीत रे आज जन्मदिन है । जान लीजिए सत्यजीत रे वो हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा को पाथेर पांचाली, शतरंज के खिलाड़ी, अपराजितो, चारुलता और द वर्ल्ड ऑफ जैसी अद्भूत, अद्वितीय और अकल्पनीय फिल्में दी । ये फिल्मे ऐसी है जो तब भी अपनी महत्ता बनाए रखी थी और आज भी ।
भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, और ऑस्कर अवॉर्ड से अलंकृत फ़िल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक सत्यजित रे का जन्मदिन बेहद खास है। रे ने न सिर्फ भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉपुलर बनाया, बल्कि कई फिल्मकारों को अपने काम से प्रेरित भी किया।
हॉलीवुड डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलान ने हाल ही में सत्यजीत रे की फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ को फिल्म मेकिंग के इतिहास में बेस्ट फिल्म बताया था।
क्रिस्टोफर नोलान ने जब सत्यजीत रे की ये फिल्म देखी तो उनके मन में भारतीय सिनेमा के बारे में और ज्यादा जानने की इच्छा जागी। उन्होंने पाथेर पांचाली को सिनेमा का मास्टर पीस बताया।सत्यजीत रे ने कुछ समय लंदन में काम किया। कलकत्ता में ‘द रिवर’ नामक फिल्म की शूटिंग सत्यजीत रे ने देखी और इस माध्यम के प्रति उनकी उत्सुकता जागी। उन्होंने फिल्म माध्यम पर लिखी हुई किताबें पढ़ीं।
विभूतिभूषण बंदोपाध्याय के उपन्यास ‘पाथेर पांचाली’ से प्रेरित पटकथा लिखी। उनकी लिखी पटकथाओं में शब्दों से अधिक रेखा चित्र बनाए जाते थे। उन्होंने नए कलाकारों और तकनीशियंस का चयन किया। सोमवार से शुक्रवार वे कंपनी के दफ्तर में काम करते थे। शनिवार और रविवार को ही शूटिंग करते थे। इस तरह वे वीकेंड फिल्मकार कहलाए।
उनके सीमित साधनों से फिल्म की तीन चौथाई शूटिंग पूरी की गई। उनके पिता के मित्र बी.सी. रॉय तत्कालीन सीएम थे। बी.सी. रॉय की सिफारिश पर उन्हें बंगाल सरकार से ‘पाथेर पांचाली’ को पूरा करने का धन प्राप्त हुआ। पारंपरिक वितरण व्यवस्था में सत्यजीत रे की ‘पाथेर पांचाली’ के लिए कोई स्थान नहीं था। बंगाल सरकार की सिफारिश पर फिल्म को कान फिल्म महोत्सव में भेजा गया। जूरी सदस्यों ने एकमत से ‘पाथेर पांचाली’ को सर्वकालिक महान फिल्म माना।
बचपन में सत्यजीत रे की स्केचिंग में रुचि थी लेकिन जैसे-जैसे वो बड़े हुए उनकी रुचि बदलती गई। पहले वह क्लासिकल म्यूजिक सीखने लगे और फिर एक ऐड कंपनी में आर्टिस्ट की नौकरी कर ली। फिल्में देखना उन्हें पसंद था तो जब भी वह काम के सिलसिले विदेश जाते, वहां खूब फिल्में देखते. पाथेर पांचाली बनाने की प्रेरणा उन्हें यहीं से मिली थी। रे जब इटैलियन फिल्म ‘बाईसाइकल थीव्स’ देखने गए तो उन्होंने तय किया कि वो फिल्मकार बनेंगे।
फिल्म पाथेर पांचाली बनाने में रे को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। इसकी शूटिंग के लिए फंड जुटाने के लिए सत्यजीत रे को अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखने पड़े थे। इतनी दिक्कतों का सामना करके बनी ये फिल्म सिनेमा का माइलस्टोन मानी जाती है। हॉलीवुड की कई फिल्मों के बारे में कहा जाता है कि ये फिल्में सत्यजीत रे की फिल्मों या कहानियों से प्रेरित हैं।